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Thursday 10 May 2018 12:36:48 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने नौसेना कमांडरों के द्विवार्षिक सम्मेलन के पहले संस्करण का उद्घाटन किया और नौसेना के वरिष्ठ नेतृत्व को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नौसेना देश के समुद्री क्षेत्र की प्रतिबद्धता के साथ रक्षा कर रही है और उसका काम करने का तरीका बेहद पेशेवर है। रक्षामंत्री ने नौसेना के समुद्री क्षेत्र में जहाज, पनडुब्बी और एयरक्राफ्ट तैनात करने के तौरतरीकों पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि नौसेना का समुद्री बेड़ा, तस्करी, राहत एवं बचाव कार्य के समय प्रभावशाली भूमिका के लिए खुद को और बेहतर बनाएगा। उन्होंने कहा कि नौसेना की त्वरित कार्रवाई के प्रयासों के परिणाम दिखाई देने लगे हैं, भारतीय नौसेना ने इन कुछ महीनों में हिंद महासागर क्षेत्र में विपदा के समय त्वरित कार्रवाई का शानदार प्रदर्शन किया है।
रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हमारे समुद्री क्षेत्र का सीधा संबंध देश के आर्थिक विकास से है, जोकि बिना मजबूत नौसेना के संभव नहीं है और इसके लिए नौसेना को कोष के स्तर पर कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना ने श्रीलंका में बाढ़, बांग्लादेश और म्यांमार में समुद्री तूफान से हुई भारी क्षति के बीच जान-माल की रक्षा हेतु राहत और बचाव कार्यों में प्रभावी भूमिका निभाई है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि मेरा ऐसा मानना है कि एक राष्ट्र के तौर पर हम सच्चे अर्थों में तबतक आत्मनिर्भर नहीं बन सकते, जबतक हम खुद हथियार और रक्षा प्रणालियां विकसित नहीं करते।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस मामले में भारतीय नौसेना की भूमिका सराहनीय है, क्योंकि वह व्यापक स्तर पर शोध और विकास के स्तर पर विभिन्न एजेंसियों के साथ मिलकर सक्रिय रूपसे काम कर रही है। रक्षामंत्री ने स्वदेशीकरण पर जोर देते हुए कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि जहाज निर्माण से जुड़ी 32 हजार करोड़ से अधिक की निविदा जारी हो चुकी है और अनुबंध का कार्य अंतिम चरण में है। रक्षामंत्री ने आशा व्यक्त की कि स्वदेशी जहाज निर्माण उद्योग और प्रगति करेगा तथा भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। कमांडरों के साथ बातचीत में रक्षामंत्री ने नौसेना के डिज़िटलीकरण के प्रयासों की भी सराहना की।