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Thursday 22 March 2018 02:20:23 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने नई दिल्ली में जैविक खेती पर एसोचैम के राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा है कि कृषि में रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध उपयोग चिंता का विषय है और पर्यावरण, सामाजिक, आर्थिक एवं उत्पादन के मोर्चों पर इसके व्यापक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए इस ओर सरकार प्राथमिकता के साथ सुधारात्मक और कारगर कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि भारत परंपरागत रूपसे विश्व में जैविक खेती करने वाला सबसे बड़ा देश है, यहां अनेक हिस्सों में जैविक खेती पहले से ही परंपरागत ज्ञान के आधार पर की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार भारत को कृषि क्षेत्र में आधुनिकता के पथ पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है और वह नई प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करना चाहती है। उन्होंने कहा कि उत्पादन में सतत वृद्धि के लिए सरकार प्राथमिकता के आधार पर जैविक खेती को बढ़ावा देती आ रही है।
कृषिमंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मिशन है कि हरित क्रांति की तर्ज पर भारत में सफल ‘जैविक खेती क्रांति’ सुनिश्चित की जाए, ताकि कृषक समुदाय इससे लाभांवित हो सके। उन्होंने कहा कि सरकार की विभिन्न योजनाओं के जरिए लगभग 23 लाख हेक्टेयर भूमि को जैविक खेती के लिए उपयुक्त बनाया गया है, इसी तरह सरकार ने परंपरागत कृषि विकास योजना शुरू की है, जिसके तहत दो लाख हेक्टेयर भूमि को जैविक खेती के लिए उपयुक्त बनाया गया है, जिससे पांच लाख किसान लाभांवित हुए हैं। कृषिमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र का मुख्य उद्देश्य देश में जैविक खेती को बढ़ावा देना है और अन्य सरकारी संस्थान जैसेकि एपीडा और वाणिज्य मंत्रालय प्रमाणन प्रणाली में सुधार एवं नियंत्रण में मुख्य भूमिका निभाते हुए जैविक उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा दे रहे हैं।
राधामोहन सिंह ने कहा कि भारत सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य पहाड़ी और जनजातीय क्षेत्रों में जैविक खेती को बढ़ावा देना है, क्योंकि इन क्षेत्रों में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के उपयोग का स्तर अत्यंत कम है। कृषिमंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य पूर्वोत्तर राज्यों में जैविक खेती के दायरे में 50,000 हेक्टेयर भूमि को लाना है, जिनमें से 45,918 हेक्टेयर भूमि को जैविक खेती के लिए उपयुक्त बना दिया गया है और 2429 किसान हित समूह गठित किए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप इस योजना से 48949 किसान जुड़ गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वप्न के अनुरूप भारत को एक ‘रसायन मुक्त जैविक देश’ बनने की दिशा की ओर अग्रसर करना है।