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Saturday 09 February 2013 06:38:46 AM
लखनऊ। किसानों को सलाह दी गई है कि वे राई, सरसों की खेती को झुलसा, माहू, बालदार सूड़ी, आरा मक्खी आदि कीट रोगों से बचाएं। राई, सरसों की फसल में झुलसा रोग होने पर पत्तियों तथा फलियों पर गहरे कत्थई रंग के धब्बे बन जाते हैं। गोल-गोल छल्ले पत्तियों पर स्पष्ट दिखाई देती हैं। इस रोग के होने पर मैंकोजेब 75 प्रतिशत 2 किलो ग्राम प्रति हेक्टेअर अथवा कापर आक्सीक्लोराइड रसायन 50 प्रतिशत 3 किलो ग्राम प्रति हेक्टेअर का प्रयोग करें।
आरा मक्खी चमकदार काली तथा घरेलू मक्खी के आकार से छोटी, 4-5 मिली मीटर लम्बी होती है। मादा मक्खी का अण्डरोपक आरी के आकार का होने के कारण इसे आरा मक्खी कहा जाता है। इस कीट की सूड़ियां काले स्लेटी रंग की होती हैं। ये पत्तियों को किनारों से अथवा विभिन्न आकार के छेद बनाती हुई बहुत तेजी से खाती हैं। भयंकर प्रकोप होने पर पूरा पेड़ पत्ता विहीन हो जाता है।
बालदार सूंड़ी पीले, नारंगी अथवा काले सिर वाली होती हैं। इसका पूरा शरीर घने काले बालों से ढका रहता है। इसकी सूड़ियां फसल को नुकसान पहुंचाती हैं। यह प्रारंभ में झुंड में, बाद में एकल रूप में रहकर पेड़-पौधों की कोमल पत्तियों को खाकर नुकसान पहुंचाती हैं। किसान आरा मक्खी एवं बालदार सूड़ी के उपचार के लिए मैलाथियान 5 प्रतिशत धूल 20-25 किलो ग्राम या मैलाथियान 50 ईसी 1.5 लीटर या डीडीवीपी 76 एसएल .5 लीटर 700-800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
माहूं कीट पंखविहीन अथवा पंखयुक्त हल्के स्लेटी या हरे रंग के 1.5 से 3 मिली मीटर लंबे चुभाने, चूसने मुखांग वाले छोटे कीट होते हैं। ये पौधों के तनों, पत्तियों, फूलों एवं फलियों से रस चूसकर मधुपान भी करते हैं, जिससे काले कवक का प्रकोप हो जाता है। इससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बाधित होती है। इस कीट का प्रकोप दिसंबर से लेकर मार्च तक होता है। इस कीट की रोकथाम के लिए डाइमेथोएट 30 ईसी 1 लीटर या मिथाइल ओ-डेमेटान 25 ईसी 1 लीटर प्रति हेक्टेअर की दर से 700 से 800 लीटर पानी में घोलकर सांयकाल छिड़काव करना चाहिए।