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Tuesday 15 May 2018 03:11:30 PM
नई दिल्ली। दिल्ली में लोगों को जेल की बेड़ी में जकड़ा सुल्ताना डाकू देखने को मिला। दिल्ली के प्रगति मैदान में चतुर्थ अंर्तराष्ट्रीय पुलिस एक्स्पो में उत्तर प्रदेश पुलिस का स्टाल लगाया गया था, जिसमें यूपी पुलिस की ऐतिहासिक यात्रा और उसके तकनीकी विकास को प्रदर्शित किया गया था, उसमें सुल्ताना डाकू को दिखाया गया। इस चित्र को सर्वाधिक लोगों ने देखा है। इस पुलिस एक्स्पो में उत्तर प्रदेश पुलिस को आधुनिक तकनीक के प्रयोग के लिए पुलिस एक्सीलेंस अवार्ड प्रदान किया गया है। पुलिस एक्सपो में उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपनी प्राचीन विरासत, मौजूदा तकनीक और भविष्य की योजनाओं को प्रदर्शित कर दर्शकों को खूब आकर्षित किया। उत्तर प्रदेश पुलिस ने 17वीं-18वीं शताब्दी में सुरक्षा-संरक्षा के लिए प्रयोग की गई केंचुकी बंदूक प्रदर्शित की, नई टेक्नोलॉजी के साथ यूपी-100 की उपलब्धियां प्रदर्शित कर भविष्य में राजधानी लखनऊ में पुलिस मुख्यालय की इमारत कैसी होगी इसे चित्रों के माध्यम से दिखाया।
यूपी पुलिस ने अपने कारनामों के पुराने चित्रों को दिखाकर प्रदर्शनी को यादगार बनाया। सुल्ताना डाकू का असली चित्र भी प्रस्तुत किया गया। सुल्ताना की यह तस्वीर यूपी पुलिस के पास उसका असली नाम सुल्ताना भातू था। यह एक अत्यंत पिछड़ी जाति है, जिसके लोग मुरादाबाद के आसपास के गांवों में रहते हैं। बिजनौर जनपद में नजीबाबाद के पास नजीबउद्दौला के किले में अंग्रेज शासन ने सुल्ताना सहित भातुओं के अनेक युवाओं को निरुद्ध किया हुआ था, कुछ युवाओं के साथ सुल्ताना वहां से भाग निकला और अंग्रेज अधिकारियों एवं बिजनौर जनपद के अंग्रेजों के पिठ्ठू जमीदारों के लिए वह बड़ी चुनौती बन गया। उस समय देश में स्वतंत्रता आंदोलन अपने चरम पर था और सुल्ताना ने बहुत अंग्रेज मारे थे। है। कहा जाता है कि बिजनौर के फ्रायड यंग एंड मिलिट्री पुलिस के तत्कालीन एसपी ने सन 1925 में उसे बिजनौर जिले में एक पठान की मुखबिरी से गिरफ्तार किया था। सुल्ताना की यह फोटो उस वक्त की है, जब उसे फांसी की सजा सुनाई गई थी, देख सकते हैं कि उस समय भी सुल्ताना विचलित नहीं हुआ था। सुल्ताना के डाकू होने के बारे में विवाद है और कहा जाता है कि उसने स्वतंत्रता सेनानियों का साथ दिया था, बहरहाल उसे डाकू घोषित करके उसे पकड़ने के लिए अंग्रेजों ने प्रदेशभर की पुलिस लगाई थी। उसे उसके पंद्रह साथियों के साथ आगरा की सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी।
पुलिस एक्स्पो में इसके अलावा पीएसी मेल चतुर्थ वाहिनी इलाहाबाद 1950 का वाहन, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन पुलिस मंत्री यानी गृहमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पीएसी बटालियन एथलेटिक्स 1950 का चित्र तथा भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की लखनऊ पुलिस लाइन में पुलिस कलर प्राप्त करने की फोटो दर्शाई गई। वुमेन पावर लाइन 1090 तथा महिला सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध यूपी-100 किस तरह सूबे की महिलाओं के लिए कारगर है, इस जानकारी ने भी दर्शकों को आकर्षित किया। यूपी-100 के एडीशनल एसपी अशोक कुमार वर्मा बताते हैं कि उनके यहां रोजाना तकरीबन पौने दो लाख कॉल आती हैं, यह विश्व की सबसे बड़ी एकीकृत आपातकालीन प्रबंधन प्रणाली है, जिसे देश-दुनिया के लोग देखने जानने के लिए आते हैं। उन्होंने बताया कि करीब एक वर्ष की अवधि में 65.47 लाख फोन सूचनाओं पर तुरंत कार्रवाई की गई और 10.42 लाख विवादों में जरूरी कार्रवाई की गई, करीब 3.57 लाख सड़क हादसों में घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया एवं 977 लोगों को आत्महत्या करने से रोककर उनकी जान बचाई गई। उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल भी पुलिस एक्स्पो में प्रदर्शित किए गए। इस प्रदर्शन के फलस्वरूप यूपी पुलिस को एक्सीलेंस अवार्ड प्राप्त हुआ।