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Wednesday 14 March 2018 01:00:55 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में टीबी उन्मूलन शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया और उम्मीद जताई कि टीबी के खात्मे के लिए यह सम्मेलन एक मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि देश में टीबी रोग के खात्मे के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं, यह सम्मेलन ग़रीबों के जीवन और स्वास्थ्य में सुधार से भी जुड़ा हुआ है, क्योंकि इसका सबसे ज्यादा शिकार भी ग़रीब ही होते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने 2025 तक पूरी तरह से टीबी को खत्म करने का लक्ष्य रखा है, जबकि वैश्विक लक्ष्य 2030 का है। उन्होंने कहा कि सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए व्यापकस्तर पर कार्य कर रही है, इस संबंध में राज्य सरकारों की भूमिका अहम है और उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखकर इस अभियान से जुड़ने का आग्रह किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सहकारी संघवाद की भावना को मजबूत करते हुए मैंने व्यक्तिगत रूपसे लिखकर राज्य सरकार से इस मिशन में शामिल होने को कहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऐसे लोग जिन्होंने तपेदिक से लड़ने में बेहद साहस दिखाया है, उनके साथ अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता भी तपेदिक उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, प्रधानमंत्री ने ऐसे लोगों के साहस की सराहना की। नरेंद्र मोदी ने कहा कि टीबी को खत्म करने के लिए टीबी फिजीशियन और स्वास्थ्यकर्मियों की बड़ी भूमिका है। उन्होंने मिशन इंद्रधनुष और स्वच्छ भारत का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्र सरकार तय किए गए लक्ष्यों पर तेजी से कार्य कर रही है, पिछले चार वर्ष में टीकाकरण और स्वच्छता का दायरा तेजी से बढ़ा है, अत: लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सही दृष्टिकोण की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने आयुष्मान भारत कार्यक्रम के रूपमें स्वास्थ्य क्षेत्र की दो बड़ी पहलों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में भारत की स्वास्थ्य प्रणाली की आधारशिला के रूपमें स्वास्थ्य और तंदरूस्ती की कल्पना की गई है, इसके अंतर्गत 1.5 लाख केंद्र विस्तृत प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाप्रणाली को लोगों के घरों तक पहुंचाएंगे।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि आयुष्मान भारत के अंतर्गत दूसरे प्रमुख कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वास्थ्य रक्षा योजना के अंतर्गत 10 करोड़ ग़रीब और कमजोर परिवारों को अस्पताल में इलाज के लिए प्रतिवर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक का कवरेज प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह सरकारी सहायता से दिया जाने वाला दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य कार्यक्रम है, इसको सरलता से लागू करने के लिए पर्याप्त धन प्रदान किया जाएगा। सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेडरोस अधानोम घेबरीसस, स्टॉप टीबी पार्टनरशिप की पूर्व निदेशक लुसिका डिफियू के अलावा 20 देशों के स्वास्थ्य मंत्री भी मौजूद थे। सम्मेलन का आयोजन संयुक्त रूपसे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, विश्व स्वास्थ्य संगठन दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय तथा स्टॉप टीबी पार्टनरशिप ने किया था।
स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री का दृढ़ सहयोग हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने हमें इस महत्वाकांक्षी कार्य को हाथ में लेने के लिए प्रेरित किया, ताकि हम अपने लक्ष्य में तेजी से आगे बढ़ें और अपने कार्य में तेजी ला सकें। सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए जेपी नड्डा ने कहा कि टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने नई राष्ट्रीय रणनीतिक योजना शुरू की है, ताकि 2025 तक भारत को टीबी मुक्त किया जा सके और टीबी से निपटने के लिए एक आदर्श योजना के रूपमें वैश्विक समुदाय ने इसकी सराहना की है। जेपी नड्डा ने कहा कि हम पोषण संबंधी सहायता, सार्वजनिक-निजी भागीदारी के मॉडल के विस्तार और एचआईवी एड्स जैसी सफलता का अनुसरण करने के लिए अपनी रणनीतियों को पंक्तिबद्ध करने के लिए नई योजना शुरू कर रहे हैं।
जेपी नड्डा ने कहा कि हम कार्यक्रम और इलाज के अनुपालन पर निगरानी रखने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं, समुदाय की प्रतिज्ञा हॉलमार्क है और यह भारत में टीबी उन्मूलन के लिए एक सामाजिक आंदोलन बन गया है। जेपी नड्डा ने कहा कि स्वास्थ्य योजनाओं के लिए बजट कभी भी कोई मुद्दा नहीं होगा और इसकी झलक स्वास्थ्य के बजट में वृद्धि और आयुष्मान भारत के अंतर्गत दो जबर्दस्त पहलों की घोषणा के जरिए होती है, जो स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को सम्पूर्ण रूपसे दूर करेगी। उन्होंने कहा कि ग़रीबों पर खर्च का बोझ कम करने के लिए सरकार ने इलाज के लिए देशभर में सस्ती दवाओं और भरोसेमंद आरोपण फार्मेसियां शुरू की हैं और आम आदमी के लिए स्टेंट और घुटना प्रत्यारोपण को सस्ता किया है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेडरोस अधानोम घेबरीसस ने कहा कि इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए यह सही स्थान है और भारत की विश्व के लक्ष्य से 5 वर्ष पहले टीबी उन्मूलन का लक्ष्य हासिल करने की योजना उत्साहवर्धक, साहसपूर्ण और महत्वाकांक्षी है। डॉ टेडरोस अधानोम घेबरीसस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी व्यक्तिगत और राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि टीबी के खिलाफ लड़ाई जीतने के लिए इस प्रकार की प्रतिबद्धता की जरूरत है।
जेपी नड्डा और डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेडरोस अधानोम घेबरीसस ने ट्रेकिंग प्रोग्रेस ऑन दिल्ली कॉल टू एक्शन विषय पर एक सत्र की भी अध्यक्षता की। जेपी नड्डा ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों की एक बैठक की अध्यक्षता भी की, जिसमें उन्होंने 2025 तक तपेदिक उन्मूलन का लक्ष्य पूरा करने के लिए प्रचंड समीक्षा और नियमित निगरानी के जरिए राज्यों की सक्रिय भागीदारी का महत्व बताया। भारत में तपेदिक प्रमुख संक्रामक रोग हैं, जिससे अनेक लोगों की मृत्यु होती है। वर्ष 2016 में तपेदिक के अनुमानत: 28 लाख नए मामले सामने आए, जिसमें 4 लाख से अधिक लोगों की तपेदिक और एचआईवी से मृत्यु हो गई। नई राष्ट्रीय रणनीतिक योजना में एक बहुविधि दृष्टिकोण अपनाया गया है, जिसका उद्देश्य तपेदिक के सभी मरीजों का पता लगाना है, इसमें तपेदिक के मरीजों और अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों में मरीजों तक पहुंचने, मरीजों पर केंद्रित दृष्टिकोण अपनाकर सभी मरीजों का इलाज, अतिसंवेदनशील आबादी वाले समूहों में तपेदिक उभरने से रोकने के लिए अधिकार प्राप्त संस्थानों और ज्यादा मानव संसाधन निर्मित करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। भारत तपेदिक उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना को लागू कर रहा है, इसके लिए अगले 3 वर्ष में 12,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि दी जाएगी, ताकि तपेदिक के प्रत्येक मरीज तक गुणवत्तापूर्ण निदान, इलाज और सहायता की पहुंच सुनिश्चित हो सके। प्रधानमंत्री की 2025 तक तपेदिक उन्मूलन की कल्पना ने एसडीजी के 5 वर्ष पहले संशोधित राष्ट्रीय तपेदिक कार्यक्रम के प्रयासों को तेज कर दिया है, जिसके अस्तित्व में आने के बाद 2 करोड़ से अधिक टीबी रोगियों का इलाज किया जा चुका है। कार्यक्रम में राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और विश्वभर के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।