स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 3 May 2018 04:50:59 PM
नई दिल्ली। पूंजीवादी एवं भोगवादी संस्कृति के खिलाफ और रंगकर्मियों की सामाजिक तथा आर्थिक सुरक्षा के पक्ष में मजदूर दिवस पर नई दिल्ली में सफदर हाशमी मार्ग मंडी हाउस पर प्रसिद्ध नाटक 'जनता पागल हो गई है' का मंचन हुआ। सांझा सपना संस्था के रंगकर्मियों ने विकल्प के साथ मंच सांझा किया। शिवराम के लिखित इस नाटक को हिंदी का पहला नुक्कड़ नाटक माना जाता है, इसे सबसे ज्यादा खेले गए नाटक का सम्मान भी प्राप्त है।
जनता पागल हो गई है, नाटक की प्रस्तुति के निर्देशक युवा रंगकर्मी आशीष मोदी थे। नाटक की मुख्य भूमिकाएं नेता-अभिजीत, पागल-महफूज आलम, जनता-विक्रांत, पूंजीपति-रजत जोरया, पुलिस अधिकारी-संदीप, सिपाही-हर्ष, शास्वत और सनी ने निभाईं, वहीं सहायक भूमिकाओं में आशीष मोदी, अपेक्षा और यश भी थे। नाटककार राजेश चंद्र ने इस अवसर पर मई दिवस पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह दुनिया के मज़दूरों और मेहनतक़शों के अधिकारों की प्राप्ति के बहादुराना संघर्षों और शहादतों को याद करते हुए एकजुट और निर्णायक संघर्ष के लिए संकल्प लेने का दिवस है। उन्होंने कहा कि यह संकल्प तबतक कायम है, जबतक दुनिया में बराबरी क़ायम नहीं हो जाती।
रंगकर्मी ईश्वर शून्य ने कहा कि रंगमंच के क्षेत्र में व्याप्त जिस संस्कृति की बात की जा रही है, वह पूंजीवाद और साम्राज्यवाद का ही एक उत्पाद है और उसका काम जनता के बुनियादी अधिकारों के लिए किये जाने वाले आंदोलनों को तोड़ना और उसके असंतोष को सहमति में बदलकर शासक वर्गों की सुरक्षा करना है। इस अवसर पर ट्रस्ट संस्था ने राजेश तिवारी के निर्देशन में कलंक नाटक की भी प्रभावशाली प्रस्तुति दी और अस्मिता थिएटर के जाने-माने रंगकर्मी अरविंद गौर के निर्देशन में क्रांतिकारी गीतों की प्रस्तुति दी गई।