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Wednesday 8 August 2018 03:49:30 PM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक से भारतीय प्रशासनिक सेवा 2017 बैच के 17 और भारतीय वन सेवा 2015 बैच के 2 प्रशिक्षु अधिकारियों ने राजभवन लखनऊ में भेंट की। ये सभी उत्तर प्रदेश संवर्ग के अधिकारी हैं। इस अवसर पर राज्यपाल ने इन प्रशिक्षुओं से कहा कि कि उन्हें सदैव ध्यान रखना चाहिए कि देश में लोकतंत्र है और अधिकारियों को जनता की सेवा के लिए अधिकार दिए जाते हैं, उन्हें सकारात्मक दृष्टिकोण से समाज का हित देख समझकर अपने अधिकारों का प्रयोग करना चाहिए। मृदुल व्यवहार पर जोर देते हुए यहां उन्होंने एक मराठी कहावत को उद्धृत किया कि ‘पैर में चक्र, मुंह में शक्कर और सिर पर बर्फ’ इस भूमिका में वे काम करेंगे तो उसका प्रशासन में अधिक लाभ होता है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे कार्यालय छोड़ने से पहले आने वाले कल की तैयारी करें, प्राथमिकता तय करने के लिए विषय को नोट करने की आदत डालें, अपने कार्य की निरंतर समीक्षा करें और उस कार्य को समय पर निस्तारित करें।
राज्यपाल राम नाईक ने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि उनका यह प्रयास होना चाहिए कि समस्याएं और फरियाद लेकर आने वाला व्यक्ति उनसे संतुष्ट होकर जाए। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक सेवा में दृष्टिकोण का बहुत महत्व होता है, इसलिए वे सकारात्मक भूमिका में कार्य करें, इससे समस्याओं के समाधान सामने आते हैं। राम नाईक ने कहा कि वे विकास कार्य एवं सरकारी योजनाओं को सफल बनाने के लिए सुझावों का महत्व और जनसहभागिता सुनिश्चित करें और समय-समय पर जारी शासनादेशों का अनुपालन सुनिश्चित करें और उनकी संपूर्ण जानकारी रखें। उन्होंने कहा कि उन्हें चुनौतियों से निपटने के लिए सक्रिय और उत्तरदायी होना होगा। राज्यपाल ने इस मौके पर योगी सरकार के एक फैसले का उल्लेख करते हुए उसकी सराहना की, जिसमें सर्पदंश से मृत्यु को दैवीय आपदा की श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने कहा कि बीते वर्ष देश में लगभग 65 हजार लोगों की मृत्यु सर्पदंश से हुई, जो चिंता का विषय है।
राम नाईक ने प्रशासन में आदर्श और अनुकरणीय पक्ष का जिक्र करते हुए कहा कि प्रशासनिक सेवा में संवेदनशीलता का अपना महत्व होता है, प्रशासनिक अधिकारी को चाहिए कि जहां तक हो सके वह अधीनस्थ कर्मचारियों के दोष को सार्वजनिक रूपसे प्रदर्शित न करने से बचे और उसे सुधरने की दृष्टि से उसका मार्गदर्शन करे। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अपने कार्यों का सदैव आत्मनिरीक्षण करें और उन्हें बेहतर से बेहतर बनाने का प्रयास करें। राज्यपाल से कई प्रशिक्षु अधिकारियों ने सवाल भी किए। उनके एक सवाल के जवाब में राज्यपाल ने उन्हें बताया कि उन्होंने बीकाम की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात महालेखाकार कार्यालय में नौकरी की थी। उन्होंने कहा कि राजनीति सेवा का पर्याय है, इसलिए वे नौकरी छोड़कर राजनीति में आ गए। उन्होंने समाजसेवक, विधायक, सांसद, विभिन्न विभागों में राज्यमंत्री, मंत्री और राज्यपाल बनने तक का सफर प्रशिक्षुओं से साझा किया।
राज्यपाल राम नाईक ने प्रशिक्षु अधिकारियों को व्यक्तित्व विकास एवं जीवन में सफलता प्राप्त करने के मंत्र बताए। उन्होंने कहा कि सदैव मुस्कुराते रहें, दूसरों की सराहना करना सीखें, दूसरों की अवमानना न करें, क्योंकि यह भावना गति अवरोधक का कार्य करती है, अहंकार से दूर रहें और हर काम को अधिक अच्छा करने पर विचार करें। उन्होंने चरैवेति! चरैवेति!! सिद्धांत को उद्धृत करते हुए कहा कि सफलता का मर्म निरंतर आगे बढ़ने में है। राज्यपाल ने अधिकारियों को अपने चतुर्थ वार्षिक कार्यवृत्त ‘राजभवन में राम नाईक 2017-18’ की प्रति भी भेंट की। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी के महानिदेशक कुमार अरविंद सिंह देव ने स्वागत उद्बोधन दिया। अकादमी की ओर से प्रशिक्षु अधिकारी ईशान प्रताप सिंह ने राज्यपाल को और प्रशिक्षु अधिकारी अनीता यादव ने राज्यपाल के प्रमुख सचिव हेमंत राव को एक पुस्तक भेंट की। अकादमी के अपर निदेशक संजय कुमार सिंह यादव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।