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Saturday 4 August 2018 01:01:12 PM
देहरादून। राजस्व परिषद उत्तराखंड के अध्यक्ष एस रामास्वामी ने हरभजवाला में राजस्व परिषद उत्तराखंड और सर्वे ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में नवीन ड्रोन तकनीक से ट्रायल के तौरपर सर्वे की कार्रवाई प्रारंभ की। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि डिज़िटल इंडिया लैंड रिकार्ड मॉडनाईजेशन प्रोग्राम के तहत प्रदेश के भू-अभिलेखों का आधुनिक तकनीक के माध्यम से सर्वे किया जाएगा। एस रामास्वामी ने कहा कि यह ट्रायल सफल होने पर इसे सम्पूर्ण उत्तराखंड में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग के सर्वे एवं चकबंदी इकाईयों के कार्मिकों को सर्वे ऑफ इंडिया के माध्यम से निःशुल्क प्रशिक्षण दिया गया है, जिसे भविष्य में भी जारी रखने की योजना है।
एस रामास्वामी ने कहा कि इस तकनीक से सर्वे करने पर राजस्व अभिलेखों में दर्ज भूमि की एक त्रुटिरहित डिज़िटल लैंड प्राप्त होगी, जिससे भविष्य में आवश्यकतानुसार सभी कार्यों को आसानी से, सटीक तरीके से कराया जाना संभव हो पाएगा। एस रामास्वामी ने कहा कि इस प्रक्रिया से भूमि विवाद में कमी आएगी, क्रयकर्ता को भी भूमि की पूरी जानकारी उपलब्ध हो सकेगी और मूल भूमि की वस्तुस्थिति का अपडेटेशन होने से धोखाधड़ी से भी बचा जा सकेगा। इस मौके पर मौजूद सचिव राजस्व विभाग विनोद प्रसाद रतूड़ी ने कहा कि प्रदेश में हुए अंतिम सर्वे प्रक्रिया को लगभग 52 वर्ष हो चुके हैं, जिसके फलस्वरूप विद्यमान कैडस्ट्रल मैटस यानी खसरा अत्यंत पुराने हो चुके हैं, जो वर्तमान परिदृश्य में धरातल पर आमजन को भूमि एवं सम्पत्ति विवादों के दायरे को कम करने, भूमि रिकार्ड रखरखाव प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने और भू-सम्पत्तियों के लिए निर्णायक अधिकार और टाइटल की गारंटी प्रदान करने हेतु आधुनिक तकनीक युग में पर्याप्त नही हैं, जिसके लिए आधुनिक तकनीक से भूमि का पुनः सर्वे कराया जाना आवश्यक है।
जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन ने कहा कि अंतिम भूमि सर्वे में लम्बा समय व्यतीत होने के चलते भूमि अधिग्रहण, खातेदारों में भूमि विभाजन, भूमि के वर्तमान स्वरूप के विक्रय, भूमि खरीदारीकी ओर रूझान, कृषिभूमि का लैंड यूज परिवर्तन हो गया है, जिससे आधुनिक तकनीक से भूसर्वेक्षण की आवश्यकता स्वतः बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि ड्रोन सर्वे से भूमि सर्वेक्षण कम समय में और त्रुटिरहित होगा और वास्तविक डाटा उपलब्ध हो सकेगा, जिससे सरकार के पास विभिन्न उद्देश्यों के लिए एक सुरक्षित भू-डाटा बैंक भी स्पष्ट हो सकेगा। सर्वे ऑफ इंडिया के निदेशक लेफ्टिनेंट कर्नल पवन कुमार पांडेय ने अवगत कराया कि उनका संस्थान राजस्व विभाग उत्तराखंड के लिए सभी आवश्यक भू-सर्वेक्षण की आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षण सम्बंधी जरूरतों को पूरा करेगा। उन्होंने कहा कि आधुनिक विधियों से सर्वेक्षण तकनीक करवाए जाने से भू-प्रबंधन में बहुत लाभ होगा, राजस्व विभाग के लेखपाल, कानूनगो इत्यादि को समय-समय पर आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण और मार्गदर्शन की सहायता भी प्रदान की जाएगी।
हरभजवाला में स्कूली छात्रों ने ड्रोन से सर्वेक्षण कार्य को बड़ी उत्सुकता से देखा और उपस्थित अधिकारियों से ड्रोन एवं भू-सर्वेक्षण के बारे में प्रश्न भी किए, जिनका उत्तर देते हुए अधिकारियों ने बच्चों को संतुष्ट किया और जीवन में विज्ञान, गणित जैसे तर्कशील विषय पर अधिक अध्ययन करने को प्रेरित करने का संदेश दिया। इस अवसर पर आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद बीएम मिश्र, सर्वे ऑफ इंडिया आरएस मीणा, नगर मजिस्ट्रेट मनुज गोयल, अपर जिलाधिकारी प्रशासन अरविंद पांडेय, उप निदेशक सर्वे ऑफ इंडिया पंकज मिश्रा, स्टाफ अधिकारी राजस्व परिषद सुंदरलाल सेमवाल, उप राजस्व आयुक्त राजस्व परिषद विप्रा त्रिवेदी, उप जिलाधिकारी सदर प्रत्यूष सिंह, ग्राम प्रधान हरभजवाला, राजस्व विभाग एवं सर्वे ऑफ इंडिया की टीम, स्कूली बच्चे और स्थानीय लोग उपस्थित थे।