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Thursday 07 February 2013 07:34:35 AM
देहरादून। उत्तराखंड की वित्त मंत्री डॉ इंदिरा हृदयेश की अध्यक्षता में भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक के लेखा परीक्षा प्रतिवेदनों की समीक्षा बैठक हुई। वित्त मंत्री ने लोक निर्माण, समाज कल्याण, राजस्व, सर्व शिक्षा अभियान, आयुष, पेयजल, गृह, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, पशुपालन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि वित्तीय अनियमितता में जिम्मेदार अधिकारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाए तथा जिन आपत्तियों में सुधार की गुंजाइश है, उनमें तत्काल सुधार किया जाए, जिन प्रतिवेदनों में विभागीय अधिकारियों के ऑडिट में सहयोग के अभाव में त्रुटियों के कारण ऑडिट पैरा की स्थिति उत्पन्न हुई हो उसका विवरण संबंधित को उपलब्ध करा दिया जाए।
डॉ हृदयेश ने कहा कि वित्तीय कार्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को किसी प्रकार की माफी नहीं दी जा सकती तथा धन हानि करने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए। ऑडिट टीम के सही आंकलन न करने की कतिपय अधिकारियों की शिकायत पर वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसे प्रकरणों में सख्ती से आपत्ति उठाई जाए तथा सक्षम स्तर पर पत्राचार कर उसमें सुधार कराने का अनुरोध किया जाए। वित्त मंत्री ने ब्याज रहित मोबिलाइजेशन अग्रिम प्रदान कर ठेकेदारों को लाभ दिलाने के लोक निर्माण विभाग के पैरे पर अधिकारियों को निर्देश दिये कि इस संबंध में सभी विभागों को एक पत्र जारी कर निर्देशित करें कि किसी भी परियोजना में ब्याज रहित मोबिलाइजेशन अग्रिम न दिया जाए।
वित्त मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि धन का तय समय सीमा के अंदर सदुपयोग कर लिया जाए, इसमें किसी प्रकार की लापरवाही न बरती जाए तथा जिस कार्य के लिये धनावंटन किया जाए, उसी कार्य में उसे खर्च किया जाए। बैठक में लोक निर्माण विभाग व समाज कल्याण विभाग के प्रकरणों की गंभीरता के दृष्टिगत उन्हें तत्काल सुधारने व भविष्य में इस प्रकार की पुनरावृत्ति न करने के निर्देश दिए। वित्त मंत्री ने कहा कि प्रथम बार प्रदेश के वित्त विभाग को इंटरनल ऑडिट करने का अधिकार मिला है, इससे विभिन्न विभागों में होने वाली वित्तीय अनियमितता को रोकने में प्रभावी मदद मिलेगी। वित्त मंत्री ने ऑडिटरों को भी निष्पक्षता व निडरता से आडिट करने के निर्देश दिए तथा सही प्रकार से ऑडिट न करने वालों को इस कार्य से हटाने के निर्देश सलाहकार वित्त को दिए।
उत्तराखंड सरकार के सलाहकार वित्त एनएन थपलियाल ने भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक के के वित्तीय अनियमितताओं के लिए चिन्हित प्रकरणों का प्रस्तुतीकरण किया, जिसमें हरिद्वार में 28.72 लाख की लागत के बिना सर्वेक्षण किये सड़क का निर्माण, समाज कल्याण विभाग में अपर्याप्त नियोजन के कारण 10.12 करोड़ के पेंशन के दोहरे भुगतान, अपात्रों एवं मृतकों को पेंशन देने, त्यूणी देहरादून में केंद्रीय अंश प्राप्त करने में विफलता, सर्व शिक्षा अभियान में अवस्थापना सुविधाओं की कमी के कारण योजना के प्रभावित होने, निःशुल्क पाठ्य पुस्तकों के वितरण में बिलंब होना, उत्तराखंड पेयजल निगम के हरिद्वार की उपरी धारा में 3.19 करोड़ रुपए व्यय करने के बाद निर्माण कार्य रोकने, ब्याज के रूप में उपार्जित 1.81 करोड़ रुपए राशि की योजना के अनुरक्षण में खर्च करने जैसी अनेक अनियमितताओं को रखा गया।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव, वित्त राधा रतूड़ी, सचिव विद्यालई शिक्षा मनीषा पंवार, सचिव पशुपालन अरूण कुमार ढौढियाल, अपर सचिव वित्त सौजन्या, अपर सचिव परिवहन नितेश कुमार झा, अपर सचिव लोनिवि अमित नेगी, अपर सचिव गृह मंजुल कुमार जोशी, अपर सचिव ऊर्जा एमसी उत्तर प्रदेशती, आईजी दीपम सेठ सहित समस्त विभागों के विभागाध्यक्ष उपस्थित थे।