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Saturday 4 August 2018 04:49:02 PM
नई दिल्ली/ मसूरी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश की सिविल सेवा के अधिकारियों को नसीहत दी है कि वे देश-समाज और प्रशासन के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें। राष्ट्रपति ने बड़ी स्पष्ट भाषा में कहा कि लोकसेवक अपना आत्मावलोकन करें, उनपर देश की बड़ी जिम्मेदारियां हैं। लालबहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन मसूरी में 120वें इंडक्शन ट्रेनिंग कार्यक्रम के प्रतिभागी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करने राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली आए थे। यह पदोन्नत कर आईएएस बनाए गए राज्य लोक सेवा के अधिकारियों का एक समूह था, जिसने मसूरी में इंडक्शन ट्रेनिंग कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद राष्ट्रपति से मुलाकात की और इस दौरान राष्ट्रपति ने उनसे देश समाज प्रशासन और जिम्मेदारियों पर चर्चा की।
सिविल सेवा के इन अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अखिल भारतीय सेवा का अधिकारी देश के विकास में अपनी अहम भूमिका अदा करता है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ती है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि राष्ट्र निर्माण में इन सेवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन उन्हें आत्म अवलोकन और स्वयं की आलोचना करनी होगी, जिससे सिविल सेवाओं में निरंतर सुधार हो सके। राष्ट्रपति की यह टिप्पणी बहुत गंभीर है, जो यह इशारा करती है कि सिविल सेवक अपनी जिम्मेदारियों से भटक रहे हैं या मनमानी कर रहे हैं या कार्यों में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि लोक सेवक के रूप में सिविल सेवा अधिकारियों को अपने व्यक्तिगत आचरण में आदर्श मॉडल बनना चाहिए। रामनाथ कोविंद ने कहा कि भारत और हमारे समाज की विविधता के प्रति सिविल सेवकों के आचरण, ईमानदारी और अखंडता, नम्रता और संवेदनशीलता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि सभी अधिकारी भारत के लोगों की सेवा के लिए काम करते हैं, कुछ लोगों को अन्य की तुलना में सरकारी सहयोग की ज्यादा जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि लोक सेवकों को अपने देश के आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक रूपसे वंचित और कमजोर नागरिकों की सेवा में अपनी ऊर्जा लगाने की जरूरत है।