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Thursday 8 March 2018 02:20:24 PM
नई दिल्ली/ लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि मूर्तियों को तोड़ने की घटनाएं अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं, भारतीय जनता पार्टी एक पार्टी के रूप में किसी की भी प्रतिमा को इस तरह हटाए जाने का समर्थन नहीं करती, मैंने तमिलनाडु और त्रिपुरा की भाजपा इकाइयों से बात की है, किसी भी मूर्ति को नष्ट करने के कृत्य में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े किसी भी व्यक्ति को संलिप्त पाए जाने पर उसे पार्टी की गंभीर अनुशासनिक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। अमित शाह ने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य लोगों के जीवन में एक सकारात्मक और प्रभावी परिवर्तन लाना है, हमारी आचार विचार संस्कृति एवं नीति हमें और विनम्र बनाती है और हमें प्रेरणा देती है, जिसके बल पर भारतीय जनता पार्टी और भाजपा गठबंधन केंद्र सरकार और देश में 20 राज्य सरकारों के माध्यम से देश की जनता की सेवा कर रही है, साथ ही देश में विकास की बयार लाने में सफल हुई है।
अमित शाह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी हमेशा से खुलेपन और रचनात्मक राजनीति के आदर्शों के लिए प्रतिबद्ध है और रहेगी, जिसके माध्यम से हम न्यू इंडिया के निर्माण के साथ-साथ आम जनता के जीवन में सकारात्मक और प्रभावी बदलाव सकते ला सकते हैं। अमित शाह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी हमेशा खुलेपन और रचनात्मक राजनीति के आदर्शों के लिए प्रतिबद्ध रहेगी और इसी विचार के साथ हम लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने को अग्रसर हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार देश के गांव, ग़रीब, किसान, दलित, शोषित, पीड़ित, आदिवासी, युवा एवं महिलाओं के कल्याण के लिए कटिबद्ध है।
अमित शाह ने कहा कि एक पार्टी के तौर पर और भारतीय जनता पार्टी के एक कार्यकर्ता के रूपमें हमारा मानना है कि भारत में विचारों और विचारधाराओं की एक व्यापक श्रृंखला है, यह सहअस्तित्व भारत की महान विरासत है, जो वास्तव में हमारे संविधान निर्माता मनीषियों की एक महान राष्ट्र के रूपमें भारत की परिकल्पना के ही अनुरूप है। उन्होंने कहा कि मूर्तियों को तोड़ने की घटनाएं अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं, भारतीय जनता पार्टी एक पार्टी के रूप में किसी की प्रतिमा को इस तरह हटाए जाने का समर्थन नहीं करती। उन्होंने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य लोगों के जीवन में एक सकारात्मक और प्रभावी परिवर्तन लाना है, यह हमारा सौभाग्य है कि हमारी कार्यसंस्कृति और विकास कार्यों को पूरे राष्ट्र में सम्मान और सराहना प्राप्त हुई है, हमारी आचार, विचार, संस्कृति एवं नीति हमें और भी विनम्र बनाती है और हमें प्रेरणा देती है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा है कि राज्य में अमन-चैन का माहौल कायम रखना प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। शांति व्यवस्था को बाधित करने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई करेगी। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों पुलिस अधीक्षकों को निर्देशित किया कि वे अपने जनपद में महापुरूषों की मूर्तियों की सुरक्षा के लिए पूरी सतर्कता बरतें। उन्होंने कहा कि जनपद मेरठ की घटना को गम्भीरता से लेते हुए दोषियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जाए एवं ऐसे तत्वों को चिन्हित कर इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो यह सुनिश्चित किया जाए।
महापुरुषों की मूर्तियां साजिशन तोड़ने की घटनाओं के पीछे जनसामान्य में यह महसूस किया जा रहा है कि त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति गिराने की कोई जरूरत नहीं थी, ऐसी विजय जैसे अवसरों पर अत्यधिक उत्साह पर भी नियंत्रण की आवश्यकता होती है। सपा नेता अखिलेश यादव के प्यादों ने भी भाजपा सरकार की छवि खराब करने के लिए लखनऊ में विधानसभा और मुख्यमंत्री आवास के सामने सड़क पर चोरी-छिपे आलू फेंकने का घिनौना काम किया था, जिसकी पोल खुल गई और समाजवादी पार्टी को इस कृत्य पर शर्मसार होना पड़ा है। मायावती और वामदलों को भी मौका मिल गया है, जैसे अब जो बाकी जगह मूर्तियों पर हमले हो रहे हैं, उनके पीछे कौन हो सकते हैं, साफ समझा जा सकता है, लेकिन अखिलेश यादव और मायावती को इसका कोई लाभ नहीं मिलने वाला है।
समाजवादी पार्टी को वामदलों आदि के समर्थन के बावजूद फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा चुनाव में भाजपा से जीतना नामुमकिन है। सपा बसपा के लिए उत्तर प्रदेश में अनुकूल स्थिति नहीं है। राज्यसभा के लिए नामांकन कराने के बाद बसपा के प्रत्याशी की टिप्पणी ग़ौर करने क़ाबिल है कि देश में भगवा आतंक खत्म कर दिया जाएगा। सवाल है कि भगवा रंग भारत के संविधान में क्या अवांछित रंग है? हालात ऐसे बन रहे हैं कि अब तो आगे चलकर बसपा-सपा में किसी भी एक का सफाया तय है। सपा को जो वोट मिलेंगे, मायावती उन्हें अपना बताएंगी और झगड़ा शुरू हो जाएगा। देखना है कि इनके राजनीतिक समझौते में इलाहाबाद के बसपा के पूर्वनेता दलित नेता इंद्रजीत सरोज का क्या होगा, जो मायावती को छोड़कर छोड़कर सपा में चले गए थे ? क्या अब सपा उनके वोट ले पाएगी? शायद नहीं, बल्कि इस घटनाक्रम से भाजपा और भी मजबूत हो गई है।