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Saturday 23 February 2013 06:48:12 AM
लखनऊ। रिहाई मंच ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय, हैदराबाद बम धमाकों की जांच को ग़लत दिशा में भटका रहा है। उसने सवाल किया है कि गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे बताएं कि हैदराबाद विस्फोट में हिंदूवादी संगठन भी जांच के दायरे में क्यों नहीं हैं? उसकी मांग है कि इस घटना में केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की भूमिका को भी शक के दायरे में लाया जाए, जांच की जाए कि गृह मंत्रालय के दिल्ली स्पेशल सेल ने आईबीएन 7 को इंट्रोगेशन रिपोर्ट कैसे लीक की? रिहाई मंच ने केंद्र सरकार और खुफिया एजेंसियों को इस मामले आजमगढ़ को भी बदनाम करने से बाज आने की चेतावनी दी है।
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने अपने ई-मेल में कहा है कि एक तरफ तो केंद्रीय गृह मंत्री हैदराबाद में इस घटना के पीछे किसी भी आतंकी संगठन का नाम नहीं ले रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाली खुफिया एजेंसियां मीडिया के माध्यम से घटना के पीछे इंडियन मुजाहिदीन और लश्कर जैसे तमाम नामों को उछाल कर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ माहौल बना रही हैं। यहां तक कि बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को आतंकवाद के नाम पर कत्ल करने और फंसाने के लिए बदनाम हो चुकी दिल्ली स्पेशल सेल ने इस घटना के बाद आईबीएन 7 चैनल(ibnlive) को इरफान लांडजे समेत चार कथित इंडियन मुजाहिदीन के सदस्यों की इंट्रोगेशन रिपोर्ट लीक की है। इसमें यह बताने की कोशिश की गई है कि हैदराबाद विस्फोटों के पीछे इसी कथित संगठन का हाथ है, जबकि लांडजे की गिरफ्तारी के मामले में दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक ने नोटिस भेजा है। जाहिर है कि इस कहानी को जारी करने का मकसद पूरी घटना की जांच के दायरे से हिंदूवादी संगठनों, जिन्होंने इससे पहले भी हैदराबाद में दो बार विस्फोट किए हैं, को बचाना है।
ई-मेल में मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे का भी कथित बयान है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जब देश हैदराबाद धमाकों से दहला हो और सरकार में आतंकवादियों से निपटने की राजनीतिक इच्छा शक्ति इतनी कमजोर हो कि केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे मालेगांव, मक्का मस्जिद, समझौता एक्सप्रेस जैसे आतंकी घटनाओं में लिप्त हिंदूवादी संगठनों का नाम लेने के बाद भाजपा और संघ के दबाव में पीछे हट जातें हों, उस वक्त दिल्ली स्पेशल सेल का कथित इंट्रोगेशन रिपोर्ट लीक करना, देश को अस्थिर करने का एक कांग्रेसी प्रयास है, ऐसे में इस इंट्रोगेशन रिपोर्ट को लीक करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए जांच करवाई जाए कि किसके इशारे पर यह रिपोर्ट लीक की गई, क्योंकि इस रिपोर्ट में पुलिस और आतंकी संगठनों का गठजोड़ सामने आ जाएगा, जैसा कि मालेगांव में हुए विस्फोटों के मामले में सुरक्षा एजेंसियों और हिंदूवादी संगठनों का गठजोड़ सामने आ चुका है।
आजमगढ़ रिहाई मंच के संयोजक मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि जिस तरह से मीडिया में खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के हवाले से हैदराबाद विस्फोटों के मामले को आजमगढ़ को जोड़ा जा रहा है, उससे इस घटना के पीछे कांग्रेस की कोई राजनीतिक मंशा ही समझी जा सकती है, वह आजमगढ़ का नाम लेकर इस घटना के पीछे खुफिया एजेंसियों और हिंदुवादी संगठनों पर उठने वाले सवालों को दबाना चाहती है। उन्होंने कहा कि अगर 2014 के चुनावी लाभ के लिए आजमगढ़ को बदनाम करने की कोशिश नहीं रुकी तो कांग्रेस के इस राजनीतिक अपराध का मुहतोड़ जवाब दिया जाएगा।