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Tuesday 8 May 2018 01:11:57 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए निरंतर प्रयास किए जाने चाहिएं और हिंदी भाषा में सरल शब्दों तथा बोलचाल की भाषा का ज्यादा उपयोग और अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि तकनीकी विषयों पर पुस्तकों का अनुवाद विद्यालयों और भावी पीढ़ी तक जरूर पहुंचे, ताकि युवा वर्ग इन विषयों में रूचि ले और देश को भावी वैज्ञानिक मिलें। राजभाषा हिंदी के प्रयोग-प्रसार के संबंध में परमाणु ऊर्जा विभाग एवं अंतरिक्ष विभाग की संयुक्त हिंदी सलाहकार समिति की चौथी बैठक हो रही थी, जिसमें हिंदी के प्रचार-प्रसार पर लंबा विचार-विमर्श हुआ।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि समिति के सदस्यों ने जो सुझाव दिए हैं, उनके कार्यांवयन के लिए सभी विभाग प्रयास करेंगे। बैठक में परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव डॉ शेखर बसु, अंतरिक्ष विभाग में सचिव डॉ के शिवन, लोकसभा सांसद जनार्दन मिश्र, अजय मिश्रा टेनी, समिति के गैर सरकारी सदस्य और विभागों के उच्चाधिकारियों ने भी भाग लिया। उन्होंने कहा कि इन तीन-चार वर्ष में हुई परमाणु ऊर्जा विभाग एवं अंतरिक्ष विभाग की उपलब्धियों पर समाज और देश को गर्व है, जो वैज्ञानिकों के शोध तथा संकल्प के साथ परिश्रम के कारण ही संभव हो पाया है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि इस वर्ष अक्टूबर में चंद्रयान-II प्रक्षेपित किया जाएगा, जिससे महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकेगी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशानुसार तीन वर्ष पूर्व एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था, जिसमें अंतरिक्ष विभाग की प्रौद्योगिकी का विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के लिए उपयोग पर बल दिया गया था। परमाणु ऊर्जा विभाग के महत्वपूर्ण निर्णयों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा संयंत्र जो पहले पश्चिम और दक्षिण भारत तक सीमित थे, अब भारत के अन्य क्षेत्रों में भी स्थापित किए जा रहे हैं, हरियाणा के गोरखपुर में निर्माणाधीन परमाणु संयंत्र उसका एक उदाहरण है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी-समाज के लाभ के लिए शीर्षक पुस्तक, ऊर्जस्वी पत्रिका और समिति के सदस्यों डॉ दामोदर खड़से, डॉ ऋता शुक्ल, प्रोफेसर बी वायललि तांबा और डॉ आर सू की पुस्तकों का भी विमोचन किया। इस अवसर पर सरकार की राजभाषा नीति के प्रभावी कार्यांवयन हेतु गहन चर्चा की गई। बैठक में समिति के सदस्यों ने हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार संबंधित विषयों पर महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए, जिनमें प्रमुख सुझाव हैं-हिंदी की कार्यशालाओं का आयोजन, हिंदी में तकनीकी पुस्तकों की उपलब्धता, हिंदी भाषा के प्रयोग के लिए प्रोत्साहन तथा विभिन्न स्थानों पर रिक्त चल रहे पदों पर शीघ्र भर्ती इत्यादि।