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Thursday 26 April 2018 03:14:16 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने विज्ञान भवन नई दिल्ली में राष्ट्रीय खरीफ सम्मेलन 2018 को संबोधित करते हुए कहा है कि देश में आने वाले वर्ष में कृषि एवं खाद्य सुरक्षा निरंतर और सतत बनी रहेगी तथा सरकार किसानों की आय नियत समय के अनुसार दोगुनी करने में अवश्य सफल होगी। राधामोहन सिंह ने कहा कि देश की खाद्य सुरक्षा को सतत आधार पर सुनिश्चित करने का श्रेय किसानों को ही जाता है। उन्होंने कहा कि आज भारत न केवल बहुत से कृषि उत्पादों में आत्मनिर्भर और आत्मसम्पन्न है, बल्कि बहुत से कृषि उत्पादों का निर्यातक भी है। उन्होंने कहा कि यह सच है कि किसान अपने उत्पादों का लाभकारी मूल्य नहीं पाते हैं, अत: सरकार का मानना है कि कृषि क्षेत्र का इस प्रकार चहुंमुखी विकास किया जाए कि अन्य एवं कृषि उत्पादों के भंडार के साथ किसानों की जेब भी भरे और उनकी आय भी बढ़े। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य कृषि नीति एवं कार्यक्रमों को ‘उत्पादन केंद्रित’ के बजाय ‘आय केंद्रित’ बनाने का है, इस महत्वाकांक्षी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव बहुआयामी सात सूत्रीय रणनीति को अपनाने पर बल दिया गया है।
कृषिमंत्री राधामोहन सिंह ने बताया कि बहुआयामी सात सूत्रीय रणनीति में प्रति बूंद अधिक फसल के सिद्धांत पर प्रर्याप्त संसाधनों के साथ सिंचाई पर विशेष बल, प्रत्येक खेत की मिट्टी गुणवत्ता के अनुसार गुणवान बीज एवं पोषक तत्वों का प्रावधान, कटाई के बाद फसल नुकसान को रोकने के लिए गोदामों और कोल्ड चेन में बड़ा निवेश, खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहन, राष्ट्रीय कृषि बाज़ार का क्रियांवयन एवं सभी 585 केंद्रों पर कमियों को दूर करते हुए ई-प्लेटफॉर्म की शुरूआत, जोखिम को कम करने के लिए कम कीमत पर फसल बीमा योजना की शुरुआत और डेयरी-पशुपालन, मुर्गी-पालन, मधुमक्खी-पालन, हर मेढ़ पर पेड़, बागवानी व मछली पालन जैसी सहायक गतिविधियों को बढ़ावा देना शामिल हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे अनुकूल परिस्थितियों में आवश्यकता केवल राज्य सरकारों के पूर्ण सहयोग की है, ताकि केंद्र सरकार के समस्त प्रयासों का पूरा फायदा किसानों को मिल सके। कृषिमंत्री ने सम्मेलन में राज्यों से आए हुए अधिकारियों से अपील की कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके राज्य में इन स्कीमों या मिशनों का सही क्रियांवयन हो। उन्होंने कहा कि हम सबका यह प्रयास होना चाहिए कि राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान, जिसके तहत 2 मई 2018 को देश के सभी विकास खंडों में किसान कल्याण कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा, में उस विकास खंड के किसान शामिल हों, जिसमें कृषि अधिकारी एवं वैज्ञानिक नई तकनीक से आय बढ़ाने पर चर्चा करेंगे और प्रगतिशील किसान अपनी सफलता की कहानी भी बताएंगे।
कृषिमंत्री ने बताया कि कृषि आय के अनुपूरक के रूपमें बांस के मूल्य श्रृंखला आधारित समग्र विकास के लिए वर्ष 2018-19 के बजट में राष्ट्रीय बांस मिशन की घोषणा की गई है, जो किसानों की आय वृद्धि का बेहतरीन जरिया बनेगा। उन्होंने कहा कि डेयरी एवं मात्स्यिकी विकास के लिए राष्ट्रीय डेयरी योजना, राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम और डेयरी उद्यमिता विकास स्कीम व नीली क्रांति जैसे कार्यक्रम क्रियांवित किए जा रहे हैं, जिनका पूरा लाभ किसान उठा सकते हैं। राधामोहन सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का मुख्य लक्ष्य न केवल कृषि के उन संभावनाशील क्षेत्रों की पहचान करना है, जिनमें ज्यादा निवेश होना चाहिए, वरन आय बढ़ाने के लिए उद्यानिकी और पशुपालन तथा मत्स्यपालन जैसे कृषि संबंधित क्षेत्रों के विविधीकरण पर विचारकर कृषि में जोखिम कम करने के तरीके सुझाना भी है, इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कृषि मंत्रालय खेती की लागत कम करने, उत्पादकता लाभ के माध्यम से उच्च उत्पादन करने, लाभकारीप्रतिफल सुनिश्चित करने और मौसम की अनिश्चितता को देखते हुए जोखिम प्रबंधन जैसे सतत कार्यों में लगा है।
राधामोहन सिंह ने कहा कि जहां तक एक तरफ उत्पादकता लाभ के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, बागवानी समेकित विकास मिशन, तिलहन और ऑयल पाम के लिए राष्ट्रीय मिशन, राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय पशुधन मिशन, नीली क्रांति जैसे योजनाएं चलाई जा रही हैं, वहीं कृषि लागत में कटौती के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड व नीम लेपित यूरिया के इस्तेमाल और प्रति बूंद से अधिक फसल संबंधी योजनाओं का सफल क्रियांनयन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लाभकारी आय स्रोत के सृजन के लिए ई-नाम, शुष्क और शीत भंडारण संसाधन, ब्याज की रियायती दरों पर भंडारण की सुविधाएं और कटाई पश्चात ऋण की सुविधा तथा वार्षिक आधार न्यूनतम सपोर्ट प्राइस बढ़ाने आदि पर जोर दिया गया है और जोखिम प्रबंधन एवं स्थायी पद्धतियां अपनाने हेतु प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना तथा उत्तरपूर्वी राज्यों के लिए जैविक खेती मिशन आदि के माध्यम से कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है।