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Saturday 09 February 2013 06:18:14 AM
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी को 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित गुलबर्ग सोसायटी कांड का मामला बंद करने और मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने की विशेष जांच दल की रिपोर्ट पर विरोध याचिका दायर करने की अनुमति दे दी। अहमदाबाद की इस सोसायटी में 28 फरवरी 2002 को हुए दंगे में जाकिया जाफरी के पति पूर्व सासंद एहसान जाफरी सहित 69 व्यक्ति मारे गए थे। न्यायमूर्ति पी सदाशिवम, न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि जाकिया जाफरी को इस मामले से संबंधित विशेष जांच दल की पूरी जांच रिपोर्ट मुहैया कराई जाए ताकि वह अदालत में विरोध याचिका दायर कर सके।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि विशेष जांच दल के मुखिया की टिप्पणियों के बगैर ही यह रिपोर्ट जाकिया जाफरी को मुहैया कराई जाएगी और वह यह सामग्री मिलने के दो महीने के भीतर जांच दल की मामला बंद करने की रिपोर्ट के खिलाफ विरोध याचिका दायर कर सकती हैं। न्यायाधीशों ने कहा कि हम स्पष्ट करते हैं कि याचिकाकर्ता जाकिया 12 मई 2010 को इस न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में पेश पूरी रिपोर्ट प्राप्त करने की हकदार हैं। न्यायालय ने इसके साथ ही अहमदाबाद की अदलात के 16 जुलाई और 27 नवंबर के आदेश निरस्त कर दिए।
जाकिया जाफरी ने शीर्ष अदालत में पेश विशेष जांच दल के सदस्य एके मल्होत्रा की प्रारंभिक रिपोर्ट देने से अदालत के इंकार और विशेष जांच दल की मामला बंद करने की रिपोर्ट 13 मार्च को स्वीकार करने के अदालत के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि जाकिया की शिकायत पर जांच के दौरान दर्ज किए गए बयानों को अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 161 के तहत दर्ज बयान माना जाए, जिसमें गवाहों से पूछताछ की जा सकती है।