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Tuesday 24 July 2018 06:26:44 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि भारत जैसे वृहद जैवविविधता वाले देश को अपने वनों को संरक्षित और सुरक्षित रखना चाहिए एवं इस संपदा को संरक्षित और विकसित करते हुए अगली पीढ़ी को सौंपना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने यह विचार भारतीय वन सेवा के प्रोबेशन अधिकारियों के साथ बातचीत करते हुए व्यक्त किया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि उन्हें वनाच्छादित क्षेत्रों के घटने, पर्यावरण के नुकसान, वायु और जल प्रदूषण एवं ग्लोबल वार्मिंग से धरती पर जीवन के लिए आवश्यक प्रणाली में आ रहे असंतुलन के प्रति सजग रहना चाहिए।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में वनों के महत्व पर जोर देते हुए वन अधिकारियों से अपील की कि नागरिक और समूचा देश वनों से लाभांवित हो सके, इसके लिए उन्हें सहायक की भूमिका निभानी चाहिए। वेंकैया नायडू ने कहा कि वन प्रबंधन अब केवल वनों और वन्यजीवों के प्रबंधन तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसमें भूमि की गुणवत्ता सहेजने, जल और वायु को प्रदूषण मुक्त रखने जैसी गतिविधियां भी शामिल हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम वन प्रबंधन की पुरानी अवधारणा को पीछे छोड़कर इसके लिए एक खुला, सामूहिक और पारिस्थितिकी अनुकूल दृष्टिकोण अपनाएं।
वेंकैया नायडू ने वन अधिकारियों से कहा कि वन प्रबंधन के फैसले लेते समय उन्हें इनके सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभावों को ध्यान में जरूर रखना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने वन सेवा के अधिकारियों का पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली और संरक्षण केलिए वनों के आसपास रहने वाले लोगों की भागीदारी के साथ ठोस कार्ययोजना अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने वनों से जुड़ी गतिविधियों के जरिए स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के अतिरिक्त अवसर जुटाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।