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Tuesday 11 September 2018 02:56:14 PM
लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने अलीगंज लखनऊ में कलास्रोत आर्ट गैलरी में सुषमा अग्रवाल की एकल चित्रकला प्रदर्शनी ‘आरोहण’ का उद्घाटन और अवलोकन किया। राज्यपाल ने चित्रकला प्रदर्शनी देखकर कहा कि कला की साधना अभिनंदनीय है, चित्रकार ऐसी कला का निर्माण करें, जिससे लोगों को ज्ञान आनंद और समाधान मिले। राज्यपाल ने कहा कि ब्रुश और रंग की भी अपनी एक ताकत होती है, जो किसी चित्र में सजीवता लाते हैं। उन्होंने कलाकारों से कहा कि निकट भविष्य में दो महत्वपूर्ण पर्व हैं-2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है और 2019 में प्रयाग में कुम्भ है। उन्होंने कहा कि कलाकार अपनी कला के माध्यम से बापूजी के वह पक्ष प्रस्तुत करें, जिनमें उन्होंने सबको साथ लेकर कैसे आजादी प्राप्त की थी और दूसरा भारतीय संस्कृति के महापर्व कुम्भ के आयोजन पर अपनी चित्र भंगिमाएं बनाएं।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि कुम्भ में लगभग 12 करोड़ लोगों के आने का अनुमान है, जिसमें विदेश से भी बड़ी संख्या में लोग आएंगे। उन्होंने कहा कि यूनेस्को ने कुंभ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत बताया है, इसलिए भारतीय संस्कृति के इन दोनों महत्वपूर्ण अवसरों पर कलाकार भी चित्रकला के माध्यम से अपना योगदान दें। राम नाईक ने कहा कि चित्रकला से सजीवता के भाव का निर्माण होता है और दूसरों को प्रेरणा प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि चित्रकारिता के अपने नियम, कानून और आत्मा भी होती है। उन्होंने कहा कि चित्रकारी में मेरा ज्ञान न के बराबर है, मैं चित्रों की भाषा बिना समझाए नहीं समझ सकता, किंतु अच्छे चित्र नेत्र सुख देते हैं। राज्यपाल ने कलाकारों को अपने बचपन के स्कूल में बनाए जाने वाले ‘टोपी वाले दर्जी और बंदर’ का प्रसंग भी सुनाया।
राम नाईक ने चित्रकार सुषमा अग्रवाल का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ एक शास्वत संदेश है जो निरंतर आगे बढ़ने का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि निरंतर चलने वाले प्राणी का भाग्य आगे बढ़ता है, इसलिए जगत वंदनीय होने के लिए सूर्य की तरह निरंतर चलायमान रहना चाहिए। चित्रकला प्रदर्शनी में लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ निशि पांडेय एवं इतिहासकार रवि भट्ट ने भी अपने विचार रखे। चित्रकला प्रदर्शनी 16 सितम्बर 2018 तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी। इस अवसर पर अनिल रिसाल, रवि कपूर, मोहम्मद शकील और कला प्रेमी उपस्थित थे।