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वाराणसी उत्‍तर भारत का द्वार-राष्‍ट्रपति

'वाराणसी को आर्थिक विकास की धुरी बनाने का प्रयास'

वाराणसी में एनएचएआई की परियोजनाओं का उद्घाटन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 27 March 2018 03:23:54 PM

president ramnath kovid

वाराणसी। राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविद वाराणसी में भारत राष्‍ट्रीय राजपथ प्राधिकरण के कार्यक्रम में शामिल हुए, जिसमें उन्होंने एनएचएआई की पांच परियोजनाओं की आधारशिला रखी और कहा कि ये वाराणसी और उसके आसपास के क्षेत्र की यातायात सुविधा को मजबूत एवं सुगम बनाएंगी। राष्‍ट्रपति ने कहा कि वाराणसी आध्‍यात्मिक शहर से स्‍मार्ट सिटी बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि वाराणसी को आर्थिक विकास की धुरी बनाने के लिए यहां इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी का तेजी से विकास किया जा रहा है, मल्टी मॉडल टर्मिनल के पास एक फ्रेट विलेज विकसित करने की योजना है, इससे सड़क, रेल और जलमार्ग के जरिए सामान ले जाना सुविधाजनक होगा। उन्होंने कहा कि नेशनल वाटरवे-वन गंगा जलमार्ग के जरिए वाराणसी को इलाहाबाद से लेकर पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक के व्यापारिक केंद्रों से जोड़ेगा, इसपर पटना और वाराणसी के बीच क्रूज वेसेल्स चलाने का काम शुरू कर दिया गया है।
राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविद ने कहा कि प्राचीनकाल से वाराणसी ने उत्‍तर भारत और पूर्व भारत को गंगा जलमार्ग तथा सड़क मार्ग से जोड़े रखा है, गंगा नदी ने नगर तथा क्षेत्र की संस्‍कृति, सभ्‍यता, व्‍यापार और विकास में विशेष योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि राष्‍ट्रीय जलमार्ग संख्‍या-1, पूर्व मालवाहक गलियारा और विभिन्‍न राजमार्ग परियोजनाओं के माध्‍यम से वाराणसी पूर्वी भारत के लिए उत्‍तर भारत का द्वार है और वाराणसी को आर्थिक विशेष क्षेत्र बनाने के लिए सरकार अवसंरचना तथा कनैक्‍टिविटी पर विशेष ध्‍यान दे रही है। उन्होंने कहा कि लालबहादुर शास्त्री, डॉ भगवान दास, उस्ताद बिस्मिल्ला खां और पंडित रविशंकर ने वाराणसी की धरती पर जन्म लिया है, वाराणसी ही महामना मदनमोहन मालवीय की कर्मस्थली भी रही है, इस तरह इस शहर को पांच भारतरत्न देने का गौरव प्राप्त है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि वाराणसी में प्राचीन भारत से लेकर इक्कीसवीं सदी के भारत को एक साथ देखा जा सकता है, यहां एक तरफ वैदिक कर्मकांड और गंगा आरती देखते हैं तो दूसरी ओर आईआईटी-बीएचयू तथा अन्य संस्थानों में आधुनिकतम प्रयोगशालाओं में अनुसंधान कार्य चल रहे होते हैं।
रामनाथ कोविद ने कहा कि वाराणसी ने प्रदेश को कई मुख्यमंत्री प्रदान किए हैं, लेकिन पहलीबार यहां के सांसद ने देश के प्रधानमंत्री के पद को सुशोभित किया है और एक सांसद के रूपमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी के विकास के लिए सतत प्रयत्नशील रहते हैं। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी वाराणसी को विश्वपटल पर लाकर खड़ा कर दिया है, इसीलिए विदेशी राष्ट्राध्यक्ष भी यहां की गौरवशाली परंपरा को देखने के लिए आते हैं। राष्‍ट्रपति ने कहा कि वाराणसी में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं, जो बड़े पैमाने पर रोज़गार अवसरों का सृजन कर सकता है। उन्होंने कहा कि वाराणसी के हस्‍तशिल्‍प विश्‍व विख्‍यात हैं, यहां हस्तशिल्प बहुत ही कलात्मक, प्रसिद्ध और लोकप्रिय रहा है, बनारसी साड़ी और कालीन बनाने वालों का हुनर पूरी दुनिया में मशहूर है।
राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविद ने कहा कि वाराणसी के कुशल हस्तशिल्पियों को आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा उनके उत्पादों को बाज़ार से जोड़ने में सहायता प्रदान करने के लिए अनेक परियोजनाएं चलाई जा रही हैं और हस्तकला संकुल वाराणसी क्षेत्र के कारीगरों को सुविधा प्रदान करने, उनकी आमदनी बढ़ाने और नए रोज़गार पैदा करने में प्रमुख योजना है। रामनाथ कोविद ने कहा कि वाराणसी की विरासत का देश-विदेश में जो सम्मान है, यहां के लोगों में जो प्रतिभा और कौशल है, यहां प्राचीन और आधुनिक ज्ञान की जो परंपरा है, उन सबको आज एक नई ऊर्जा के साथ आधुनिक विकास से जोड़ने का केंद्र और राज्य सरकारों का सम्मिलित प्रयास देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। उन्होंने राज्‍य सरकार के व्‍यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के चयनित छात्रों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए।

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