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Friday 31 August 2018 05:40:01 PM
हैदराबाद। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने योजनाकारों, सांसदों और मीडिया का आह्वान किया है कि वे ग्रामीण क्षेत्रों के पक्षधर हों और उन्हें गांव और शहर के बीच की दूरी पाटने एवं राष्ट्र के एकीकृत विकास के लिए बजट के आवंटन में गावों को विशेष महत्व देने की मानसिकता रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बैंकों को भी चाहिए कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए प्राथमिकता दें। उपराष्ट्रपति ने ये बातें हैदराबाद में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान के ग्रामीण नवाचार स्टॉर्टअप संगम में कहीं। उपराष्ट्रपति ने इस बात पर क्षोभ व्यक्त किया कि देश ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गावों की ओर वापस जाने की अपील का पालन नहीं किया। उन्होंने कहा कि यद्यपि सरकारों ने ग्रामीण विकास पर जोर दिया, लेकिन पर्याप्त ध्यान नहीं दिए जाने की वजह से दो-दो भारत की स्थिति बन गई।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि पांच कारणों की वजह से गावों से शहरों की ओर व्यापक पलायन हुआ है, ये हैं शिक्षा, रोज़गार, मनोरंजन, बेहतर चिकित्सा सुविधाएं और आर्थिक अवसर। उन्होंने कहा कि हमें शीघ्र ही गावों में शहरों के समान सभी सुविधाएं मुहैया कराकर गांव और शहर के बीच की खाई को पाटना होगा। उपराष्ट्रपति ने पांच चीजों सिंचाई, बुनियादी ढांचा, सस्ता कर्ज, बीमा और नई खोजों पर जोर देते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था के कायाकल्प की अपील की। उन्होंने कहा यदि आपके पास बिजली, सड़क, अस्पताल, चिकित्सा संस्थान और संपर्क के साधन हैं तो ये एकीकरण ला सकते हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि तकनीक और नई खोजें ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बदलाव ला सकती हैं और ये हमारी ग्रामीण क्षमता एवं ऐसी नई तकनीकों और उत्पादों के प्रदर्शन का सबसे बेहतर समय है, जोकि ग्रामीण जीवन का कायाकल्प कर सकते हैं।
वेंकैया नायडू ने कहा कि स्वयंसहायता समूहों को विकास में शामिल होना चाहिए, क्योंकि इससे न केवल आय में अंतर कम होता है, बल्कि ये महिला सशक्तिकरण को भी प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने कहा कि अब गावों के बजाय प्रत्येक घर को बिजली पहुंचाने पर जोर होना चाहिए। ग्रामीण आविष्कारकों को प्रोत्साहित करने के लिए बुनियादी ढांचे, धन, संपर्क साधनों और प्रमाणन प्रणाली में आनेवाले अवरोधों को दूर करने पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने ग्रामीण युवकों और विभिन्न संस्थानों के बीच सेतु का काम करने और आविष्कारकों को उनकी खोजों को तकनीकी स्टार्टअप में बदलने में मदद करने के लिए एनआईआरडीपीआर की सराहना की। उन्होंने कहा कि कौशल एवं उद्यमिता विकास मंत्रालय, राष्ट्रीय कौशल विकास अभियान और दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, ग्रामीण आविष्कारकों की मदद कर रही हैं और इनकी मदद के लिए सही माहौल तैयार करने की व्यापक संभावना है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था के लिए रोज़गार सृजन अहम है और सरकार एवं बड़े संस्थान अकेले रोज़गार पैदा नहीं कर सकते। उन्होंने सूक्ष्म और लघु उद्योगों से स्टार्टअप प्रणाली को अपनाने एवं अपनी कुशलता और पहुंच को बढ़ाने के लिए तकनीक का उपयोग करने को कहा है, ताकि वे रोज़गार सृजन में अग्रणी भूमिका निभा सकें। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरकार और अनेक संस्थाओं के प्रयास के बावजूद नई खोजों पर आधारित आर्थिक विकास मुख्यत: सॉफ्टवेयर और आईटी क्षेत्र तक ही सीमित है और हाल के दिनों में स्टार्टअप के बारे में काफी चर्चा हो रही है और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए इसे समर्थन भी दिया जा रहा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में शोध एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार राष्ट्रीय संस्थानों में नवाचार और उद्यमशीलता के केंद्र और विभिन्न आईआईटी में शोध उद्यानों की स्थापना कर रही है।
वेंकैया नायडू ने कहा कि विश्वस्तरीय आविष्कार केंद्रों का निर्माण समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार की पहल के अलावा ग्रामीण अर्थव्यवस्था के कायाकल्प के लिए नई ग्रामीण तकनीकों के विकास के लिए निजी क्षेत्र को बड़े पैमाने पर आगे आना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत को अपने युवाओं की क्षमताओं को देखते हुए तकनीकी महाशक्ति बनने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने भविष्य के भारत का निर्माण करने के लिए आविष्कार करने वाली प्रयोगशालाओं की स्थापना पर जोर दिया। उपराष्ट्रपति ने ग्रामीण आविष्कारकों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और स्टालों का दौरा कर युवा उद्यमियों और आविष्कारकों से बातचीत की। इस दो दिनों के संगम में करीब 150 स्टार्टअप आविष्कारकों के साथ-साथ विशेषज्ञ, पेशेवर एवं अन्य लोग भी भाग ले रहे हैं। इस अवसर पर तेलंगाना के राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन, राज्य के उप मुख्यमंत्री मोहम्मद महमूद अली, केंद्र में ग्रामीण विकास राज्यमंत्री रामकृपाल यादव और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।