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Monday 13 August 2018 01:24:22 PM
नई दिल्ली। सीएसआईआर-आईएमटेक एवं मुंबई की एपाइजेन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड ने इस्केमिक स्ट्रोक के उपचार के लिए पीईजीवाईलेटेड स्ट्रप्टोकिनसे का विकास करने का समझौता किया है। एपाइजेन कंपनी इस्केमिक स्ट्रोक के लिए अनूठी जैविक इकाई यानी एनबीई थ्रांबोलिटिक प्रोटीन से विशिष्ट लाइसेंस प्राप्त भारत की पहली कंपनी है। सीएसआईआर के महानिदेशक एवं डीएसआईआर के सचिव डॉ गिरीश साहनी और माइक्रोबायल टेक्नोलॉजी में अन्वेषणकर्ताओं की टीम द्वारा विकसित एक नए पैटेंटीकृत क्लॉट बुस्टर पीईजीवाईलेटेड स्ट्रप्टोकिनसे से इस्केमिक स्ट्रोक के उपचार में क्रांति आना तय है। सीएसआईआर-आईएमटेक एवं एपाइजेन में समझौता ज्ञापन के अवसर पर सीएसआईआर-आईएमटेक के निदेशक डॉ अनिल कौल सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ गिरीश साहनी एवं एपाइजेन के अध्यक्ष देबयान घोष प्रमुख रूपसे उपस्थित थे।
ग़ौरतलब है कि इस्केमिक स्ट्रोक मनुष्य की एक ऐसी अवस्था होती है, जो मस्तिष्क धमनियों में होने वाले इम्बोली, थ्रोबस या एथरोस्कलेरोसिस के कारण उत्पन्न होती है। भारत में स्ट्रोक की घटना पश्चिमी देशों की तुलना में अधिक होती हैं और सभी स्ट्रोकों में इस्केमिक स्ट्रोक का प्रतिशत लगभग 87 प्रतिशत है। इस्केमिक स्ट्रोक का अटैक रक्त प्रवाह यानी ब्लड सर्कुलेशन में अवरोध उत्पन्न होने के कारण होता है। इस कारण कुछ मस्तिष्क कोशिकाएं तुरंत ही मृत हो जाती हैं। स्ट्रोक के बाद मस्तिष्क का कुछ भाग ऐसा होता है, जो कार्य नहीं कर रहा होता है, लेकिन यह पूरी तरह से मृत भी नहीं होता है। इस स्थिति में यदि शीघ्र ही मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति की जाए तो मस्तिष्क के इस भाग को बचाकर मरीज की स्ट्रोक से रिकवरी संभव है।
इस्केमिक स्ट्रोक के लक्षण भी जानना जरूरी हैं जैसे-अचानक दोनों आंखों से स्पष्ट देखने में तकलीफ होना, अचानक से चलने या बैलेंस करने में परेशानी होना, चक्कर आना, अचानक बिना कारण सिर में तेज दर्द होना। इस्केमिक स्ट्रोक एक क्षणिक आइसकैमिक हमला है, जो भविष्य के स्ट्रोक का चेतावनी संकेत हो सकता है। इस्केमिक स्ट्रोक तभी होता है जब मस्तिष्क में एक धमनी अवरुद्ध हो जाती है। दिल और फेफड़ों से ताजा खून प्राप्त करने के लिए मस्तिष्क अपनी धमनियों पर निर्भर करता है। रक्त में ऑक्सीजन और पोषक तत्व होते हैं, जो कार्बन डाइऑक्साइड और सेलुलर अपशिष्ट को दूर ले जाते हैं। धमनी अगर अवरुद्ध हो जाती है, तो मस्तिष्क की कोशिकाएं पर्याप्त ऊर्जा बनाने में विफल हो सकती हैं और अंततः काम करना ही बंद कर देती हैं। धमनी यदि कुछ मिनटों से अधिक समय तक अवरुद्ध रहती है, तो मस्तिष्क की कोशिकाएं मर सकती हैं, इसलिए इसकी तत्काल से 24 घंटे के भीतर चिकित्सा आवश्यक है।