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Friday 11 May 2018 06:07:13 PM
पेरिस/ नई दिल्ली। फ्रांस में हो रहे कान फिल्म महोत्सव 2018 में भारतीय मंडप का उद्घाटन किया गया, जिसमें भारतीय सिनेमा के जानेमाने अभिनेता शरद केल्कर की मेजबानी में भारतीय प्रतिनिधिमंडल में फ्रांस में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा, भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय में संयुक्त सचिव अशोक कुमार परमार, लेखक, कवि और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की सदस्य वाणी त्रिपाठी टिक्कू, निर्माता और निर्देशक, मार्च दू फिल्म महोत्सव, कान फिल्म मार्केट के कार्यकारी निदेशक जेरोम पैलार्ड, फिल्म अभिनेत्री हुमा कुरैशी, फिल्म निर्माता शाजी करून, जानू बरुआ, भरत बाला शामिल हुए। इस वर्ष भारत के प्रतिनिधिमंडल का एजेंडा हमारे देश की फिल्मों में विविधता को प्रदर्शित करने के साथ ही अन्य विभिन्न देशों के साथ सहयोग बढ़ाना है।
फ्रांस में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने भारतीय सिनेमा के जरिए राष्ट्र की प्रगति को बेहतर तरीके से प्रदर्शित किए जाने पर कहा है कि भारत में इस समय प्रौद्योगिकी और अर्थव्यवस्था में असाधारण परिवर्तन हो रहे हैं और इस प्रगति को भारतीय सिनेमा में प्रदर्शित किया गया है। जरोम पैलार्ड ने कहा कि यूरोपीय और पूरे विश्व के फिल्म समुदाय के बीच सम्पर्क स्थापित करने में भारतीय मंडप बहुत महत्वपूर्ण है। भारत और फ्रांस के सिनेमा के बीच समन्वय के बारे में वाणी त्रिपाठी टिक्कू ने कहा कि भारत के कान फिल्म महोत्सव और फ्रांस के फिल्म उद्योग के साथ बहुत अच्छे संबंध है। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड की हाल ही की तमाशा और बेफिक्रे जैसी फिल्मों की शूटिंग इस क्षेत्र में की गई थीं और इनके कथानक में भी दोनों देशों के बीच की समानता नज़र आई थी।
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने कहा कि हमें ऐसे युवा फिल्मकारों तक पहुंच बनानी चाहिए, जो कान जैसे फिल्मोत्सवों में नहीं पहुंच पाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अधिक से अधिक फिल्म निर्माताओं की मदद के लिए पूरे विश्व में लघु कान फिल्मोत्सव आयोजित करने चाहिएं। प्रसून जोशी की भारत और फ्रांस के बीच सहनिर्माण के अवसरों का पता लगाने के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल की युनीफ्रांस की महानिदेशक ईसाबेल जिओर्दानो, अंतरराष्ट्रीय विभाग सीएनसी फ्रांस के निदेशक एम लोईक वोंग, फिल्म फ्रांस की सीईओ वैलेरी एल'एपिन-कर्निक के साथ बैठक भी हुई। ब्राजील, फिलिपिंस, ऑस्ट्रिया, नॉर्वे, स्वीडन, ताईवान, कनाडा और न्यूज़ीलैंड के साथ भी सहयोग के अवसर तलाशने के लिए चर्चा की गई। इस दौरान इन देशों के फिल्म आयुक्तों ने भारत के साथ सहनिर्माण के अवसरों और चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया। विभिन्न भारतीय स्टूडियो और प्रोडक्शन हाऊस के प्रमुखों के साथ भी चर्चा हुई, जिसमें विभिन्न भाषाओं की फिल्मों को कैसे अधिक व्यवहार्य बनाया जाए और देश में सरकार फिल्म निर्माताओं की क्या मदद कर सकती है, पर गहन विचार-विमर्श हुआ।