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Thursday 07 February 2013 07:07:15 AM
कुंभ नगरी, इलाहाबाद। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल का स्पष्ट मत है कि जिस प्रकार त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम ने वन, गिरि, कंदराओं और ग्राम-ग्राम यात्रा करते हुए प्रबल जन जागरण किया था, उसी प्रकार आज भी श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने के लिए संपूर्ण भारत के ग्राम-ग्राम में तथा नगरों की प्रत्येक गली में एवं वन-पर्वतों में एक महा-जागरण एवं महा-अनुष्ठान की आवश्यकता है, इसलिए केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल संपूर्ण विश्व में फैले रामभक्त हिंदू समाज का आह्वान करता है कि प्रत्येक हिंदू परिवार आगामी हिंदू वर्ष प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2070 दिनांक 11 अप्रैल 2013 ईस्वी से अक्षया तृतीया 13 मई 2013 ईस्वी तक विजय महामंत्र ‘श्रीराम जय राम जय जय राम’ का प्रतिदिन कम से कम ग्यारह माला जप करके आध्यात्मिक बल निर्माण करे। यह आध्यात्मिक शक्ति ही मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगी।
प्रयागराज महा कुंभ में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल ने यह प्रस्ताव पारित किया है जिसमें विहिंप ने कहा है कि हम भारत सरकार को याद दिलाना चाहते हैं कि वर्ष 1994 में भारत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में शपथपूर्वक कहा था कि यदि ‘यह सिद्ध होता है कि विवादित स्थल पर सन् 1528 के पूर्व कोई हिंदू उपासना स्थल अथवा हिंदू भवन था तो भारत सरकार हिंदू भावनाओं के अनुरूप कार्य करेगी’ इसी प्रकार मामले के दूसरे पक्षकार तत्कालीन मुस्लिम नेतृत्व ने भारत सरकार को वचन दिया था कि ऐसा सिद्ध हो जाने पर मुस्लिम समाज स्वेच्छा से यह स्थान हिंदू समाज को सौंप देगा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पूर्णपीठ के 30 सितंबर, 2010 को घोषित निर्णय से स्पष्ट हो चुका कि वह स्थान ही श्रीराम जन्मभूमि है जहां आज रामलला विराजमान हैं तथा सन् 1528 के पूर्व से इस स्थान पर एक हिंदू मंदिर था, जिसे तोड़कर उसी के मलबे से तीन गुंबदों वाला वह ढांचा निर्माण किया गया था। इसलिए आवश्यक है कि अब भारत सरकार एवं मुस्लिम समाज अपने वचनों का पालन करे।
मार्गदर्शक मंडल के प्रस्ताव में कहा गया है कि अब भारत सरकार हिंदू को बलिदानी भाव धारण कर आंदोलन के लिए बाध्य न करे और आगामी वर्षाकालीन संसद सत्र में कानून बनाकर श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की सभी बाधाओं को दूर करते हुए वह स्थान श्रीराम जन्मभूमि न्यास को सौंप दे। भगवान का कपड़े का घर अब आँखों को चुभता है और हिंदू समाज इसके स्थान पर भव्य मंदिर निर्माण करने को आतुर है। मार्गदर्शक मंडल का यह भी सुनिश्चित मत है कि जन्मभूमि के चारों ओर की भारत सरकार द्वारा अधिगृहीत 70 एकड़ भूमि श्रीराम की क्रीड़ा एवं लीला भूमि है।
मार्गदर्शक मंडल ने चेतावनीपूर्वक भारत सरकार को आगाह किया है कि अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा के अंदर विदेशी आक्रांता बाबर के नाम से किसी भी प्रकार का स्मारक अथवा कोई इस्लामिक सांस्कृतिक केंद्र नहीं बनने देंगे और अयोध्या के हिंदू सांस्कृतिक स्वरूप की सदैव रक्षा करेंगे, साथ ही साथ श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के जिस मॉडल के लिए सवा छः करोड़ हिंदुओं ने धनराशि अर्पित की उसी प्रारुपएप का मंदिर श्रीराम जन्मभूमि पर बनेगा तथा उन्हीं पत्थरों से बनेगा, जो नक्काशी करके अयोध्या कार्यशाला में सुरक्षित रखे हैं और श्रीराम जन्मभूमि न्यास ही मंदिर भी बनाएगा। मार्गदर्शक मंडल सभी राजनीतिक दलों का आह्वान किया है कि हिंदू भावनाओं का आदर करते हुए श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण हेतु संसद में सहयोग करें अन्यथा हिंदू समाज संतो के नेतृत्व में प्रचंड जन आंदोलन को बाध्य होगा।