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Tuesday 28 August 2018 12:58:37 PM
नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग ने बताया है कि चुनाव वाले राज्यों को छोड़कर 1 सितम्बर से सभी राज्यों में मतदाता पुनरीक्षण का कार्य प्रारंभ होगा और यह एक महीने के बजाय दो महीने तक जारी रहेगा। निर्वाचन आयोग ने कल चुनाव से संबंधित विभिन्न मुद्दों के संदर्भ में सभी राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय राजनीतिक दलों की बैठक की थी, जिसमें 7 राष्ट्रीय दलों और 34 राज्यस्तरीय दलों ने भाग लिया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने बैठक के बाद यह जानकारी देते हुए बताया कि कुछ राजनैतिक दलों ने आयोग से अनुरोध किया कि ईवीएम पर भरोसा बढ़ाने के लिए एक निश्चित प्रतिशत की मात्रा में वीवीपीएटी रसीद की व्यवस्था की जाए। राजनीतिक दलों ने आग्रह किया कि बेहतर मतदाता सूची प्रबंधन के लिए मतदाताओं के ब्यौरे में आधार नम्बर को जोड़ा जाना चाहिए। राजनैतिक दलों ने पेड न्यूज़ पर चिंता जताई और कहा कि इसपर नियंत्रण के लिए इसे चुनावी अपराध घोषित किया जाना चाहिए। मतदान में भागीदारी सहित पहुंच बढ़ाने और व्यापक आधार को प्रोत्साहित करने के आयोग के प्रयासों के संबंध में राजनैतिक दलों के विचार और फीडबैक आमंत्रित किए गए हैं।
गौरतलब है कि निर्वाचन आयोग इस बात पर गौर करते हुए कि भारत की निर्वाचन प्रणाली में राजनैतिक दल महत्वपूर्ण साझेदार हैं, समय-समय पर सभी मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों के साथ विचार-विमर्श करता है, ताकि महत्वपूर्ण विषयों पर उनके विचार प्राप्त हो सकें। निर्वाचन आयोग हमेशा से वर्तमान निर्वाचन प्रणाली और अपनी कार्यपद्धति में सुधार करके देश की लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत बनाने के कार्य में लगा हुआ है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने बैठक में कहा कि चुनाव के संदर्भ में आयोग राजनीतिक दलों के सुझावों को बहुत महत्व देता है, क्योंकि राजनैतिक पार्टियां सुधारों की शुरूआत करती हैं और लोगों को संगठित करने में एक एजेंट के रूपमें कार्य करती हैं, इसलिए चुनावी लोकतंत्र को मजबूत बनाने में राजनैतिक दल सबसे महत्वपूर्ण हितधारक हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि आयोग को इस बात का गर्व है कि नागरिक, मीडिया और सभी राजनैतिक दल निर्वाचन आयोग पर पूर्ण विश्वास करते हैं, आयोग के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं और आयोग सभी के साथ सम्मान और निष्पक्षता का व्यवहार करता है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे राजनैतिक चंदे में पारदर्शिता, सोशल मीडिया, पारंपरिक मीडिया प्रबंधन, मतदान और मतगणना के संदर्भ में सभी हितधारकों का विश्वास और लोकतंत्र को मजबूत बनाने के विषय पर अपने सुझाव प्रदान करें। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के विकास से विश्व स्तरपर लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां पेश हुई हैं। चुनाव आयोग ने इन चुनौतियों से निपटने और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए राजनैतिक दलों से सुझाव आमंत्रित किए। चुनाव आयोग को सभी राजनैतिक दलों ने आश्वासन दिया कि वे मतदाता सूची को तैयार करने में आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगे। राजनैतिक दलों ने सुझाव दिया कि उन्हें मतदाता सूची से हटाए गए नामों की सूची भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए। कुछ दलों ने सुझाव दिया कि मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य त्यौहारों के मौसम को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए। बैठक की कार्यसूची में 'मतदाता सूची की विश्वसनीयता' शामिल है। निर्वाचन आयोग ने आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों को देखते हुए मतदाता सूचियों की विशुद्धता, पारदर्शिता और सम्मिलितता में सुधार करने के उपायों के बारे में सभी राजनैतिक दलों के विचार आमंत्रित किए हैं।
राजनैतिक दलों में लिंग प्रतिनिधित्व और तुलनात्मक अंतर्राष्ट्रीय अनुभव के सम्बंध में निर्वाचन आयोग ऐसे विचार आमंत्रित कर रहा है, जिनसे राजनैतिक दल अपने संगठनात्मक ढांचे के भीतर महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के उपाय करें और साथ ही चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार का चयन किया जा सके। बैठक में चुनाव खर्च पर नियंत्रण करने, विधान परिषद के चुनावों के खर्च की सीमा तय करने और राजनैतिक दलों का खर्च सीमित करने के विषय पर विचार-विमर्श किया गया, इसके अलावा वार्षिक लेखा रिपोर्ट, चुनाव खर्च रिपोर्ट समय पर देने के उपाय लागू करने के बारे में विचार-विमर्श भी कार्य सूची का हिस्सा है। जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के अनुच्छेद 126(1)(बी) के दायरे में चुनाव प्रचार बंद होने की अवधि-प्रिंट मीडिया को शामिल करने सहित और मतदान समाप्त होने से पहले अंतिम 48 घंटों के दौरान सोशल मीडिया पर पार्टी या उम्मीदवार की चुनावी संभावनाओं को बढ़ाने अथवा पूर्वाग्रह के लिए ऑनलाइन प्रचार के मुद्दे पर भी बैठक में विशेष चर्चा हुई। चुनाव कराने के संबंध में महत्वपूर्ण विषयों जैसे प्रवासियों और अनुपस्थित मतदाताओं के लिए मतदान के वैकल्पिक तरीके, ईटीबीपीएस योजना के संचालन के संबंध में राजनैतिक दलों के विचार और फीडबैक, दिव्यांग मतदाताओं की मतदान में भागीदारी को प्रोत्साहित करने के प्रयासों के संबंध में राजनैतिक दलों के विचार और फीडबैक पर भी विमर्श किया गया।