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Saturday 11 June 2016 07:30:58 AM
नई दिल्ली। किसी ने सच कहा है कि किसी-किसी व्यक्ति में तो विधा भी छप्पर फाड़कर आती है। एक नहीं, दो नहीं, बल्कि तीन-तीन विधाओं के धनी और तीनों को ही सफलता के मुकाम तक पहुंचाने वाले डॉ हरिओम न केवल उत्तर प्रदेश कॉडर के आईएएस अधिकारी हैं, बल्कि एक सफल प्रशासनिक अधिकारी के साथ-साथ एक बेहतरीन गायक और साहित्यकार भी हैं। वे इससे भी आगे अभिनय पर अपने को आजमाने के पायदान पर खड़े हैं। बहुत कम ही प्रतिभाएं मिलेंगी, जिनमें विविध विधाएं होंगी। डॉ हरिओम एक गायक के रूप में प्रसिद्धि हांसिल करने वाले हैं, उनका नया गाना आ रहा है ‘मजबूरियाँ’।
गीतकार किशोर के लिखे इस गाने में एक इंसान में जीवन में क्या-क्या मजबूरियां हो सकती हैं, जिनके चलते पूरा जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है, इसकी झलक मिलती है। संगीतकार राज महाजन ने इसमें अपना संगीत दिया है। पिछले दिनों मोक्ष म्यूजिक में इसे रिकॉर्ड किया गया। पूरी टीम ने इस गाने पर बड़ी मेहनत की है और उम्मीद की जा रही है कि यह संगीत प्रेमियों को पसंद आएगा। ‘मजबूरियाँ’ की रिकॉर्डिंग के बाद डॉ हरिओम ने अपने अंदर एक साथ इतनी प्रतिभाओं पर कहा कि कला की कोई सीमा नहीं होती है, उनको विकसित करने की जरूरत होती है और उन्होंने ऐसा किया। सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने अपने प्रशासनिक कर्तव्य को प्रभावित नहीं होने दिया और समय का उपयोग करते हुए गायन और साहित्यिक अभिरूचि को भी गुणवत्ता के साथ संभाला हुआ है एवं निकट भविष्य में वे एक्टिंग में भी अपने हाथ आजमाते नज़र आएंगे।
राज महाजन के निर्देशन में गायक डॉ हरिओम की आवाज़ में गाना ‘मजबूरियाँ’ कुछ अलग ही बन पड़ा है। इससे पहले भी डॉ हरिओम मोक्ष म्यूजिक के 'यारा वे' और 'सोचा न था ज़िंदगी' जैसे बेहतरीन गानों में अपनी आवाज़ का कमाल दिखा चुके हैं। मोक्ष म्यूजिक और राज महाजन से अपने रिश्तों के बारे में डॉ हरिओम कहते हैं कि रिकॉर्डिंग के दौरान यह सांस्कृतिक संबंध दृढ़ हुए। डॉ हरिओम ने इस गाने के बारे में कहा कि यह गाना उनके गाये हुए पिछले दोनों गानों से अलग है, इसमें काफी मुश्किल सुर लगाने थे, क्योंकि गाने की डिमांड ही कुछ ऐसी थी, राज महाजन ने काफी बेहतरीन और अलग गाना बनाया है, जो मार्केट में आने के बाद खुद को आसानी से लोगों से जोड़ लेगा।
डॉ हरिओम कहते हैं कि ज़िंदगी में इंसान कभी न कभी खुद को मजबूर महसूस करता होगा, बस इसी बारे में यह गाना है, इसे रिकॉर्ड करने का उनका अनुभव भी काफी अलग रहा। उन्होंने कहा कि मैं इससे आसानी से जुड़ गया और लगा ही नहीं कि कोई गाना गा रहा हूं। डॉ हरिओम का कहना है कि कहीं-कहीं कुछ अप्स-डाउन भी रहे तो राज महाजन का काफी सहयोग मिला। वे कहते हैं कि जिस चीज़ से एक आम आदमी खुद को जुड़ा हुआ महसूस करता है, तो उसमें हमेशा कामयाब रहती है। उन्होंने कहा कि मैंने पाया है कि राज महाजन भी हमेशा लीक से हटकर कुछ करने में यकीन रखते हैं।
संगीतकार राज महाजन का कहना है कि इस गाने को कोई भी डॉ हरिओम से बेहतर गा ही नहीं सकता था, मैं ये बात इसलिए नहीं कह रहा कि वो मेरे मित्र हैं, बल्कि इस गाने को जितनी गहराई की जरुरत थी, वो हरिओम की आवाज़ में मिली, जितना मर्म और लगाव इस गाने की आवश्यकता थी, उतना ही हरिओम के गले से निकला, न कम न ज़्यादा, ये गाना सेमी गज़ल है, बहुत ही ठहराव से इसे निभाया गया है, गाना आम इंसान की ज़िंदगी को छूता है, इसलिए लोग इसे जरूर पसंद करेंगे।
डॉ हरिओम अपनी साहित्यिक विधा पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि उन्हें पढ़ाई के ज़माने से ही लिखने का शौक था, लिखना शुरू किया और फिर गाना भी शुरू किया और आप फ्यूचर में मुझे कुछ और करते हुए भी देख सकते हैं। उनका कहना है कि ऐसा बिक्कुल नहीं है कि एक आईएएस ऑफिसर गा-बजा नहीं सकता, अपने शौक को मारकर ज़िंदगी जीना नीरस होता है, जो भी आपका शौक है, उसे पूरा कीजिए। फ्यूचर प्रोजेक्ट्स पर संगीतकार राज महाजन और डॉ हरिओम काफी उत्साहित नज़र आ रहे हैं, बहुत जल्द अपने और भी कई बेहतरीन प्रोजेक्ट्स के साथ एक बार फिर वे आपके साथ होंगे। उनका स्लोगन है-मोक्ष म्यूजिक...अपना संगीत...देश का संगीत।