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Sunday 18 March 2018 01:40:21 PM
चेन्नई। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने कहा है कि अगर हमारे पास ज्ञान, संगीत, नृत्य, पेंटिंग, मूर्तिकला एवं शिल्प जैसे ललित तत्व नहीं हों तो हमारा जीवन अधूरा है। वह चेन्नई में डीके पट्टाम्मल के शताब्दी समारोह के उद्घाटन पर जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि डीके पट्टाम्मल तेजी से बदलते मूल्यों के समय में भी परंपरा के प्रति अटूट लगाव, बिना वापसी की आकांक्षा के कला के प्रति उनका समर्पण और अपने संगीत समारोहों में संगीत के उनके उचित चयन ने उनको एक प्रेरक व्यक्तित्व बनाया। उन्होंने कहा कि डीके पट्टाम्मल एक सशक्त महिला का उदाहरण थीं।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने कहा कि डीके पट्टाम्मल एक अप्रतिम जीनियस थीं और विश्व संगीत के प्रति उनका योगदान संगीत समालोचकों एवं आम श्रोता दोनों को ही संतुष्ट करता है। वेंकैया नायडु ने कहा कि संगीत सार्वभौमिक रूपसे जोड़ने वाला और बाधारहित होता है। उन्होंने कहा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत विशेष रूपसे कर्नाटक संगीत ने महान विचारों को भावप्रवण अनुभूतियों तथा आनंददायक अनुभवों के सूत्र में पिरो दिया है और इस मिश्रण की निश्चित रूपसे सराहना की जानी चाहिए। कार्यक्रम में तमिलनाडू के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित, मात्स्यिकी, कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार मंत्री डी जयकुमार और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।