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Monday 9 July 2018 11:32:54 PM
नई दिल्ली/ लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल समेत बिहार के कुछ इलाकों में दहशत का पर्याय मुन्ना बजरंगी के बागपत की जेल में गोलियों से भून दिए जाने के बाद यह आशंका सही साबित हो रही है कि योगी राज में पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के भय से ज़मानत तुड़ाकर जेल में शरण पा रहे माफियाओं और बदमाशों के बीच जेलों के भीतर गैंगवार शुरू हो सकती है, प्रेमप्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी का हश्र इसीका साक्षात प्रमाण है। जेल में बंद पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुख्यात अपराधी सुनील राठी ने मुन्ना बजरंगी को जिस तरह ढेर किया है, यह ऐसी ही मौत है कि अब उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद और भी माफियाओं हत्यारों और बदमाशों के जीवन की खैर नहीं लगती है, भले ही राज्य की पुलिस और जेलों का प्रशासन जेलों में कितनी ही कड़ी सुरक्षा और निगरानी कर ले। इस घटना में चार पांच जेल कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है और मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं, मगर इस मामले का सबसे खतरनाक पक्ष यह है कि सब तरफ चौकसी के दावे के बावजूद जेल में कैदियों के पास हथियार कैसे पहुंचे हैं और पहुंच रहे हैं? मुन्ना बजरंगी को एक मामले में पेशी के लिए झांसी से बागपत जेल लाया गया था और दस-बारह घंटे के अंतराल में ही सुबह के समय बैरक में कुत्ते की मौत मरा पाया गया।
बागपत की जेल में बंद सुनील राठी को एक दिन पहले ही बागपत की जेल में आए मुन्ना बजरंगी को मौत के घाट उतारने का मौका मिल गया। यह मामला सुनियोजित है या अचानक अंजाम हुआ, यह तो जांच से ही पता चलेगा, किंतु इसके पीछे जेलों में गैंगवार की एक शुरूआत लग रही है, जो कहीं से भी प्रायोजित हो सकती है। उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध के गैंग के कुख्यात सरगना और अपराधी इस समय विभिन्न जेलों में हैं, सुनील राठी भी उनमें एक है और उसका भी एक बड़ा आपराधिक इतिहास है। वह जेल से ही अपने गैंग को चला रहा है। उसने यह खेल किसके इशारे पर किया, सबकी यही जानने में सबसे ज्यादा दिलचस्पी है। यहां एक तथ्य ग़ौर के काबिल है कि कुछ अपवादों को छोड़कर उत्तर प्रदेश में पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपराध जगत में सक्रिय माफियाओं हत्यारों और दबंगों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का वर्चस्व देखा गया है और पूर्वी उत्तर प्रदेश का अपराधी या माफिया जल्दी से पश्चिमी उत्तर प्रदेश से पंगा नहीं लेता है, पूर्वांचल का अपराधी श्रीप्रकाश तिवारी भी ऐसे ही मारा गया था, भले ही उसे मारने में पुलिस ने नाम कमाया था। यह भी एक तथ्य है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जेलें सबसे ज्यादा धनवान हैं और यहां पोस्टिंग पाने के लिए भी जेल कार्मिकों और अधिकारियों में आपस में 'गैंगवार' होती है।
इस समय जो हालात हैं, उन्हें देखते हुए जेल में बंद माफिया डॉन मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, बनारस के अपराधी ब्रजेश सिंह और डॉन बब्लू श्रीवास्तव जैसे अनेक माफियाओं और हत्यारों का जीवन भी अब खतरे में समझा जा रहा है। मुन्ना बजरंगी जेल में बंद माफिया सरगना मुख्तार अंसारी का खास आदमी रहा है और कहा जाता है कि उसने उसके कहने पर भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या की थी, जिसमें वह सज़ायाफ्ता था। मुन्ना बजरंगी गैंग के शार्प शूटर अनुराग त्रिपाठी की भी इसी प्रकार वर्ष 2005 में वाराणसी जेल में गोली मारकर हत्या की गई थी। इस हत्या का आरोप एक अपराधी संतोष गुप्ता उर्फ किट्टू पर लगा था, बाद में किट्टू भी पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया था। मुन्ना बजरंगी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले का रहनेवाला था और जानकारी मिलती है कि वह सत्रह-अठारह वर्ष की उम्र से ही पेशेवर अपराधी बन गया था। मुन्ना बजरंगी और उसकी पत्नी सीमा सिंह ने हत्या की आशंका व्यक्त की थी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सुरक्षा की गुहार भी लगाई थी, लेकिन सरकार जनसामान्य को सुरक्षा नहीं दे पा रही है तो मुन्ना बजरंगी जैसे हत्यारों, पेशेवर हिस्ट्रीशीटरों को क्या संरक्षण दे पाएगी?
योगी आदित्यनाथ सरकार में अपराधियों के विरुद्ध अभियान में या तो अनेक बदमाश हत्यारे और माफिया पुलिस मुठभेड़ में मारे जा रहे हैं, गिरफ्तार किए जा रहे हैं या फिर मुठभेड़ में मारे जाने के डर से पुलिस के सामने सरेंडर कर रहे हैं या ज़मानत रद्द कराकर जेलों में शरण ले रहे हैं। इस समय यूपी की जेलें इनकी न केवल शरणगाह बन रही हैं, बल्कि जेलों के अधिकारियों की ज़बरदस्त कमाई भी करा रही हैं। जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदियों की संख्या इनके लिए वरदान बनी हुई है। यहां उन्हीं कैदियों को राहत है, जो जेल स्टाफ और जेलरों पर पानी की तरह पैसा फूंक रहे हैं। जेलों में बंद माफिया सरगनाओं को लग रहा था कि योगी सरकार में जेल में रहना ज्यादा सुकूनभरा रहेगा, इसी बात से योगी सरकार भी परेशान है, क्योंकि माफिया और हत्यारे जेल में अपने को ज्यादा सुरक्षित पाकर जेल से ही हत्या फिरौती रंगदारी का करोबार चला रहे हैं, लेकिन आज मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या से न केवल अपराधियों में दहशत व्याप्त हो गई है, अपितु जेल से ताबड़तोड़ संगठित अपराध चलाने की पोल खुलने से जेल के अधिकारी भी भयभीत हैं, देखिए आगे क्या होता है।