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Monday 5 March 2018 09:38:50 AM
नई दिल्ली। निर्भया निधि के अंतर्गत अधिकारियों की अधिकार प्राप्त समिति की 14वीं बैठक में निर्भया निधि महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा के लिए विभिन्न प्रस्तावों का अनुमोदन दिया गया है। बैठक की अध्यक्षता महिला व बाल विकास मंत्रालय के सचिव राकेश श्रीवास्तव ने की। समिति ने तीन प्रस्तावों पर चर्चा की। उत्तर प्रदेश में मोबाइल फोनों में पैनिक बटन का प्रयोग किया जाएगा, जो महिलाओं की सुरक्षा के लिए है। आपात स्थिति में महिलाओं को तुरंत सहायता प्रदान करना इसका उद्देश्य है। पैनिक बटन निकटतम पीसीआर, मित्र, परिवार सदस्यों को जीपीएस आधारित सेटेलाइट के माध्यम से सूचना भेजता है। इस सुविधा को 112 सदस्यों वाली आकस्मित प्रतिक्रिया सहयोग प्रणाली से जोड़ा गया है। पैनिक बटन के परीक्षण का कार्यक्रम उत्तर प्रदेश में 2018 में इसी माह आयोजित किया जाएगा।
आठ नगरों के लिए सुरक्षित नगर प्रस्ताव है, जो निर्भया निधि के अंतर्गत एक बड़ी पहल है। इसके अंतर्गत भारत के आठ बड़े नगरों में महिला सुरक्षा के प्रति एक विस्तृत कार्य योजना लागू की जाएगी। इन योजनाओं को नगर निगमों तथा पुलिस विभाग के सहयोग से तैयार किया गया है। इन प्रस्तावों के लिए समिति ने 2,919.55 करोड़ रुपये की धनराशि निर्धारित की है, जिसके मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं-दिल्ली के लिए 663.67 करोड़ रुपये की परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। योजना के तहत सड़कों, स्कूलों और मेट्रो स्टेशनों पर महिला सुरक्षा को बढ़ाया जाएगा। महिला सुरक्षा के लिए बनी इस योजना में आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग किया जाएगा जैसे-वीडियो निगरानी, चेहरे की पहचान और विश्लेषण आदि। इस योजना के तहत महिला सुरक्षा के लिए समर्पित निगरानी वाहनों का उपयोग किया जाएगा। इन वाहनों में जीपीएस निगरानी सुविधा तथा वीडियो साझा करने की सुविधा उपलब्ध होगी।
मुम्बई के लिए 252 करोड़ रुपये की योजना स्वीकृत की गई है। इस योजना के तहत अपराध संभावना वाले स्थानों पर जीआईएस मैपिंग की जाएगी। इसके अलावा इस योजना में वीडियो निगरानी, जांच अधिकारियों का प्रशिक्षण तथा त्वरित प्रतिक्रिया वाले पुलिस दलों को शामिल किया गया है। यह योजना पुलिस दीदी कार्यक्रम को मजबूत बनाएगी, जिसके अंतर्गत महिला पुलिस अधिकारी स्लम में रहने वाली महिलाओं के साथ बातचीत करती हैं। चेन्नई के लिए 425.06 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। परियोजना में उच्च अपराधजनित इलाकों में सुरक्षित क्षेत्रों का निर्माण, जीआईसी आधारित अपराध मापन, सार्वजनिक परिवहन में सुरक्षा, पुलिस की क्षमता का विकास और महिलाओं के लिए हेल्प डेस्क सेवा का विकास शामिल है। परियोजना के तहत साइबर अपराध और कानूनी सहायक मुआवज़ा प्रयोगशाला का भी गठन किया जाएगा।
अहमदाबाद के लिए 253 करोड़ रुपये की परियोजना है। परियोजना के प्रस्ताव के मुख्य तत्वों में संकट में फंसी महिलाओं की तुरंत मदद के लिए अभयम वाहन, भरोसा जैसे एकल संकट निवारण केंद्र और निगरानी रखने के लिए महिलाओं की ‘शी टीम’ का गठन शामिल है। परियोजना में साबरमती रिवर फ्रंट को महिलाओं के लिए और अनुकूल बनाने के लिए इसके पुनर्विकास का भी प्रावधान है। कोलकाता परियोजना के लिए 181.32 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। परियोजना के तहत 9 महिला थानों को और सशक्त बनाना, सार्वजनिक क्षेत्रों की निगरानी, कम्प्यूटर आधारित आपातकालीन प्रतिक्रिया व्यवस्था का गठन और अपराध की सुनवाई वाली अदालतों में कैमरा लगवाने जैसे काम शामिल हैं। परियोजना के तहत संवेदीकरण कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे। बैंगलूरू परियोजना के लिए 667 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। इस परियोजना के तहत सार्वजनिक स्थलों की निगरानी, थानों में महिला हेल्प डेस्क पर एनजीओ के स्वयंसेवियों की तैनाती और बड़े अस्पतालों, महिला पुलिस केंद्रों और असुरक्षित जगहों पर सुरक्षित क्षेत्रों का निर्माण करना शामिल है। लोगों में महिलाओं के प्रति संवेदना बढ़ाने के लिए महिलाओं की रानी चनम्मा टीम का गठन भी इस परियोजना में शामिल है।
हैदराबाद परियोजना के लिए 282.50 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। परियोजना के तहत महिला विकास और सशक्तिकरण केंद्र के साथ ही फोरेंसिक प्रकोष्ठ और बार-बार अपराध करने वालों पर नज़र रखने के लिए निगरानी प्रकोष्ठ का गठन किया जाएगा। इस परियोजना के तहत महिलाओं के लिए ‘शी टॉयलेट’ का भी निर्माण किया जाएगा। लखनऊ परियोजना के लिए 195 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। इस परियोजना में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की सटीक जांच पड़ताल के लिए साइबर और फोरेंसिक सुविधाओं का विकास, पुलिस बल में श्रमशक्ति को प्रशिक्षण दिया जाना शामिल है। परियोजना के तहत शहर में महिलाओं से संबंधित मुद्दों से जुड़े लोगों को संवेदनशील बनाते हुए समग्र सुरक्षित शहर ईको सिस्टम का निर्माण कराया जाएगा। चंडीगढ़ में उन्नत इंफ्रास्ट्रक्चर और आधुनिक मशीनों से युक्त एक आदर्श फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला की स्थापना की जाएगी। अभी तक देशभर में 6 केंद्रीय फोरेंसिक प्रयोगशालाएं चंड़ीगढ़, गुवाहाटी, कोलकाता, हैदराबाद, पुणे और भोपाल और प्रत्येक राज्य केंद्र शासित प्रदेश में एक-एक राज्य फोरेंसिक प्रयोगशाला है। इन्हीं प्रयोगशालाओं में देशभर में यौन उत्पीड़न और हत्या से जुड़े मामलों की फोरेंसिक जांच होती है। इसके लिए 99.76 करोड़ रुपये का वित्तीय खर्च निर्धारित किया गया है। प्रस्तावित प्रयोगशालाओं से देशभर में यौन उत्पीड़न से जुड़े लंबित मामलों की फोरेंसिक डीएनए जांच कराने में मदद मिलेगी।