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Friday 20 April 2018 05:10:35 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि कार्यक्रम संबंधी विषयवस्तु में विधायी भावना का निरूपण समय की मांग है। उन्होंने कहा कि आम नागरिक को यह महसूस होना चाहिए कि आम प्रशासन में सुराज्य की भावना मौजूद है। उपराष्ट्रपति ने आज 12वें लोकसेवा दिवस पर दो दिवसीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ये विचार व्यक्त किए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक स्वच्छ, कुशल, जनमित्र और सक्रिय प्रशासनिक नेतृत्व समय की मांग है। उन्होंने कहा कि स्वराज्य को हर भारतीय के लिए अर्थपूर्ण होना चाहिए और इसके लिए सुराज्य अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी कुशलता और प्रशासनिक प्रक्रियाओं की ईमानदारी से समीक्षा करनी चाहिए।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि क्रियांवयन और नवाचार पर सारा ध्यान केंद्रित है और यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि 'सब चलता है' वाले रवैये से काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि हम सबको मिलकर भारत को एक ऐसे राष्ट्र के रूपमें विकसित करना है, जिस पर हम गर्व कर सकें। उपराष्ट्रपति ने लोक सेवा अधिकारियों का आह्वान किया कि वे बदलाव की धुरी बनें और प्रेरक नेतृत्व प्रदान करें। उन्होंने कहा कि कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका तथा मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह जातिवाद, साम्प्रदायिकता, भ्रष्टाचार, असमानता, भेदभाव और हिंसा का समूल नाश करने में अपनी भूमिका निभाएं। कार्यक्रम में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह और विशिष्टजन उपस्थित थे।