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Thursday 4 October 2018 01:38:53 PM
हैदराबाद। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मुफ्त बिजली उपलब्ध कराए जाने के शोरगुल से आगाह करते हुए कहा है कि जनता मुफ्त नहीं, बल्कि निश्चित, निर्बाध और गुणवत्तायुक्त बिजली चाहती है। हैदराबाद में इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर इंडिया की ओर से तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘रीसेंट डेवलेपमेंट्स इन क्लीन एंड सेफ न्यूक्लियर पावर जेनरेशन’ का उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि मुफ्त बिजली का अर्थ कम बिजली और अंततः कोई बिजली नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनीतिज्ञों में इस बात को लेकर गलत धारणा है कि अगर आप मुफ्त बिजली नहीं देते हैं तो आप सत्ता खो देंगे। उन्होंने कहा कि यह बात समझी जानी चाहिए कि मुफ्त बिजली से बार-बार बिजली की कटौती होगी और इसलिए लोगों को निश्चित तौरपर बिजली उपलब्ध कराए जाने पर ही ध्यान दिया जाना चाहिए, जिसके लिए वे भुगतान करने के इच्छुक हैं।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा देश में इस समय ऊर्जा की मांग बढ़ रही है और खपत की दर प्रतिवर्ष 4.2 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि तेजी से हो रहे शहरीकरण और औद्योगिकीकरण उन कारकों में शामिल है, जो ऊर्जा की मांग तथा खपत में और बढ़ोत्तरी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि खपत को ध्यान में रखते हुए देश में कुल ऊर्जा परिदृश्य में परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाई जानी है, जो देश के सतत विकास के लिए जरूरी है, इससे ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने की भारत की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को हासिल किया जा सकता है। वेंकैया नायडू ने कहा कि स्वच्छ एवं कम लागत आधारित ऊर्जा समय की जरूरत है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि परमाणु ऊर्जा कम लागत वाली है और वाणिज्यिक रूपसे ऊर्जा का एक साध्य स्रोत है, भारत जैसे विकासशील देश को ऐसे अहम ऊर्जा स्रोत का इस्तेमाल करना चाहिए, जो स्वच्छ एवं कम लागत वाला हो।
वेंकैया नायडू ने कहा कि भारत में इस समय जो सबसे सस्ती ऊर्जा बनाई जा रही है, वह परमाणु संयंत्र से पैदा होने वाली है, हाल ही में शुरू किए गए कुड़नकुलम परमाणु बिजली संयंत्र की इकाई-1 से पैदा होने वाली बिजली तीन रुपये प्रति यूनिट की दर से बेची जा रही है, जो बहुत ही प्रतिस्पर्धी है। भारत में परमाणु ऊर्जा के विकास में डॉ होमी जहांगीर भाभा के योगदान का जिक्र करते हुए वेंकैया नायडू ने कहा कि भारत इस समय तीसरे चरण के मजबूत परमाणु कार्यक्रम की दिशा में काम कर रहा है, जिसे प्रख्यात वैज्ञानिकों ने निरूपित किया है और भारत ने स्वच्छ एवं कम लागत वाली परमाणु ऊर्जा उत्पादित करने में विशेष प्रगति की है। स्वच्छ भारत अभियान को बढ़ावा देने के एक हिस्से के तौरपर उन्होंने वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, डॉक्टरों और अन्य लोगों से स्वच्छ ऊर्जा की जरूरत के बारे में लोगों को जागरुक करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि भारत को एक स्वस्थ एवं समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन, स्वच्छ मस्तिष्क, स्वच्छ शरीर और स्वच्छ धन की आवश्यकता हैं।
उपराष्ट्रपति ने देश में हरित क्षेत्र का दायरा बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण करने पर बल दिया। उन्होंने आगाह किया कि काफी लंबे समय से हमने कुदरत के साथ खिलवाड़ किया है और अब प्रकृति हमारे साथ खिलवाड़ कर रही है और बेहतर भविष्य के लिए प्रकृति और संस्कृति के संरक्षण की आवश्यकता है। उन्होंने प्रकृति को प्यार करने और प्रकृति के साथ रहने पर जोर देते हुए कहा कि बेहतर भविष्य के लिए प्रकृति और संस्कृति का होना जरूरी है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आइए हमसब स्वच्छ शरीर, स्वच्छ मन और स्वस्थ धन हासिल करें और अगर आप इसका पालन करते हैं तो आप एक स्वस्थ एवं समृद्ध राष्ट्र बन सकते हैं। इस मौके पर तेलंगाना के गृहमंत्री एन नरसिम्हा रेड्डी, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ आर चिदंबरम और इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर इंडिया के अध्यक्ष शिशिर कुमार बनर्जी, इंजीनियर, वैज्ञानिक एवं प्रोफेसर मौजूद थे।