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Tuesday 22 May 2018 06:02:41 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने कहा है कि केरल में निपाह वायरस और उसके कारण होने वाली मौतों से उत्पन्न स्थिति पर सरकार एवं स्वास्थ्य मंत्रालय कड़ी नजर रखे हुए है। उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि वे सोशल मीडिया में डाली गई अफवाहों पर ध्यान न दें और दहशत न फैलाएं। उन्होंने मंत्रालय में स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव के साथ मामले की समीक्षा की एवं निपाह वायरस की रोकथाम में केरल को हर संभव सहायता देने का निर्देश भी दिया। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र का एक बहुविषयक केंद्रीय दल इस समय केरल में है और वह लगातार वायरस संक्रमण की समीक्षा कर रहा है। इस दल में एनसीडीसी के निदेशक डॉ सुजीत के सिंह, एनसीडीसी में महामारी विज्ञान प्रमुख डॉ एसके जैन, आपात चिकित्सा राहत के निदेशक डॉ आर रवींद्रन, एनसीडीसी में जुनोसिस प्रमुख डॉ नवीन गुप्ता, एम्स में आंतरिक चिकित्सा के प्रोफेसर डॉ आशुतोष बिस्वास, सफदरजंग अस्पताल में फेफड़े संबंधी रोगों के विशेषज्ञ डॉ दीपक भट्टाचार्य, दो और चिकित्सक एवं पशुपालन मंत्रालय का एक विशेषज्ञ शामिल है।
एनसीडीसी के दल ने केरल के पैराम्बरा में उस घर का दौरा किया, जहां पर कथित रूपसे इस वायरस से पहले रोगी की मृत्यु की ख़बर मिली थी। डॉक्टरों के दल ने पाया है कि जिस कुएं से परिवार के लोग पानी निकालते थे, उसमें अनेक चमगादड़ हैं, कुछ चमगादड़ों को पकड़ लिया गया और यह पता लगाने के लिए प्रयोगशाला में भेज दिया गया कि क्या वही इस बीमारी का कारण हैं अथवा नहीं। केरल में घटनास्थल से 60 अलग-अलग नमूने एकत्र किए गए हैं और उन्हें जांच के लिए भेज दिया गया है। पहले रोगी के सम्पर्क में आने के दो मामलों की पुष्टि हुई है, इन मरीजों को कालीकट मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां निपाह वायरस के कारण उनकी मृत्यु हो गई। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और केरल सरकार का कहना है कि संयुक्त रूपसे बहुत जल्दी और तेज़ी से इसे रोकने के उपाय कर लेने से इस बीमारी के और अधिक फैलने की संभावना नहीं है। मणिपाल अस्पताल में वायरस रिचर्स डायग्नोस्टिक लेबोरेट्री और नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ वायरोलॉजी को किसी भी प्रकार की चुनौती से निपटने के लिए तैयार रखा गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एनसीडीसी की कोझिकोड शाखा से एक सार्वजनिक स्वास्थ्य दल को स्थिति की गंभीरता का पता लगाने, जोखिम का आकलन करने और जोखिम प्रबंधन के लिए तैयार किया है। यह दल राज्यस्तरीय दल की सहायता कर रहा है। अबतक बेबी मेमोरियल अस्पताल और कोझिकोड के सरकारी मेडिकल कॉलेज और एरनाकुलम स्थित अमृता मेडिकल कॉलेज में 7 मरीजों को भर्ती कराया जा चुका है। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने अस्पतालों को सलाह दी है कि वे इंट्राक्रेनियल प्रेशर संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करें, स्वास्थ्य देखरेख में लगे और नमूने एकत्र करने वाले कार्यकर्ता व्यक्तिगत सुरक्षित उपकरणों का इस्तेमाल करें, समुदाय में बुखार होने पर उसकी सक्रिय निगरानी में सहायता करें, इससे पीड़ित मरीजों, उनके रिश्तेदारों, स्वास्थ्य देखभाल कर रहे कर्मचारियों के संपर्क का पता लगाने में तेज़ी लाएं, मरीज को एकांत में रखने की सुविधा, वेंटीलेटर, सहायता तथा अस्पताल में संक्रमण नियंत्रण प्रक्रिया सुनिश्चित करें और पशु क्षेत्र के साथ समन्वय कायम करें एवं पशुओं की असामान्य बीमारियों और उनकी मृत्यु होने पर निगरानी बढ़ाएं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने नैदानिक किट, व्यक्तिगत सुरक्षात्मक उपकरण तथा जोखिम, सम्पर्क सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित की है। स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों को उच्च गुणवत्ता वाले व्यक्तिगत सुरक्षात्मक उपकरण प्रदान किए गए हैं। इस समय कुल 9 व्यक्तियों का इलाज चल रहा है। कोझिकोड के अनेक अस्पतालों में एकांत वार्ड खोल दिए गए हैं। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के अस्पतालों में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण प्रदान किए गए हैं। घरेलू जानवरों जैसे सुअरों के बीच इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए उपयुक्त कदम उठाए गए है। चूंकि सम्पर्क में आने वाले सभी लोगों पर नज़र रखी जा रही है और पशुओं के जरिए इसे फैलने से रोकने के लिए कदम उठाए गए हैं, इसलिए लोगों के दहशत में आने का कोई कारण नहीं है।