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प्रसार भारती में सरकार विरोधियों का भांडाफोड़

प्रसार भारती को फंड जारी करने को लेकर आया स्पष्टीकरण

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को किया जा रहा है बदनाम

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 5 March 2018 02:57:43 PM

ministry of information and broadcasting of the govt. of india

नई दिल्ली। भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रसार भारती को फंड जारी करने को लेकर चलाई जा रही ख़बरों पर एक स्पष्टीकरण जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की नोटिस में आया है कि कुछ तत्व जानबूझकर, कुटिल और उत्प्रेरित तरीके से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की छवि को खराब करने का अभियान चला रहे हैं और ग़लत तरीके से रिपोर्टिंग की जा रही है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के कुछ विशेष आदेशों को न मानने के प्रतिवाद में दिसंबर 2017 के बाद से प्रसार भारती को धन जारी नहीं किया जा रहा है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि यह गलत सूचना है जो बुरी मंशा और आधे अधूरे तथ्यों पर आधारित है और इसका उद्देश्य आम लोगों की नज़र में सरकार की सार्वजनिक प्रतिष्ठा को कम करना है, इसलिए इसके महत्वपूर्ण तथ्यों को प्रकाश में लाना आवश्यक है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि राजकोषीय विवेक और जवाबदेही किसी भी सरकारी संगठन की कार्यप्रणाली के लिए आधार स्तंभ होती है, प्रसार भारती के लिए भी भारत सरकार के सामान्य वित्तीय नियम यानी जीएफआर उतने ही बाध्यकारी हैं, जितने सरकार से अनुदान सहायता पाने वाले किसी अन्य मंत्रालय या संगठन के लिए बाध्यकारी हैं। स्पष्टीकरण में कहा गया है कि जीएफआर के प्रावधान के अनुसार अनुदान सहायता पाने वाले किसी भी स्वायतशासी संगठन को मंत्रालय के साथ एक सहमति ज्ञापन पर आवश्यक हस्ताक्षर करने चाहिएं, जिसमें स्पष्ट तरीके से वित्तवर्ष के दौरान कथित अनुदान के उपयोग के द्वारा किए जाने वाले कार्यकलापों के लिए समयबद्ध तरीके से वास्तविक और वित्तीय लक्ष्य वर्णित हों, लेकिन रिकॉर्ड के लिए मंत्रालय से बार-बार रिमाइंडर भेजे जाने के बावजूद प्रसार भारती ने किसी भी एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उदाहरण के लिए वित्तीय जवाबदेही किस प्रकार बेकार व्यय पर अंकुश लगाती है, इसे निम्नलिखित बिंदुओं से दर्शाया गया है-
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा बार-बार जोर दिए जाने के बाद प्रसार भारती में मानव संसाधन सूचना प्रणाली के लागू किए जाने से कर्मचारियों पर व्यय की जाने वाली सटीक राशि का हिसाब लगाया गया है और इसका परिणाम वेतन शीर्ष में प्रति महीने 30 करोड़ रुपये के बराबर यानी सालाना 360 करोड़ रुपये की बचत के रूप में सामने आया है। सैम पित्रोदा समिति ने भी वित्तीय अनुशासन में बढ़ोतरी करने के लिए मानवशक्ति लेखा परीक्षा आदि जैसे कई कदमों का सुझाव दिया था, इसलिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने उम्मीद व्यक्त की है कि पारदर्शिता एवं जवाबदेही बढ़ाने के लिए ऐसे कदमों का पालन करने के लिए एक साथ मिलकर काफी कुछ ठीक किया जा सकता है, तथापि मंत्रालय ने यह दोहराया है कि भारत सरकार प्रसार भारती के सभी कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने के लिए निरंतर प्रतिबद्ध है और ऐसा कुछ नहीं है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के कुछ विशेष आदेशों को न मानने के प्रतिवाद में दिसंबर 2017 के बाद से प्रसार भारती को धन जारी नहीं किया जा रहा है।

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