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Thursday 10 May 2018 12:44:44 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने फार्मा एवं हेल्थकेयर की छठी वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और कहा कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय वैश्विक स्तर पर भारतीय फार्मास्यूटिकल्स उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। प्रदर्शनी में 130 देशों के 650 से भी अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें अनेक नियामक भी शामिल हुए। सुरेश प्रभु ने कहा कि सरकार उन सभी बाज़ारों में फार्मास्यूटिकल उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, जहां इनका प्रवेश अब तक नहीं हो पाया है, इन बाज़ारों में चीन भी शामिल है, जो भारतीय दवाओं की बाज़ार पहुंच और अपने विशाल बाज़ार में इनकी पैठ का मार्ग प्रशस्त करने के लिए एक उच्चस्तरीय द्विपक्षीय गोलमेज सम्मेलन करने पर सहमत हुआ है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने वैश्विक फार्मास्यूटिकल कंपनियों एवं नियामकों को सर्वोत्तम गुणवत्तापूर्ण एवं किफायती भारतीय दवाओं को लेकर आश्वस्त किया। उन्होंने नए बाज़ारों खासकर अफ्रीका के बाज़ारों में पहुंच सुनिश्चित करने की जरूरत पर विशेष बल दिया, जहां दवाओं का किफायती होना एक बड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा कि भारतीय निर्यातक इस पैमाने पर खरे उतर सकते हैं। उन्होंने प्रतिस्पर्धी एवं पूरक दोनों ही तरह की रणनीतियों की जरूरत पर विशेष बल दिया, ताकि फार्मास्यूटिकल क्षेत्र का हर खंड लाभांवित हो सके। उन्होंने कहा कि आपस में मिलकर काम करने के लिए पारंपरिक एवं निवारक दोनों ही तरह की दवाएं बनाने की जरूरत है। सुरेश प्रभु ने कहा कि जीनोमिक्स चिकित्सा के क्षेत्र में नई शाखा है, जो भारतीय फार्मास्यूटिकल क्षेत्र के लिए प्रमुख भूमिका निभा सकती है। इस अवसर पर वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया भी उपस्थित थीं। उन्होंने कहा कि फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में एकसमान गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि भारतीय फार्मास्यूटिकल उत्पाद सतत रूपसे गुणवत्ता एवं प्रभावकारिता को बनाए रखें।
भारत के औषध महानियंत्रक डॉ ईश्वर रेड्डी ने कारोबार में सुगमता बेहतर करने के कदमों का उल्लेख करते हुए अच्छी उत्पादन कार्यप्रणाली प्रमाणपत्र की वैधता को दो साल से बढ़ाकर तीन साल करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि क्लिनिकल परीक्षण के अनुमोदन से जुड़े प्रोटोकॉल में भी परिवर्तन किया गया है, इसके तहत 45 दिन की समयसीमा तय की गई है, यदि इस समय सीमा के भीतर मंजूरी प्राप्त नहीं होती है तो प्रोटोकॉल को स्वीकृत मान लिया जाएगा। भारतीय फार्मास्यूटिकल्स निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष मदनमोहन रेड्डी ने विश्वास जताया कि उत्पादन की प्रतिस्पर्धी लागत की बदौलत भारत में वैश्विक व्यवसाय को बनाए रखा जाएगा। उन्होंने भारत को फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में वैश्विक विनिर्माण का मुख्य स्रोत बनाने के विभिन्न कदमों के लिए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की सराहना की। फार्मेक्सिल के उपाध्यक्ष दिनेश दुआ ने कहा कि भारत जल्द ही जेनेरिक के अलावा अभिनव दवाओं के क्षेत्र में भी एक ऐसी ताकत बनकर उभरेगा, जिसका लोहा पूरी दुनिया मानेगी।