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Monday 11 February 2013 07:43:17 AM
मुंबई। सामाजिक संस्था गांधी विचार मंच के अध्यक्ष मनमोहन गुप्ता का कहना है कि देश में आज आईपीएल का बोलबाला है, जिसके लिए क्रिकेट खिलाड़ियों की भी नीलामी होती है, जिसे समाचार चैनलों पर खुलेआम दिखाया जाता है, भारत के या विदेश के खिलाड़ी के नाम के साथ लिखा जाता है कि वह इतने में बेचा गया है या इतने में खरीदा गया, जो कि हमारी संस्कृति व सभ्यता के नाम पर कलंक है, कानूनन इंसान को बेचा या खरीदा नहीं जा सकता है।
उनका कहना है कि यदि आज किसी ग़रीब परिवार को पैसे तंगी है और वह अपने लड़के या लड़की को बेचता है, तो उसे जुर्म कहा जाता है और उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है, लेकिन आईपीएल के मैच के लिए सरेआम खिलाड़ियों की नीलामी होती है, इसके खिलाफ कोई आवाज़ क्यों नही उठाई जाती है? यानि ग़रीब अपनी मजबूरी के लिए कोई काम करे तो वह ग़लत और बड़ा आदमी मौज मस्ती के लिए वही काम करे तो सही?
मनमोहन गुप्ता का कहना है कि सरेआम खिलाड़ियों की नीलामी का हो सकता है कि कोई प्रावधान हो, लेकिन आम जनता की नज़र में यह गलत है। खासकर बेचा, खरीदा सोल्ड इत्यादी शब्दों के प्रयोग हमारी संस्कृति सभ्यता के नाम पर कलंक है। इन सब चीजों को टीवी पर नहीं दिखाना चाहिए तथा खरीदा व बेचा की जगह मानधन या पारिश्रमिक या मेहनताना इत्यादि शब्दों का प्रयोग होना चाहिए।
मनमोहन गुप्ता कहते हैं कि मै सरकार से व क्रिकेट बोर्ड से अनुरोध करता हूं कि इस तरह की नीलामी बंद की जाए। महान खिलाड़ियों के आगे जब यह लिखा होता है कि यह खिलाड़ी इतने में बिका या इस टीम ने इतने में खरीदा या वह नहीं बिका तो यह उनकी तौहीन है, क्रिकेट की ओर से देश की गरिमा को ठेस नहीं पहुंचाई जाए।