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Wednesday 28 February 2018 05:07:15 PM
चंडीगढ़। राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने आज चंडीगढ़ में एमसी महाजन डीएवी महिला कॉलेज के स्वर्ण जयंती समारोह में शिरकत की और कहा कि महान समाज सुधारक स्वामी दयानंद सरस्वती एवं भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मेहरचंद महाजन के विजन से प्रेरित होकर यह महाविद्यालय महिला शिक्षा के क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि इन पांच दशक में उत्तर भारत में महिला शिक्षा के क्षेत्र में एमसीएम डीएवी कॉलेज ने महान योगदान किया है। राष्ट्रपति ने उम्मीद जाहिर की कि यह महाविद्यालय क्षेत्र में एक आदर्श के रूपमें ऐसे ही काम करता रहेगा और आने वाले 50 वर्ष के दौरान और प्रगति हासिल करेगा। उन्होंने यहां स्वतंत्र भारत के पहले योजनाबद्ध शहर चंडीगढ़ की भी प्रशंसा की। वे बोले कि चंडीगढ़ हमारे देश की शहरी योजना का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, यह शहर हरित भारत, स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत का प्रतीक है। उन्होंने चंडीगढ़ के शहरियों और प्रशासकों को चंडीगढ़ के नियोजन और विकास में उनके योगदान के लिए बधाई दी।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने कहा कि आज का दिन इस कॉलेज की संस्थापक प्रिंसिपल शकुंतला रॉय और स्नेह महाजन की सेवाओं को भी याद करने का दिन है। उन्होंने कॉलेज की प्रबंध समिति, प्राचार्य, संकाय सदस्यों, स्टाफ के सदस्यों, पूर्व शिक्षकों के साथ-साथ वर्तमान और पूर्व विद्यार्थियों को भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रपति के रूपमें दायित्व संभालने के बाद इस शहर में मेरी यह पहली यात्रा है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़, आज़ाद भारत का पहला योजनाबद्ध और अनुकरणीय शहर है, नगर नियोजन के मामले में चंडीगढ़ एक उदाहरण पेश करता है, यह हरित भारत, स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत की मिसाल है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ शहर ने पुनर्चक्रण के क्षेत्र में उल्लेखनीय पहल की है, जिसकी मिसाल है- नेकचंद का रॉक गार्डन, जिसके पीछे इस नगर के योजनाकारों की दूरदृष्टि है। उन्होंने कहा कि शुरुआत से ही यहां रीसाइक्लिंग, रीयूज, रीजुविनेशन पर ध्यान दिया गया है, शहरों में पैदा हो रहे कचरे का, बची-खुची चीजों का, औद्योगिक कचरे का और सौर ऊर्जा का उपयोग करने में भी चंडीगढ़ ने पहल की है।
रामनाथ कोविद ने कहा कि यह कॉलेज दयानंद एंग्लो वैदिक शिक्षा संस्थानों में से एक है। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने उन्नीसवीं शताब्दी में ही यह समझ लिया था कि शिक्षा और सामाजिक सुधार किसी समाज को प्रगति के मार्ग पर ले जाने का सशक्त माध्यम हैं, सामाजिक सुधार के लिए ही उन्होंने आर्य समाज की स्थापना की। उन्होंने कहा कि आर्य समाज यानी कि आचरण से, विचार से श्रेष्ठ जनों का समाज। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद महिला सशक्तीकरण को बहुत महत्व देते थे, इसीलिए उन्होंने बेटियों की शिक्षा के लिए कन्या विद्यालयों की स्थापना की, यही विद्यालय आगे चलकर डीएवी शिक्षा संस्थानों का आधार बने। राष्ट्रपति ने कहा कि डीएवी की शिक्षा पद्धति में विरासत और आधुनिकता, ज्ञान और विज्ञान, अंग्रेजी और हिंदी, भारतीय ज्ञान परंपरा और पाश्चात्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अद्भुत मिश्रण है, इसी शिक्षा पद्धति ने पूर्व प्रधानमंत्री और भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी जैसा प्रखर व्यक्तित्व देश को दिया है, मैंने भी कानपुर के डीएवी कॉलेज से ही शिक्षा प्राप्त की है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने कहा कि किसी समाज का विकास सही मायनों में तभी होता है जब उस समाज की महिलाएं सशक्त हों और शिक्षित हों। उन्होंने कहा कि एक शिक्षित बेटी कम से कम दो परिवारों को शिक्षा और ज्ञान के महत्व से अवगत कराती है, वह अपने परिवार के भविष्य की बेहतर देख-भाल करती है और भावी पीढ़ी को भी सुशिक्षित बनाती है। उन्होंने कहा कि चाहे संस्कृति कला या खेलकूद का क्षेत्र हो या फिर व्यापार और उद्योग, हमारी बेटियों ने देश का नाम हर क्षेत्र में रोशन किया है, इसी श्रंखला में चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर ने भी सिनेजगत में अपनी खास पहचान बनाई है। राष्ट्रपति ने कहा कि अपने-अपने क्षेत्रों में उल्लेखनीय काम करने वाली चंडीगढ़ की बेटियों के नामों की एक लंबी सूची है, लेकिन यदि मुझे केवल एक नाम लेना हो तो मैं नीरजा भनोट का नाम लेना चाहूंगा, जिन्होंने 1986 में अपनी बहादुरी से आतंकवादियों के मंसूबों को विफल करते हुए 359 हवाई यात्रियों की जानें बचाईं, अपनी जान देकर दूसरों की जान बचाने वाली ऐसी बहादुर बेटी पर चंडीगढ़ को ही नहीं, बल्कि पूरे देश को नाज़ है।
रामनाथ कोविद ने कहा कि पढ़-लिखकर बेटियां आज नौकरियों में अपने कौशल का प्रयोग कर रही हैं, हालांकि संगठित क्षेत्र में उनका प्रतिशत कम है। उन्होंने कहा कि ये समय टैक्नोलॉजी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सर्विस सैक्टर का है, चंडीगढ़ में आईटी और टैक्नोलॉजी के विकास के लिए टैक्नोलॉजी पार्क बनाया गया है, आईटी क्षेत्र में बेटियों की संख्या पिछले सालों में काफी बढ़ी है, इसी प्रकार से उच्चतर शिक्षा में बालिकाओं का नामांकन 2015-16 में लगभग 46 प्रतिशत तक हो गया है, लेकिन प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में उनका प्रतिशत अभी भी कम है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि इस कॉलेज जैसे संस्थानों और समाज के संयुक्त प्रयासों से इन क्षेत्रों में भी हमारी बेटियां आगे बढ़ेंगी। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यह आवश्यक है कि वे सब देश और समाज के प्रति अपने दायित्वों को समझें, अपने व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक जीवन में सामंजस्य स्थापित करते हुए आगे बढ़ें, ऐसे सामंजस्य के बल पर ही हम एक विकसित राष्ट्र बन सकते हैं, इसलिए इस महाविद्यालय के हर विद्यार्थी का यह प्रयास होना चाहिए कि उसके ज्ञान का उपयोग देश के लिए हो और समाज के ग़रीब से ग़रीब की बेहतरी के लिए हो।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने कहा कि पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को जीवनभर हर क़दम पर रुकावटों का सामना करना पड़ता है, इस स्थिति से बाहर कैसे निकला जाए? मेरी समझ से यदि माता-पिता और परिवारीजन बेटियों को खुले में जीने की आज़ादी देंगे, उनको वैचारिक और सामाजिक स्वतंत्रता देंगे, उनको नए-नए क्षेत्रों का अनुभव प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे तो बेटियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा, वे नई बुलंदियों को छुएंगी। उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते फ्लाइंग ऑफिसर अवनि चतुर्वेदी ने अकेले ही फाइटर प्लेन उड़ाकर भारतीय इतिहास की वीरांगनाओं में अपना नाम दर्ज कराया है, हरियाणा की फोगाट बहनों ने भी यही दर्शाया है कि कोई भी क्षेत्र बेटियों के लिए ‘टैबू’ नहीं होता, पीवी सिंधू, सानिया मिर्ज़ा, सान्या नेहवाल और अरुणा रेड्डी के माता पिता ने यदि उन्हें आज़ादी न दी होती, प्रोत्साहन न दिया होता तो वे देश के लिए बड़ी कामयाबी कैसे हासिल करतीं? उन्होंने कहा कि महिलाओं पर परिवार की जिम्मेदारियां भी खूब होती हैं, लेकिन ये जिम्मेदारियां उनके रास्ते की अड़चन नहीं बननी चाहिएं। उन्होंने कहा कि ऐसा उदाहरण मणिपुर की एमसी मेरीकॉम ने पेश किया है, उन्होंने पारिवारिक जीवन में प्रवेश के बाद भी बॉक्सिंग के खेल में शामिल होना और जीतना बंद नहीं किया, वे हर भारतीय महिला के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।