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Friday 26 October 2018 05:55:17 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने दिल्ली में ‘निर्यात शिखर सम्मेलन 2018’ में कहा है कि वित्तवर्ष 2017-18 में भारतीय निर्यात में 9.8 प्रतिशत का इजाफा हुआ, जो छह वर्ष की सर्वाधिक वृद्धि दर है। उन्होंने कहा कि भारत से होने वाले निर्यात में धनात्मक वृद्धि ऐसे समय में दर्ज की गई है, जब विश्वस्तर पर इस दृष्टि से प्रतिकूल माहौल देखा जा रहा है। निर्यात शिखर सम्मेलन का आयोजन भारतीय उद्योग परिसंघ ने किया था। सुरेश प्रभु ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय भारत से होने वाले निर्यात में नई जान फूंकने के लिए क्षेत्रवार जिंस एवं क्षेत्र विशिष्ट निर्यात रणनीति तैयार करने के लिए निर्यात से जुड़े महत्वपूर्ण मंत्रालयों के साथ मिलकर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि संबंधित मंत्रालयों के साथ बैठकें पहले ही हो चुकी हैं, इस दौरान विभिन्न मंत्रालयों और हितधारकों के साथ सलाह-मशविरा किया गया, इसके बाद सेक्टरवार, जिंसवार और क्षेत्रवार विशिष्ट कदमों की रूपरेखा तैयार की गई है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर इस पर अपनी नजरें जमाए हुए हैं और विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े मंत्रालयों, निर्यात संवर्धन परिषदों और निर्यातकों के साथ नियमित तौरपर बैठकें हो रही हैं। उन्होंने कहा कि निर्यात की वृद्धिदर को प्रभावित करने वाले कुछ विशेष मुद्दों को राजस्व विभाग और पर्यावरण मंत्रालय के समक्ष भी उठाया गया है। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि जल्द ही पेश की जाने वाली कृषि निर्यात नीति से कृषि क्षेत्र को काफी बढ़ावा मिलेगा और इसके साथ ही किसानों की आय दोगुनी करने का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा कि भारत 600 एमटी कृषि उपज का उत्पादन करता है और वह पूरी दुनिया को अपना अधिशेष उत्पादन का निर्यात करने में सक्षम है।
विदेश व्यापार महानिदेशक आलोक वर्धन चतुर्वेदी भी सम्मेलन में उपस्थित थे। उन्होंने निर्यातकों के लिए विभिन्न प्रकियाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से वाणिज्य मंत्रालय के विभिन्न कदमों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अब ज्यादातर प्रक्रियाएं ऑनलाइन हो गई हैं और संबंधित दस्तावेजों की हार्डकॉपी पेश करने की जरूरत नहीं पड़ती है। आलोक वर्धन चतुर्वेदी ने कहा कि डीजीएफटी निर्यात संबंधी ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू करने पर भी विचार कर रहा है, ताकि पहलीबार निर्यात क्षेत्र में उतर रहे लोगों को समुचित जानकारियां देने के साथ-साथ उन्हें प्रशिक्षित किया जा सके और इसके साथ ही उन्हें पर्याप्त सहूलियतें भी दी जा सकें। उन्होंने कहा कि डीजीएफटी के सूचना प्रौद्योगिकी नेटवर्क में व्यापक फेरबदल करने की प्रक्रिया भी जारी है, ताकि संबंधित दस्तावेजों को ऑनलाइन प्रस्तुत करने में समय की बर्बादी न हो।