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Saturday 19 May 2018 01:25:28 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा है कि स्वस्थ भारत के लिए स्वच्छ भारत पहली शर्त है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों का काम सिर्फ युवाओं को चिकित्सा ज्ञान और कौशल प्रदान करना ही नहीं, बल्कि उन्हें एक ऐसा सजग नागरिक भी बनाना भी है, जो नैतिक मूल्यों और ईमानदारी के उच्च मानदंडों का पालन करें। उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि एक वर्ष की योजना बनाने वाला व्यक्ति अनाज उपजाता है, दस वर्ष की योजना बनाने वाला फल देने वाले वृक्ष लगाता है और कई पीढ़ियों की योजना बनाने वाला एक संपूर्ण मानव तैयार करता है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि स्वस्थ भारत के लिए जनस्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञों, पेशेवरों, स्थानीय निकायों और सामुदायिक संस्थाओं को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव और चिकित्सकों तथा अर्ध चिकित्सकों की कमी एक बड़ी चुनौती है, इसके लिए देश को मेडिकल कॉलेजों या फिर अर्द्धचिकित्साकर्मियों के रूपमें बड़ी संख्या में मानव संसाधन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में डॉक्टरों को भगवान के समकक्ष माना गया है, ऐसे में चिकित्सा के पेशे में शामिल होने वाले सभी लोगों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह उन रोगियों के विश्वास और भरोसे को कायम रखें, जो उनसे उपचार करा रहे हैं। उन्होंने डॉक्टरों को सलाह दी है की वह अपने पेशे में हर स्तर पर नैतिकता और ईमानदारी के उच्च मानदंडों को बनाए रखें।
वेंकैया नायडू ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के सभी छात्र इस प्रतिष्ठित संस्थान की परंपरा को आगे लेकर जाएंगे और एक स्वस्थ भारत के निर्माण में योगदान करेंगे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन भारतीय पंरपरा के अनुसार डॉक्टरों का नाम पूरी श्रद्धा के साथ लिया जाता है, उन्हें वैद्यो नारायणो हरिथि कहा गया है। उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि आप जिस महान पेशे से जुड़े हैं, उसमें रोगों को समझने उसके निदान और उसके उपचार के सामर्थ्य वाला दिव्य स्पर्श शामिल है। उपराष्ट्रपति ने मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों से कहा कि विज्ञान और चिकित्सा के इस्तेमाल में युवा पेशेवरों को प्रशिक्षण देना पुण्य का कार्य है, आप न केवल छात्रों को ज्ञान दे रहे हैं और उन्हें कौशल को आत्मसात करने में मदद कर रहे हैं, बल्कि मूल्यों के समावेशन को भी बढ़ावा दे रहे हैं। वेंकैया नायडू ने कहा कि संयम, समझ, सहानुभूति और उपशामक भाव तथा कुशल आकलन चिकित्सा में सफल करियर के लिए महत्वपूर्ण है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि निजी क्षेत्र को न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में शहरों और गांवों के बीच की खाई को पाटने में सरकार के प्रयासों में मदद करनी चाहिए, बल्कि अधिक मानवीय और लोकहितैषी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चिकित्सा सेवा सस्ती और सुगम्य हो। वेंकैया नायडू ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन के लिए सरकार की सराहना की, जिससे 50 करोड़ गरीब और आर्थिक रूपसे कमजोर लोगों को सार्वभौमिक चिकित्सा सेवा प्रदान की जा सकेगी। दीक्षांत समारोह को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि स्नातक हुए छात्रों को अपना कौशल और ज्ञान हमेशा बढ़ाते रहना चाहिए, उन्हें समाज और जिन मरीजों का इलाज कर रहे हैं, उनके प्रति अपनी जिम्मेदारियों को नहीं भूलाना चाहिए और आपके प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य जनता की सेवा है और गरीबी इसके बीच में नहीं आनी चाहिए। समारोह में 81 स्नातकोत्तर और 175 स्नातक छात्रों को डिग्री प्रदान की गई। इस अवसर पर स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल, डीजीएचएस डॉ प्रमिला गुप्ता, अपर स्वास्थ्य सचिव संजीव कुमार, एलएचएमसी के निदेशक डॉ राजीव गर्ग, वरिष्ठ अधिकारी और संस्थान के प्राध्यापक भी मौजूद थे।