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Wednesday 11 July 2018 02:27:23 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने कृषि को सक्षम और सतत प्रक्रिया बनाने के लिए शून्य-बजट आधारित प्राकृतिक कृषि को अपनाने का आग्रह किया। उपराष्ट्रपति ने दिल्ली में एक बैठक में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, कृषि विशेषज्ञ सुभाष पालेकर और आंध्रप्रदेश सरकार के सलाहकार विजय कुमार के साथ बातचीत करते हुए यह बात कही। यह बातचीत किसानों की आय को दोगुना करने और कृषि को लाभप्रद व सतत बनाने के राष्ट्रीय परिचर्चा कार्यक्रम का हिस्सा थी। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने उपराष्ट्रपति को किसानों की आय दोगुनी करने के लिए हिमाचल प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों की जानकारी दी।
कृषि विशेषज्ञ सुभाष पालेकर और विजय कुमार ने उपराष्ट्रपति को कृषि की उत्पादन लागत कम करने के लिए शून्य-बजट आधारित प्राकृतिक कृषि के बारे में जानकारी दी। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने कहा कि कृषि को लाभप्रद बनाने के लिए राष्ट्रीय परिचर्चा में विचार-विमर्श किया जा रहा है। पुणे में राष्ट्रीय परिचर्चा में कृषि के विभिन्न आयामों पर विचार-विमर्श किया गया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि को लाभप्रद बनाने के लिए नवोन्मेषी समाधानों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि किसानों के समक्ष आज अधिकता की समस्या है और कृषि लागत में भी बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादों की खरीद से संबंधित व्यवस्था को दुरुस्त किया जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया। उपराष्ट्रपति ने प्राकृतिक कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि कृषि संकट को कम करने के लिए अन्य राज्यों को हिमाचल प्रदेश के तरीकों को अपनाना चाहिए। वेंकैया नायडु ने कहा कि कृषि में ऐसे तरीके अपनाए जाने चाहिएं, जो जलवायु परिवर्तन का सामना कर सकें। उन्होंने कहा कि कृषि और संबंधित क्षेत्र में बिचौलियों की भूमिका को समाप्त किया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने शून्य-बजट प्राकृतिक कृषि पर परिचर्चा के लिए नीति आयोग की भी सराहना की।