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भगौड़े आर्थिक अपराधियों पर कड़ा शिकंजा

भगौड़ा आर्थिक अपराधियों की संपत्‍ति जब्‍त की जाएगी

मंत्रिमंडल की भगौड़ा आर्थिक अपराधी कानून को मंजूरी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 2 March 2018 11:47:23 PM

govt. of india

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में मंत्रिमंडल ने संसद में भगौड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 को रखने के वित्‍त मंत्रालय के प्रस्‍ताव को अनुमति प्रदान कर दी है। ऐसे अपराधों में कुल 100 करोड़ रुपए अथवा अधिक मूल्‍य के ऐसे अपराध इस विधेयक के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत आएंगे। इस विधेयक में भारतीय न्‍यायालयों के कार्यक्षेत्र से बाहर रहकर भारतीय कानूनी प्रक्रिया से बचने वाले, भारत के क़ानून को ठेंगा दिखाने वाले और सरकारी संस्‍थाओं या बैंकों का पैसा मारकर विदेश भागने वाले आर्थिक अपराधियों की प्रवृत्‍ति को रोकने के लिए कड़े उपाय करने में मदद मिलेगी। यह क़ानून लागू हो जाने के बाद आर्थिक अपराध के संरक्षणदाताओं, सांठगांठ की कूटरचना में शामिल होने विजय माल्या या नीरव मोदी जैसे किसी भी आर्थिक अपराधी के लिए अब विदेश में बैठकर देश को आंखें दिखाना संभव नहीं होगा, उन्हें अपनी संपत्तियों से हाथ धोना पड़ेगा, उसे तभी कोई राहत मिल सकेगी, जब वह लौटकर क़ानून के सामने समर्पण करेगा। इस क़ानून में कई धाराएं भगौड़े को विदेश में भी चैन से नहीं रहने देंगी।
भगौड़ा आर्थिक अपराधी क़ानून से भगौड़ा आर्थिक अपराधियों के संबंध में कानून के राज की पुर्नस्‍थापना होने की संभावना है, क्‍योंकि इससे वे भारत वापस आने और सूचीबद्ध अपराधों का कानूनी सामना करने के लिए बाध्‍य होंगे। इससे ऐसे भगौड़े आर्थिक अपराधियों द्वारा की गई वित्‍तीय चूकों में अंतर्विष्‍ट रकम की उच्चतर वसूली करने में बैकों और अन्‍य वित्‍तीय संस्‍थाओं को पूरी मदद मिलेगी और जिससे न केवल ऐसी संस्‍थाओं की वित्तीय स्‍थिति में सुधार होगा, बल्कि बैंकों या सरकारी संस्‍थाओं से कूटरचित कर्ज़ लेना और भागजाना संभव नहीं हो सकेगा। यह आशा की जाती है कि इससे भगौड़े अपराधियों द्वारा भारत और विदेशों में उनकी संपत्‍तियों को तेजी से जब्‍त करने के लिए उन्‍हें भारत लौटने और सूचीबद्ध अपराधों के संबंध में कानून का सामना करने के लिए भारतीय न्‍यायालयों के समक्ष पक्ष रखने के लिए एक विशेष तंत्र का सृजन हो सकेगा। ग़ौरतलब है कि नरेंद्र मोदी सरकार यह क़ानून अब तब लाई है, जब सरकारी बैंकों में जमा का अरबों रुपया कूटरचित योजना से हड़पकर अनेक भारतीय लोग विदेश भाग चुके हैं और वहां संरक्षण पाकर भारत सरकार को चिढ़ा रहे हैं।
भगौड़ा विधेयक की मुख्‍य बातें इस प्रकार हैं-किसी व्‍यक्‍ति के भगौड़ा आर्थिक अपराधी घोषित होने पर विशेष न्‍यायालय के समक्ष आवेदन करना, अपराध के जरिए आर्थिक भगौड़ा घोषित व्‍यक्‍ति की संपत्‍ति को जब्‍त करना, भगौड़ा आर्थिक अपराधी होने के आरोपित व्‍यक्‍ति को विशेष न्‍यायालय द्वारा नोटिस जारी करना, अपराध के फलस्‍वरूप अर्जित संपत्‍ति के चलते भगौड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किए गए व्‍यक्‍ति की संपत्‍ति को जब्‍त करना, ऐसे अपराधी की बेनामी संपत्‍ति सहित भारत और विदेशों में अन्‍य संपत्‍ति को जब्‍त करना, भगौड़े आर्थिक अपराधी को किसी सिविल दावे का बचाव करने से अपात्र बनाना और अधिनियम के अंतर्गत जब्‍त की गई संपत्‍ति के प्रबंधन व निपटान के लिए एक प्रशासक की नियुक्‍ति करना शामिल है। ऐसे मामले में जहां किसी व्‍यक्‍ति के भगौड़ा घोषित होने के पूर्व किसी भी समय कार्यवाही की प्रक्रिया के समानांतर भगौड़ा आर्थिक अपराधी भारत लौट आता है और सक्षम न्‍यायालय के समक्ष पेश होता है, तो उस स्‍थिति में प्रस्‍तावित अधिनियम के अंतर्गत क़ानूनन कार्यवाही रोक दी जाएगी। इसमें सभी आवश्‍यक संवैधानिक रक्षा उपाय जैसे अधिवक्‍ता के माध्यम से व्‍यक्‍ति को सुनवाई का अवसर, उत्‍तर दाखिल करने के लिए समय प्रदान करना, उसे भारत अथवा विदेश में समन भिजवाना तथा उच्‍च न्‍यायालय में अपील करने जैसे प्रावधान किए गए हैं। इसमें क़ानूनी प्रावधानों के अनुपालन में संपत्‍ति के प्रबंधन और निपटान के लिए प्रशासक की नियुक्‍ति का भी प्रावधान किया गया है।
भारत सरकार के संबंधित वर्तमान कानूनों में व्‍याप्‍त कमियों के परिहार और भारतीय न्‍यायालयों के कार्यक्षेत्र से बाहर रहकर भारतीय कानूनों की प्रक्रिया से बचने वाले आर्थिक अपराधियों की प्रवृत्‍ति के निरोधात्‍मक उपाय तय करने के दृष्‍टिगत, यह विधेयक प्रस्‍तावित किया गया है। इस विधेयक में किसी व्‍यक्‍ति को भगौड़ा आर्थिक अपराधी के रूप में घोषित करने के लिए इस विधेयक में एक न्‍यायालय (धन शोधन रोकथाम अधिनियम, 2002 के अंतर्गत विशेष न्‍यायालय) का प्रावधान किया गया है। भगौड़ा आर्थिक अपराधी से एक ऐसा व्‍यक्‍ति अभिप्रेत है, जिसके विरुद्ध किसी सूचीबद्ध अपराध के संबंध में गिरफ्तारी का वारंट जारी किया जा चुका है और जिसने आपराधिक कार्यवाही से बचने के लिए भारत छोड़ दिया है अथवा विदेश में रह रहा है और आपराधिक अभियोजन का समाना करने के लिए भारत लौटने से इंकार कर रहा है। आर्थिक अपराधों की सूची को इस विधेयक की तालिका में अंतर्विष्‍ट किया गया है। इसके अलावा यह सुनिश्‍चित करने केलिए कि ऐसे मामले में न्‍यायालयों पर कार्य का ज्‍यादा भार न पड़े, केवल उन्‍हीं मामलों को इस विधेयक की परिसीमा में लाया गया है, जहां ऐसे अपराधों में कुल 100 करोड़ रुपए या अधिक की राशि शामिल हो। आर्थिक अपराधियों के ऐसे अनेक मामले घटित हुए है, जहां भारतीय न्‍यायालयों को न्‍याय क्षेत्र से भागने, आपराधिक मामलों के शुरूआत की प्रत्‍याशा अथवा मामले या आपराधिक कार्यवाही को लंबित करने के दौरान आर्थिक अपराधी देश से ही भाग निकला है।
भारतीय न्‍यायालयों के ऐसे अपराधियों की अनुपस्‍थिति का कारण अनेक विषय परिस्‍थितियां उत्‍पन्‍न हुई हैं, जैसे प्रथमत: इससे आपराधिक मामलों में जांच रुक जाती है, इससे न्‍यायालयों का मूल्‍यवान समय बर्बाद होता है, भारत में कानून के राज का अवमूल्‍यन होता है। इसके अलावा आर्थिक अपराध के अधिकांश ऐसे मामलों में बैंक ऋणों की गैर अदायगी शामिल होती है, जिससे भारत के बैंकिंग क्षेत्र की वित्तीय स्‍थिति बदतर हो जाती है। इस समस्‍या की गंभीरता से निपटने के लिए कानून के वर्तमान सिविल और आपराधिक प्रावधान पूर्णत: पर्याप्‍त नहीं हैं, अतएव ऐसी कार्यवाहियों की रोकथाम सुनश्‍चित करने के लिए प्रभावी, तीव्रतम और संवैधानिक दृष्‍टि में मान्‍य प्रावधान किया जाना आवश्‍यक समझा गया है। यहां यह भी उल्‍लेखनीय है कि भ्रष्‍टाचार से संबंधित मामलों में गैर दोषसिद्धि आधारित संपत्‍ति के जब्‍त करने की प्रवृत्‍ति अपराध के प्रति यूनाइटेड नेशंस कन्‍वेंशन (भारत द्वारा 2011 में मान्‍य) से अनुसमर्थित है। विधेयक में इसी सिद्धांत को अंगीकार किया गया है। इस संदर्भ के मद्देनजर सरकार ने बजट 2017-18 में यह घोषणा की थी कि सरकार विधायी संशोधन लाने अथवा जब तक ऐसा अपराधी समुचित विधि न्‍यायालय मंच के समक्ष समर्पण नहीं करता, ऐसे अपराधियों की संपत्‍ति को जब्‍त करने के लिए नया कानून तक लाया जाएगा।

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