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Thursday 4 October 2018 03:11:51 PM
नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 19वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आज भारत पहुंचे। व्लादिमीर पुतिन की दो दिवसीय यात्रा के दौरान पांच अरब डॉलर से भी ज्यादा का एस-400 मिसाइल सिस्टम भारत को देने सहित कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन के दौरान बातचीत का प्रमुख एजेंडा व्यापार साझेदारी में विशेषाधिकार के अहम पहलुओं पर चर्चा है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यात्रा में भारत और रूस के बीच जमीन से हवा में मार करने वाले रूस के एस-400 मिसाइल सिस्टम पर सहमति भारत के लिए प्रतिरक्षा के हिसाब से बहुत महत्व रखती है। भारत को यह अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम मिलने के बाद चीन और पाकिस्तान पर 400 किलोमीटर तक की मारक क्षमता के साथ भारतीय सेना को और भी मजबूत बनाएगी।
भारत और रूस के संबंध हमेशा से विश्वास की नींव पर आधारित हैं और गुजरे समय के साथ ये और भी मजबूत हुए हैं। हालांकि व्यापारिक तौर पर देखें तो दोनों देशों के बीच व्यापार का स्तर मात्र 10 अरब डालर का है जो दशकों पुराने संबंधों को देखते हुए खास उत्साहित नहीं करता है। दोनों देशों ने परस्पर व्यापार का स्तर 2015 तक बढ़ाकर 30 अरब डालर करने का लक्ष्य रखा है। इस व्यापारिक रिश्ते में अंतर्राष्ट्रीय नॉर्थ-साउथ गलियारे की बड़ी भूमिका हो सकती है। रूस के एक बार अस्तित्व में आ जाने के बाद भारत से रूस का रास्ता मध्य एशिया के रास्ते से खुलेगा और साथ ही मध्य एशिया से सटे कई यूरोपीय देशों से भी इस क्षेत्र के लिए नए व्यापारिक अवसर खुल सकते हैं।
रूसी हथियार भारतीय सेना के पारंपरिक दोस्त रहे हैं। राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा में जमीन से हवा में मार करने वाले एस-400 मिसाइल सिस्टम पर सहमति लगभग तय मानी जाती है। मौजूदा रक्षा और व्यापारिक समझौतों के बीच दोनों देशों के बीच लोगों का परस्पर संवाद भी रिश्तों में मजबूती के लिए जरूरी है। जानकार मानते हैं कि सोवियत रूस के विघटन के बाद इस क्षेत्र में दोनों देशों की तरफ से किसी ठोस पहल का अभाव रहा है। बीते 25 साल में दोनों ही देशों में एक नई पीढ़ी आ चुकी है, जिनके लिए भारत-रूस संबंधों के महत्व को नए सिरे से समझने की जरूरत है। भारत-रूस शिखर वार्ता की शुरुआत अटल बिहारी वाजपेयी के समय में हुई थी। इस वार्ता ने लगातार दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सामरिक संबंधों को नई दिशा देने का काम किया है।