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शिक्षक मूल्यांकन ग्रेडिंग प्रणाली और सरल

यूजीसी के उच्चशिक्षा गुणवत्ता सम्पन्नता के नए नियम

एपीआई आधारित पीबीएएस प्रणाली समाप्त कर दी गई

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 14 June 2018 11:54:27 AM

hrd minister prakash javadekar

नई दिल्ली। भारत के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में उच्च गुणवत्ता सम्पन्न शिक्षकों और अन्य शैक्षिक स्टॉफ को आकर्षित करने एवं उनके स्तर को बनाए रखने के लिए यूजीसी ने नए नियम बनाए है, इन नियमों की विशेषताएं हैं कि 2010 के नियम और बाद के संशोधनों में शिक्षकों के प्रोत्साहन संबंधी प्रावधान बने रहेंगे, इनमें एमफिल और पीएचडी के लिए प्रोत्साहन शामिल है। भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जानकारी दी है कि एपीआई आधारित पीबीएएस प्रणाली समाप्त कर दी गई है और एक नई सरल शिक्षक मूल्यांकन ग्रेडिंग प्रणाली लागू की गई है, शोधकार्य में सुधार के लिए विश्वविद्यालयों के लिए भी शोध अंक जोड़े गए हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के लिए सीएएस के अंतर्गत पदोन्नति मानक को और अधिक शोध केंद्रित बनाया गया है, जबकि कॉलेज में शिक्षकों के मामले में सीएएस मानक में शिक्षण पर अधिक फोकस किया गया है।
प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि यूजीसी के नए नियमों के अनुसार पहलीबार कॉलेजों में प्रोफेसर स्तर तक पदोन्नति के लिए प्रावधान किया गया है, शीर्ष 500 ग्लोबल रैंकिंग के विश्वविद्यालय या संस्थान से पीएचडी डिग्री प्राप्तकर्ताओं के लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर की भर्ती के लिए विशेष प्रावधान किया गया है, नियम में विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और उच्च शिक्षण संस्थानों में सहायक प्रोफेसर की नई भर्ती के लिए एक महीने के इंडक्शन कार्यक्रम को लागू करने का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि कॉलेजों में 1 जुलाई 2021 से सहायक प्रोफेसर यानी सेलेक्शन ग्रेड पद पर पदोन्नति के लिए पीएचडी डिग्री को अनिवार्य बना दिया गया है, विश्वविद्यालयों में 1 जुलाई 2021 से सहायक प्रोफेसरों की सीधी भर्ती के लिए पीएचडी डिग्री अनिवार्य होगी, लेकिन नेट और पीएचडी डिग्री के साथ स्नातकोत्तर डिग्री कॉलेजों में सहायक प्रोफेसरों के पद पर सीधी भर्ती के लिए न्यूनतम पात्रता मानक बनी रहेगी। उन्होंने बताया कि पहलीबार विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में एमओओसी तथा ई-कंटेंट के मामले में सीएएस के लिए भारिता यानी वेटेज निर्धारित की गई है।
शोध सुविधाएं, कौशल तथा संरचना साझा करने के लिए राज्य के अंदर विश्वविद्यालयों में रिसर्च क्लास्टर बनाए जाएंगे, ताकि संसाधनों का अधिकतम उपयोग हो सके और उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच तालमेल बन सके। विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों की वर्तमान स्वीकृत संख्या के दस प्रतिशत तक वरिष्ठ प्रोफेसरों के रूपमें नियुक्ति की जाएगी। विश्वविद्यालयों में वरिष्ठ प्रोफेसरों की नियुक्त सीधी भर्ती के माध्यम से तथा सीएएस के अंतर्गत पदोन्नति के जरिए होगी। कॉलेज में शिक्षकों को पीएचडी और एमफिल स्कॉलरों के शोध निरीक्षण के लिए विश्वविद्यालय अनुमति देंगे और आवश्यकता आधारित सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे। खेलों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से सहायक निदेशक या कॉलेज निदेशक, शारीरिक शिक्षा तथा खेल और उप-निदेशक, शारीरिक शिक्षा और खेल के लिए पात्रता मानक में ओलंपिक, एशियाई खेलों एवं राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेताओं की विशेष श्रेणी बनाई गई है। गौरतलब है कि भारत का विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी केंद्र सरकार का एक उपक्रम है, जो सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को अनुदान प्रदान करता है। यही आयोग विश्वविद्यालयों को मान्यता भी देता है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है और इसके छह क्षेत्रीय कार्यालय पुणे, भोपाल, कोलकाता, हैदराबाद, गुवाहाटी एवं बंगलुरु में हैं।

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