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Friday 13 July 2018 01:05:42 PM
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय को नए सिरे से राजनीति का मुद्दा बनाने की कोशिश सामने आ रही है। लखनऊ विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गतिरोध एवं हिंसक घटनाओं के बहाने लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के कुछ भूतपूर्व अध्यक्ष और पदाधिकारी अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने सामने आ गए हैं। अतुल कुमार अनजान, सत्यदेव त्रिपाठी, अरविंद सिंह गोप, अरविंद कुमार सिंह, राजपाल कश्यप लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे हैं, जिन्होंने रायल कैफे लखनऊ में एक संयुक्त प्रेस कॉंफ्रेंस करके यह जताने की कोशिश की है कि वे ही लखनऊ विश्वविद्यालय के खैरख्वाह हैं और बाकी कोई भी नहीं है। इनका कहना है कि लखनऊ विश्वविद्यालय को कबूतरखाना बना दिया गया है, मुख्यमंत्री और राज्यपाल आजकल लखनऊ विश्वविद्यालय पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, लखनऊ विश्वविद्यालय की घटनाएं यहां का शैक्षणिक सांप्रदायिक और प्रशासनिक माहौल खराब कर रही हैं। दूसरी ओर कहने वाले कह रहे हैं कि प्रशासन की सख्त रणनीतियों से लखनऊ विश्वविद्यालय के खिलाफ एक बड़ी साजिश विफल हो चुकी है अब यह एक नई साजिश है, जो पूर्व छात्र नेताओं के गठजोड़ से रची जा रही है।
अतुल कुमार अंजान ने एलयू का माहौल ठीक करने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ का चुनाव कराए जाने की मांग की है। उन्होंने सवाल किया कि सरकार छात्रसंघ चुनाव से क्यों भाग रही है? उन्होंने कहा कि हम सभीने प्रतिवेदन दिया है कि अगर तीन हफ्ते में यह काम नहीं हुआ तो हम आंदोलन करेंगे। अतुल कुमार अंजान ने कहा कि हम हिंसा का समर्थन नहीं करते पर हम संवाद के नाम पर लखनऊ विश्वविद्यालय को कबूतरखाना नहीं बनने देंगे। लखनऊ विश्वविद्यालय के लिए चिंतित इन पूर्व छात्र नेताओं में अतुल कुमार अंजान कम्युनिस्ट पार्टी में हैं, सत्यदेव त्रिपाठी कांग्रेस के नेता हैं, अरविंद सिंह गोप और राजपाल कश्यप आदि समाजवादी पार्टी में हैं। माना जाता है कि एलयू की हिंसक हवा के पीछे एलयू के कुलपति की कुर्सी और कुछ शिक्षक भी हैं, जो ऐसे अवसरों का लाभ उठाने की ताक में रहते हैं, मगर सामने नहीं आ रहे हैं। कहते हैं कि एलयू को जेएनयू बनाने की कोशिश की गई थी और यह भी कहा जाता है कि यह मामला जल्दी संभल गया, जिसके पीछे हाईकोर्ट, राजभवन और लखनऊ के जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा के संयुक्त प्रयास उल्लेखनीय हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय इस समय शांत है और शैक्षणिक व्यवस्था पटरी पर आ गई है, मगर छात्रसंघ के इन पूर्व नेताओं के गठजोड़ के इरादे क्या हैं, ये आसानी से समझे जा सकते हैं, जिनपर एलयू प्रशासन और जिला प्रशासन की पैनी नज़र है। सभी ने देखा है कि पिछले दिनों लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों से मारपीट और कुलपति पर हमला जैसी हिंसक अराजकता के पीछे समाजवादी पार्टी के पालतू ग़ुंडे पाए गए, जो आज सलाखों के पीछे हैं और जिनके माँ-बाप और परिजनों ने सपा के बड़े नेताओं पर भारी दबाव बनाया हुआ है कि वे उनकी पैसे से लेकर कोर्ट कचहरी तक पैरवी करें, क्योंकि एलयू में उनसे यह हिंसक कर्मकांड सपा के ही नेताओं ने कराया है, जिसमें उनके खिलाफ इतनी गंभीर धाराएं लगाई गई हैं कि उनकी जल्दी से ज़मानत भी नहीं हो सकेगी, एलयू की इस घटना का हाईकोर्ट तक ने संज्ञान लिया है और नामजद और अज्ञात लड़कों एवं उनके परिवार तकपर पुलिस ने शिकंजा कसा हुआ है। यहां यह उल्लेखनीय है कि राज्य के स्कूल कालेजों के परिसरों में छिटपुट हिंसक मामलों में भी सपा अक्सर छात्रों को उकसाकर उनका राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करती आई है, बनारस विश्वविद्यालय की हिंसक घटना में भी सपा की संलिप्तता पाई गई थी।
समाजवादी पार्टी ने सुनियोजित रूपसे इन पूर्व नेताओं का भी इस्तेमाल ही किया है और लखनऊ विश्वविद्यालय की इस हिंसक घटना एवं यहां के शैक्षणिक और प्रशासनिक माहौल को मुद्दा बनाया गया है। अतुल कुमार अंजान की कम्युनिस्ट पार्टी ने दिल्ली में जेएनयू में जो देश विरोधी माहौल बनाया हुआ है और जो वहां अराजकता है, वह क्या किसी से छिपी हुई है? अतुल कुमार अंजान कभी भी इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए हैं कि कम्युनिस्ट पार्टी जेएनयू में विघटनकारी और देशविरोधी ताकतों के साथ किसलिए खड़ी है। अतुल कुमार अंजान ने जिस प्रकार लखनऊ विश्वविद्यालय के मामले को लीड किया है, उसके पीछे का यही कारण माना जाता है कि यदि सपा इसमें सक्रिय रूपसे आगे आती है तो यह साफ सिद्ध हो जाएगा कि सपा ही युवाओं और छात्रों को ढाल बनाकर विश्वविद्यालयों में अराजकता फैला रही है, इसलिए सपा ने इनका ओर बाकी लोगों का सुनियोजित इस्तेमाल किया है। एलयू में छात्रसंघ चुनाव की मांग ऐसे समय पर की गई है, जब हाल ही में एलयू आगज़नी की साजिश से बचा है और ऐसे समय में छात्रसंघ चुनाव किसी भी दृष्टि से व्यावहारिक नहीं माना जा सकता है, मगर इन्हें छात्रसंघ चुनाव चाहिए, यद्यपि इनमें कोई भी नेता ऐसा नहीं है, जो छात्रों को उकसाकर राजनीतिक लाभ लेने की क्षमता रखता हो, लेकिन इनके सामने अपने आकाओं के लिए आग में कूदने के अलावा कोई चारा भी तो नहीं है।