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Saturday 1 September 2018 01:44:25 PM
काठमांडू। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली के साथ काठमांडू में संयुक्त रूपसे भगवान पशुपतिनाथ धर्मशाला का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह जब भी यहां आते हैं, काठमांडू के लोगों के प्रेम एवं स्नेह को महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत के प्रति अपनेपन की यह भावना नेपाल में स्पष्ट दिखाई देती है। उन्होंने भगवान पशुपतिनाथ एवं नेपाल में अन्य मंदिरों की अपनी पूर्व की यात्राओं का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल के बीच आध्यात्मिक संबंध समय और दूरी से आगे निकल चुके हैं और इस धर्मशाला का उद्घाटन करके वह बहुत प्रसन्न हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि हम दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंध सदियों पुराने हैं और मैं विश्वास दिलाता हूं कि भारत हमेशा, हमेशा और हमेशा नेपाल के साथ है। उन्होंने कहा कि भारत की नीति हमेशा पड़ोसी के हित को देखकर चलने की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भगवान पशुपतिनाथ, मुक्तिनाथ एवं जानकीधाम मंदिर भारत के साथ संबंधों को सुदृढ़ करने के अतिरिक्त विविधता में एकता को प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म की समृद्ध परंपराओं की चर्चा की। उन्होंने उल्लेख किया कि किस प्रकार बौद्ध धर्म भारत और नेपाल के बीच एक महत्वपूर्ण संपर्क सेतु है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को अपनी गौरवशाली विरासत पर गर्व है। प्रधानमंत्री ने विशेष रूपसे समाज के निर्बल एवं सीमांत वर्गों के लोगों के लिए विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत आर्थिक विकास में नई ऊंचाईयां छू रहा है और ‘सबका साथ सबका विकास’ के विजन में नेपाल के लोग भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि नेपाल में राजनीतिक स्थिरता देखकर वह प्रसन्न हैं और नेपाल को हमेशा भारत की सद्भावना और सहयोग का लाभ मिलेगा। प्रधानमंत्री ने भगवान पशुपतिनाथ के प्रांगण में भारी संख्या में आए नागरिकों को आदरपूर्वक नमन किया और कहा कि हम गुजरात वालों के लिए नेपाली भाषा का समझना बड़ा सरल है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और नेपाल की मैत्री बहुत समृद्धशाली है। उन्होंने कहा कि अटलजी के निधन के कुछ ही पल बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओलीजी ने मुझे फोन करके इस दुख की घड़ी में सांत्वना दी, यह कोई औपचारिकता नहीं थी, बल्कि अपनेपन का स्वाभाविक प्रकटीकरण था और अटलजी की अंत्येष्टि में नेपाल के विदेशमंत्री आए। प्रधानमंत्री ने कहा कि अटलजी की कविताओं का नेपाली भाषा में अनुवाद करने का नेपाल का निर्णय है, जिससे मैं समझता हूं। उन्होंने कहा कि किसी भी महापुरुष की स्मृति उसके संदेश को हम कैसे संभालते हैं, उस ज्ञान को हम आगे की पीढ़ियों तक कैसे पहुंचाते हैं, उसको हम जीवन में कितना उतार पाते हैं, यह उनके प्रति सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है, नेपाल ने अटलजी के चिंतन और उनके ज्ञान को कविता में ढाल दिया है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि सिर्फ काठमांडू और नई दिल्ली मिल जाए, सिर्फ काठमांडू और नई दिल्ली की सरकार मिल जाए, केवल इतने से बात बनती नहीं है, जब तक हर नेपाली, हर हिंदुस्तानी एक-दूसरे से मिलता-जुलता नहीं है, तबतक ताकत बनती नहीं है। उन्होंने कहा कि पीपुल टू पीपुल शक्ति को बढ़ावा देने का उत्तम काम नेपाल-भारत मैत्री की प्रतीक पशुपतिनाथ धर्मशाला है, जिसका लोकार्पण किया गया है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि चार वर्ष पहले मुझे सावन माह के अंतिम सोमवार तक भगवान पशुपतिनाथ के चरणों में आकर पूजा का अवसर मिला था, कुछ महीने पहले भी यहां आकर मुझे पशुपतिनाथ, मुक्तिनाथ और जानकीधाम जैसे तीन बड़े तीर्थों पर जाने का सौभाग्य मिला। नरेंद्र मोदी ने कहा कि काठमांडू और कन्याकुमारी के बीच हजारों किलोमीटर का फासला है, लेकिन करीब डेढ़ हजार वर्ष पहले से ही तमिलनाडु में पशुपतिनाथ की गाथाएं गूंज रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काठमांडू में भगवान पशुपतिनाथ की भक्तिधारा में बहते नज़र आए। उन्होंने कहा कि शैव कुरूवर की थेवरम में भगवान पशुपतिनाथ का अहम स्थान है, उत्तम स्थान है और बाबा पशुपतिनाथ ने सुदूर दक्षिण भारत के अपने अनंत भक्तों को पीढ़ी-दर-पीढ़ी सैकड़ों साल से गणेश और कार्तिक की तरह अपने आप इस मंदिर में स्थान दिया है, इसलिए आज हमारे परममित्र प्रधानमंत्री ओलीजी के साथ मिलकर नेपाल-भारत मैत्री पशुपति धर्मशाला विश्वभर के यात्रियों, टूरिस्टों, शिवभक्तों के लिए समर्पित करते हुए मेरी प्रसन्नता की कोई सीमा नहीं है। दुनियाभर से यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सवा सौ करोड़ भारतवासियों की तरफ से भगवान पशुपतिनाथ के चरणों में यह एक छोटी सी भेंट देने का सौभाग्य मुझे मिला है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी और काठमांडू को बाबा विश्वनाथ और पशुपतिनाथ जोड़ते हैं, मैं सोमनाथ की धरती से निकला हूं। सोमनाथ से विश्वनाथ, विश्वनाथ से पशुपतिनाथ इसी प्रकार माता सीता और प्रभु श्रीराम जनकपुर को अयोध्या से तो भगवान जगन्नाथ और मुक्तिनाथ मस्तंग को पुरी से जोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि सुंदर बागमती घाटी के बीच में विराजे भगवान पशुपतिनाथ के एक तरफ धौलागिरी व अन्नपूर्णा और दूसरी तरफ सागरमाथा और कंचन जंगा है, जो दुनियाभर के शिवभक्तों और पर्यटकों को एक सुंदर और अद्भूत अनुभव देता है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि काठमांडू की पवित्र धरती हिंदू और बोध आस्था की संगम स्थली है, यह दोनों मत किस प्रकार एक दूसरे के प्रति समावेशी हैं, इनके मानने वालों के बीच विशेष प्रकार का मेल-मिलाव है, जिसका काठमांडू की गलियों और पगडंडियों से गुजरते हुए हर कोई यात्री अनुभव कर सकता है। उन्होंने कहा कि नेपाल के लुम्बिनी ने दुनिया को गौतम दिए तो भारत के बौद्धगया ने बुद्ध दिए हैं। उन्होंने कहा कि गौतम बुद्ध का दिखाया रास्ता आज अतिवाद और आतंकवाद जैसी दुनिया की अनेक समस्याओं को हल करने का प्रेरणास्रोत है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज भारत आर्थिक विकास की नई ऊंचाईयां छू रहा है और हम जिस सबका साथ, सबका विकास मंत्र को लेकर काम कर रहे हैं, उसमें नेपाली भाईयों और बहनों का भी उतना ही स्थान है, सबका साथ सबका विकास की बात जब हम करते हैं तो यह सबके लिए है। उन्होंने कहा कि पड़ोसियों के काम आना और सुख समृद्धि के लिए साथ चलना भारत की पंरपरा का हिस्सा रहा है, उसी के अनुरूप बाबा पशुपतिनाथ से आशीर्वाद दोनों देशों का यही रिश्ता भी आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि हर हिंदुस्तानी को यह देखकर प्रसन्नता होती है कि नेपाल में आज राजनीतिक स्थिरता है, इसी का परिणाम है कि नेपाल की विकास प्रगति अपनी तेज़ी पर है। उन्होंने कहा कि मैं नेपाल को विश्वास दिलाता हूं कि भारत हमेशा, हमेशा और हमेशा नेपाल के साथ है। नरेंद्र मोदी ने दोहराया कि बाबा पशुपतिनाथ का आशीष सदा इस भूमि पर बना रहे और नेपाल-भारत मैत्री पर उनकी कृपा दृष्टि रहे, बाबा से मेरी यही प्रार्थना है कि हर पल भारत-नेपाल मैत्री गूंजती रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि नेपाल-भारत मैत्री पशुपतिनाथ धर्मशाला सिर्फ इमारत के रूपमें नहीं, बल्कि एक मैत्री का स्तंभ और आर्थिक व्यवस्था को गति देने वाली ऊर्जा का केंद्र बनेगी। उन्होंने कहा कि बिम्सटेक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण आयोजन था, जिसका उत्तम तरीके से काठमांडू की धरती से दुनिया को संदेश गया है। उन्होंने कहा कि विश्व की 22 प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने वाली बिम्सटेक समिट नेपाल की धरती पर हो, पशुपतिनाथ भगवान के चरणों में हो तो यहां से किए गए संकल्प सिद्ध हुए बिना नहीं रहते हैं। उन्होंने कहा कि केपी ओली के नेतृत्व में काठमांडू की धरती से हिमालय की गोद से निकले हुए संकल्प इस पूरे भू-भाग को औरउस पूरे क्षेत्र को सुख और शांति की दिशा में गति देने के लिए एक बहुत बड़ी निर्णायक भूमिका अदा करेंगे। उन्होंने कहा कि ओलीजी साधुवाद के पात्र हैं, अभिनंदन के अधिकारी हैं, मैं उनको बहुत-बहुत बधाई देता हूं।