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Saturday 09 February 2013 06:21:52 AM
नई दिल्ली। क्रिकेटरों और फिल्मी सितारों को भारत रत्न देना इस पुरस्कार का मजाक उड़ाना होगा। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने यह बयान क्रिकेटरों और फिल्मी सितारों को भारत रत्न दिए जाने की मांग पर दिया है। काटजू का कहना है कि क्रिकेटरों और फिल्मी सितारों को भारत रत्न देना इस पुरस्कार का मजाक उड़ाना होगा, क्योंकि इन लोगों का समाज के लिए कोई योगदान नहीं है।
काटजू ने इस बारे में कहा, कि ‘लोग क्रिकेटरों और फिल्मी सितारों को भी भारत रत्न देने की बात कर रहे हैं, हम लोग सांस्कृतिक स्तर के बहुत ही निचले पायदान पर जा रहे हैं। हम अपने असली हीरो को नजरअंदाज करते हैं और सतही लोगों के बारे में बातें करते हैं। आज हमारा देश बहुत ही निर्णायक दौर से गुजर रहा है। हमें ऐसे लोगों की जरूरत है, जो देश को दिशा देकर इसे आगे ले जा सकें। वे जीवित न भी हों तो भी ऐसे लोगों को भारत रत्न देना चाहिए।’
काटजू ने कहा कि ‘उन्होंने मिर्ज़ा ग़ालिब और शरत चंद्र चटोपाध्याय के लिए भारत रत्न की मांग की थी, जिसके लिए उनकी आलोचना हो चुकी है। मैं यह कहना चाहता हूं कि मरणोपरांत पुरस्कार देने में कोई बुराई नहीं है। इससे पहले कई विभूतियों को मरणोपरांत भारत रत्न मिला है। इनमें सरदार बल्लभ भाई पटेल और डॉ भीमराव अंबेडकर शामिल हैं।’
इससे पहले जस्टिस काटजू ने कहा था कि मौजूदा दौर में ज़्यादातर पत्रकारों को इतिहास, भूगोल, राजनीतिक विज्ञान, अर्थशास्त्र और दर्शनशास्त्र की जानकारी नहीं है। जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने यह बात पत्रकारों के जरूरी ज्ञान के संदर्भ में कही थी, जिसपर कुछ लोगों ने कटाक्ष किए थे, लेकिन जस्टिस काटजू के बयान को स्वीकार किया गया, क्योकि आज के पत्रकारों की यह व्यवहारिक सच्चाई है कि वे तथ्यात्मक जानकारियों, संदर्भों और तथ्यो से काफी दूर रहते हैं। मीडिया के साथ यह बड़ी समस्या लगभग सभी जगह पर है।