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Friday 27 April 2018 03:38:45 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों की कमी एक बड़ी समस्या है, जिसका संभावित समाधान नए एमबीबीएस स्नातकों को पहला प्रमोशन देने से पहले उनकी ग्रामीण इलाकों में अनिवार्य तैनाती हो सकता है। उपराष्ट्रपति हीलिंग द हार्ट ऑफ हेल्थ केयर-लीविंग नो वन बिहाइंड विषय पर 15वें विश्व ग्रामीण स्वास्थ्य सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन का आयोजन एकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियंस ने किया था। उपराष्ट्रपति ने कहा कि बुनियादी ढांचे और मानव श्रम की कमी के कारण कम आय वाले और विकासशील देशों में प्रभावी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के मामले में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में भिन्नता देखने को मिलती है। उन्होंने कहा कि एशिया और प्रशांत क्षेत्रों के ग्रामीण तथा शहरी इलाकों में बड़ी असमानताएं हैं, जबकि अफ्रीका की 83 प्रतिशत ग्रामीण जनता की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच ही नहीं है। उन्होंने कहा कि आईएलओ की रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनियाभर के शहरी इलाकों में 30 लाख स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की कमी की तुलना में ग्रामीण इलाकों में 70 लाख स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की कमी है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि इस स्थिति में सुधार के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े सभी साझेदारों को मिलकर प्रयास करने चाहिएं। उन्होंने कहा कि एक विस्तृत तथा सुव्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाकर इन असमानताओं को दूर किया जा सकता है और सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित की जा सकती है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि निजी क्षेत्र, एनजीओ और एकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियंस ऑफ इंडिया जैसे डॉक्टरों के संगठन शहरों और गांवों के बीच भिन्नता को समाप्त करने में सरकार के प्रयासों में भागीदार बनकर वृहद भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए संभावित समाधान ये हो सकता है कि नए एमबीबीएस स्नातकों को पहला प्रमोशन देने से पहले उनकी ग्रामीण इलाकों में अनिवार्य तैनाती हो।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्टर-मरीज का कम अनुपात, कुशल अर्द्ध चिकित्सकों की कमी और खराब बुनियादी ढांचा जैसी प्रमुख कठिनाइयां एक प्रभावी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली देने में बाधाएं हैं, जिन्हें दूर करने के लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और गैर सरकारी संगठनों की सहायता से प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के समर्थन की आवश्यकता है। वेंकैया नायडू ने फैमिली डॉक्टर की अवधारणा को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने की आवश्यकता को उजागर करते हुए कहा कि एक फैमिली डॉक्टर समुदायों के भीतर पूरे परिवार की प्राथमिक और निरंतर देखभाल करता है, वह शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्याओं का समाधान करता है और जरूरत पड़ने पर अन्य विशेषज्ञों के साथ विस्तृत स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता है, फैमिली फिजिशियंस घातक, पुरानी बीमारियों के अलावा रोगनिरोधी चिकित्सा सेवा देता है। विश्व ग्रामीण स्वास्थ्य सम्मेलन में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे और गणमान्य नागरिक भी मौजूद थे।