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Tuesday 10 May 2016 01:40:08 AM
नई दिल्ली। लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह स्मारक व्याख्यान कोठारी सभागार डीआरडीओ भवन नई दिल्ली में आयोजित किया गया। लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह का पिछले साल 11 अप्रैल को निधन हो गया था और उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में इस स्मारक व्याख्यान का पहली बार आयोजन किया गया है। यह आयोजन संयुक्त युद्ध अध्ययन केंद्र ने किया। रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे। लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह 'भारत में मैकेनाइज्ड युद्ध के अगुआ' के नाम से लोकप्रिय थे और ये ‘सैनिक संत’ भारतीय इतिहास के उत्कृष्ट शूरवीरता क्षेत्र के एक ठेठ भारतीय योद्धा थे।
लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह को 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान बासनतार नामक स्थान पर हुई टैंकों की भयंकर लड़ाई में उनकी वीरता के लिए अधिक जाना जाता है। इस युद्ध में 50 पाकिस्तानी टैंक नष्ट किए गए थे, जबकि भारतीय सेना की पूना हार्स के केवल 13 टैंक ही नष्ट हुए थे। पाकिस्तानी सैनिक आपस में पूना हार्स को 'फख्र-ए-हिंद-भारत की शान' नाम से बुलाते थे, जो पराजित शत्रु द्वारा दी गई एक बधाई ही है। उद्घाटन भाषण के दौरान रक्षामंत्री ने कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह के कद के सैनिक अधिकारी अपने उस नेतृत्व के लिए याद किए जाते हैं, जो उन्होंने महत्वपूर्ण लड़ाइयों के दौरान प्रदान किए हैं। वे एक करिश्माई और स्पष्ट सोच वाले जनरल थे, जिन्होंने बेहतरीन नेतृत्व गुणों और अच्छी सोच का प्रदर्शन किया, जिसका युवा सैनिकों और अगली पीढ़ी के नेताओं को अनुसरण करना चाहिए।
जनरल एके सिंह (सेवानिवृत्त) लेफ्टिनेंट गवर्नर, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह ने 'भविष्य के युद्धक्षेत्र में नेतृत्व' विषय पर स्मारक व्याख्यान दिया। उन्होंने 21वीं सदी में उच्च सैन्य नेतृत्व की चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए उनसे निपटने के लिए भविष्य के लिए एक रोडमैप का भी सुझाव दिया। असम के पूर्व राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह (सेवानिवृत्त) ने जनरल हनुत सिंह के भारत में मैकेनाइज्ड युद्ध के अगुआ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान बासनतार नामक स्थान में इस जनरल के नेतृत्व गुणों पर प्रकाश डाला। लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह के जीवन काल पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई।