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Friday 10 August 2018 06:44:41 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व जैव ईंधन दिवस पर आज किसानों, वैज्ञानिकों, उद्यमियों, छात्रों, सरकारी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की एक विविध जनसभा को संबोधित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जैव ईंधन से 21वीं सदी में भारत को एक नई गति मिल सकती है। उन्होंने कहा कि फसलों से बनाया जाने वाला जैव ईंधन गावों और शहरों दोनों स्थानों में रहने वाले लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जैव ईंधन से एथनॉल बनाने की पहल अटल बिहार वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान हुई थी, एथनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम की रूपरेखा वर्ष 2014 के बाद तैयार की गई, इस पहल से न केवल किसानों को फायदा हुआ, बल्कि इससे बीते साल 4 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत हुई और अगले चार वर्ष में इसे 12 हजार करेाड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बायोमास को जैव ईंधन में बदलने के लिए केंद्र सरकार बड़े स्तरपर निवेश कर रही है, देशभर में 12 आधुनिक रिफाइनरी बनाने की योजना है, इससे बड़ी संख्या में रोज़गार के अवसर उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि जनधन, वनधन और गोबरधन जैसी योजनाओं से गरीबों, किसानों, आदिवासियों के जीवन में व्यापक बदलाव के लाने में मदद मिल रही है। उन्होंने छात्रों, शिक्षकों, वैज्ञानिकों, उद्यमियों और आमजन से जैव ईंधन के फायदे ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने में मदद की अपील करते हुए कहा कि उनकी भागीदारी से ही जैव ईंधन की क्षमता का सदुपयोग संभव है। प्रधानमंत्री ने 'राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018' पुस्तिका का विमोचन और पर्यावरण मंत्रालय के डिज़िटल प्लेटफार्म 'परिवेश' का भी शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि डिज़िटल प्लेटफार्म 'परिवेश' यानी आपसी परामर्श, गुणकारी और पर्यावरण एकल खिड़की के माध्यम से सक्रिय और जवाबदेह सुविधा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि डिज़िटल इंडिया कार्यक्रम को ध्यान में रखते हुए इस सुविधा को विकसित किया गया है, इसमें न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन की भावना भी शामिल है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने परिवेश की विशेषताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि इसमें आवेदन जमा करने तथा आवेदन की अद्यतन स्थिति को जानने की पूरी प्रक्रिया स्वचालित है। उन्होंने कहा कि परिवेश के माध्यम से प्रधानमंत्री के ई-शासन के सपने को पूरा करने का प्रयास किया गया है और इसके माध्यम से पर्यावरण मंत्रालय, नियामक न होकर एक सुविधा प्रदान करने वाला मंत्रालय हो गया है। उन्होंने कहा कि राज्य और जिलास्तर के विभागों में अब विभिन्न प्रकार की स्वीकृतियों के लिए पर्यावरण, वन, वन्यजीव और तटीय क्षेत्र स्वीकृतियां आवेदन जमा करने, आवेदनों की निगरानी करने और मंत्रालय द्वारा प्रस्तावों का प्रबंधन करने की संपूर्ण प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है। परिवेश आवेदनों को प्रसंस्करण करने वाले प्रभागों की भी सहायता करता है, क्योंकि यह केंद्र, राज्य और जिला स्तर की स्वीकृतियों के लिए एकल खिड़की प्रणाली है। परिवेश सुविधा https://parivesh.nic.in लिंक पर उपलब्ध है।
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र दिल्ली के तकनीकी सहयोग से पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने डिज़िटल प्लेटफार्म प्रणाली परिवेश को डिजाइन और विकसित किया है। इस सुविधा के विस्तृत प्रचार-प्रसार के लिए एनआईसी, माईगोव और सीआईआई के माध्यम से 10 लाख से अधिक एसएमएस और ईमेल भेजे गए हैं। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि विश्व जैव ईंधन दिवस 2015 से मनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य जीवाष्म ईंधन के विकल्प के रूपमें गैर जीवाष्म ईंधनों के इस्तेमाल के प्रति लोगों को जागरुक बनाना है, साथ ही इसके जरिए सरकार के जैव ईंधन के क्षेत्र में किए गए प्रयासों को भी बताना है। उन्होंने कहा कि जैव ईंधन दिवस किसानों की आमदनी बढ़ाने और पर्यावरण की सेहत सुधारने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराता है। उन्होंने कहा कि एथनॉल मिश्रण को गति देने के लिए एथनॉल की आपूर्ति सुधारने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, इन प्रयासों के कारण 2013-14 में हुई 38 करोड़ लीटर एथनॉल की आपूर्ति मौजूदा सीजन में बढ़कर 141 करोड़ लीटर तक पहुंच गई है।
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि सरकार ने नई राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 अधिसूचित कर दी है, जिसके तहत 2030 तक 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है, नई नीति में एथनॉल के लिए कच्चे माल की उपलब्धता का दायरा और व्यापक बना दिया गया। कार्यक्रम में केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी, उपभोक्ता मामले मंत्री रामविलास पासवान, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।