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Thursday 8 November 2018 01:12:41 PM
बिजनौर। उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं का हाल देखिए! बिजनौर जनपद में मंडावर के पास बालावाली रोड पर ग्राम नारायणपुर उर्फ अमीपुर में यह सरकार का स्वास्थ्य उपकेंद्र है, जहां स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधा का कोई नामोनिशान नहीं है और स्वास्थ्य उपकेंद्र के इस भवन का गांव के लोग गोबर के उपले पाथने के लिए प्रयोग कर रहे हैं। बिजनौर जिले की स्वास्थ्य सेवाएं इसी प्रकार राम भरोसे हैं और यहां तो हद ही हो गई है। लाखों रुपये की लागत से बने इस स्वास्थ्य उपकेंद्र पर यदि उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए फंड देने वाली अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों की नज़र पड़ जाए तो उत्तर प्रदेश सरकार का क्या जवाब है? इसे देखकर बिजनौर के जिला प्रशासन को सरकार की स्वास्थ्य योजनाएं या सरकार की बुनियादी सुविधाएं जनसामान्य तक पहुंचाने की कोई दिलचस्पी या चिंता नज़र नहीं आती है। यह मामला क्षेत्र की जनता की उदासीनता का भी एक ज्वलंत उदाहरण है और ऐसा यहीं पर नहीं जनपद में ऐसे कई उदाहरण हैं।
बिजनौर जनपद का यह स्वास्थ्य एवं उपचार उपकेंद्र क्या सांपों का परिवास और उपले पाथने एवं लकड़ियां रखने के लिए है? यहां ऐसे और भी स्वास्थ्य एवं उपचार उपकेंद्र हैं, जहां पर स्वास्थ्य एवं उपचार का कोई नामोनिशान नहीं है। यहां पर किसी स्वास्थ्यकर्मी की नियुक्ति है कि नहीं यह कोई बताने को तैयार नहीं है। यहां के जनप्रतिनिधियों सांसद, विधायक, जिला पंचायत सदस्य, बीडीसी और ग्राम प्रधान भी हैं, इनकी भी अपने इस स्वास्थ्य एवं उपचार उपकेंद्र की कोई चिंता नहीं है, जो इस बात का प्रमाण है कि इनकी दिलचस्पी केवल विकास कार्यों में कमीशनखोरी, गुटबाज़ी और पुलिस की मुखबिरी करके लोगों से धन वसूल करने-कराने में ज्यादा है। इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा कि पुलिस जब किसी का किसी अपराध में गिरफ्तारी दिखाती है तो वह इस सूनसान पड़े निर्जन स्थान स्वास्थ्य एवं उपचार उपकेंद्र को उसका लैंडमार्क बनाती है।
जिलाधिकारी बिजनौर हर महीने स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा करते हैं और स्वास्थ्य केंद्रों पर भ्रमण भी करते हैं तो क्या जिलाधिकारी बताएंगे कि उन्होंने इस क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं का कितनी बार निरीक्षण किया? जिला मुख्य चिकित्साधिकारी बिजनौर का इस अक्षमता पर क्या कहना है? इस घोर अव्यवस्था पर यहां के जनप्रतिनिधियों का क्या कहना है, यदि इस उपकेंद्र पर किसी स्वास्थ्यकर्मी की तैनाती नहीं है तो ग्राम प्रधान ने इसे उपले पाथने का केंद्र बनाने की अनुमति कैसे दी? स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी निरुत्तर हैं। यहां के निवासियों का कहना है कि बिजनौर जिले के अधिकांश अधिकारी ठेकेदारों और एजेंटों से सांठगांठ कर केवल सरकारी योजनाओं से पैसा कमाने में लगे हैं और रही ग्राम प्रधान की बात तो वह बहुत कमजोर कड़ी है, जो केवल अपनी प्रधानी की सोचता है, उसे सरकार की ऐसी योजनाओं से कोई मतलब नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सुशासन पर यह तमाचा नहीं तो और क्या है?