स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 26 May 2016 07:57:08 AM
नई दिल्ली। भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर केंद्र सरकार के विज्ञापनों से जुड़ी एक प्रमुख नीतिगत पहल के तहत उपयुक्त एजेंसियों का पैनल बनाने और वेबसाइटों पर विज्ञापनों के लिए दर निर्धारण हेतु दिशा-निर्देश एवं मानदंड तैयार किए हैं। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य वेबसाइटों पर सरकारी विज्ञापनों को जारी करने की व्यवस्था को दुरुस्त करने हेतु सिद्धांतों एवं उपकरणों को ईजाद करना है। इस नीति में विशेष जोर देते हुए कहा गया है कि विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय यानी डीएवीपी द्वारा पैनल बनाने के लिए केवल उन्हीं वेबसाइटों पर विचार किया जाएगा, जिनका स्वामित्व एवं संचालन उन कंपनियों के हाथों में है, जिनका गठन भारत में हुआ है। हालांकि, विदेशी कंपनियों या भारतीय मूल के स्वामित्व वाली वेबसाइटों को अब भी पैनल में शामिल किया जा सकता है, बशर्ते कि इस तरह की कंपनियों के शाखा कार्यालय हों, जो पंजीकृत होने के साथ-साथ भारत में कम से कम एक वर्ष से संचालनरत हों।
इस नीति में वेबसाइटों के लिए पात्रता मानदंडों का उल्लेख किया गया है, जिनके आधार पर वे डीएवीपी के पैनल में शामिल हो सकती हैं, इसमें प्रति माह के आंकड़ों के अनुसार अनोखे उपयोगकर्ता अर्थात यूनिक यूजर्स भी शामिल हैं, जिनकी दोबारा जांच एवं सत्यापन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत एवं विश्वसनीय थर्ड पार्टी टूल द्वारा किया जाएगा, जो भारत में वेबसाइट्स से जुड़े ट्रैफिक की निगरानी करता है। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य सरकारी विज्ञापनों की ऑनलाइन दृश्यता में वृद्धि सुनिश्चित करना है, इसके लिए विज्ञापनों को उन वेबसाइटों पर डाला जाता है, जिनमें प्रति माह अनोखे उपयोगकर्ताओं (यूनिक यूजर्स) की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा होती है। नीति में यह आवश्यक किया गया है कि वेबसाइटों द्वारा सरकारी विज्ञापनों का संचालन किसी थर्ड पार्टी के एड सर्वर (3-पीएएस) के जरिए किया जाएगा, जिसकी सेवा डीएवीपी द्वारा ऑनलाइन बिलिंग से जुड़ी सभी प्रासंगिक रिपोर्टों को प्रदान करने हेतु ली जा रही है और इसका इस्तेमाल भुगतान के लिए बिलों के सत्यापन हेतु किया जाएगा।
पैनल में शामिल प्रत्येक वेबसाइट के यूनिक यूजर आंकड़ों की समीक्षा हर साल अप्रैल के प्रथम सप्ताह में की जाएगी। दिशा-निर्देशों में वेबसाइटों के प्रति माह यूनिक यूजर आंकड़ों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। श्रेणी ए में प्रतिमाह 5 मिलियन और उससे अधिक, श्रेणी बी में 2 मिलियन से लेकर 5 मिलियन तक और श्रेणी सी में 0.25 मिलियन से लेकर 2 मिलियन तक। नीतिगत दिशा-निर्देशों की मुख्य बातों में विभिन्न विज्ञापन प्रॉपर्टीज के लिए अलग-अलग दरें शामिल हैं, प्रति हजार इंप्रेशंस की लागत (सीपीटीआई) के आधार पर स्टैंडर्ड बैनर्स एवं 0.30 का एक न्यूनतम क्लिक-थ्रू रेट (सीटीआर), प्रति पांच सेकेंड के वीडियो के लिए वीडियो एड, 6 घंटे के स्लॉट की समय सीमा (सुबह 6 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक, दोपहर 12 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक, शाम 6 बजे से लेकर मध्य रात्रि के 12 बजे तक और मध्य रात्रि के 12 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक) में 300 X 250 पिक्सेल के न्यूनतम डिस्प्ले आकार के साथ होम पेज पर फिक्स्ड बैनर और होम पेज पर 24 घंटे के टाइम स्लॉट के लिए फिक्स्ड वीडियो एड इन विज्ञापन प्रॉपर्टीज में शामिल हैं। नीति में विशेष जोर देते हुए कहा गया है कि डीएवीपी के पैनल में शामिल इंटरनेट वेबसाइटों के जरिए विज्ञापन करने हेतु केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों या विभागों के लिए डीएवीपी ही मुख्य एजेंसी होगा। वैसे तो स्वायत्त निकाय या पीएसयू सीधे ही विज्ञापन जारी कर सकते हैं, लेकिन इन्हें डीएवीपी की दरों पर ही और डीएवीपी के पैनल में शामिल एजेंसियों को ही जारी करना होगा।