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Thursday 8 November 2018 03:05:26 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की ओर से 9 से 11 नवंबर तक दिव्यांग युवाओं के लिए वैश्विक आईटी प्रतिस्पर्धा आयोजित की जा रही है। इस वर्ष भारत, कोरिया सरकार और रिहैबिलिटेशन इंटरनेशनल के सहयोग से इस कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है। दिव्यांगता के लिए वैश्विक आईटी प्रतिस्पर्धा एक क्षमता निर्माण परियोजना है, जो दिव्यांगजनों को आईसीटी की सहायता से उनकी कमियों पर विजय पाने में मदद करता है। यह डिजिटल अंतर को समाप्त करेगा और समाज में दिव्यांगजनों की सहभागिता को बढ़ाएगा। यह परियोजना दिव्यांगजनों के अधिकारों पर संयुक्तराष्ट्र सम्मेलन (धारा 21) के दिशा-निर्देशों को लागू करने से संबंधित है। धारा 21 सूचना तक पहुंच से संबंधित है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत 9 नवम्बर को इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे और 11 नवम्बर को विजेताओं को पुरस्कार वितरित करेंगे। कार्यक्रम में सरकार के उच्च अधिकारियों के भाग लेने से दिव्यांगजनों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रदर्शन होगा। यह प्रतिस्पर्धा कई विषयों पर आयोजित की जा रही है-ई-टूल यानी एमएस-एक्सेल, एमएस-वर्ड आदि का अनुप्रयोग व्यक्तिगत स्पर्धा, ई-लाइफ मानचित्र प्रतिस्पर्धा यानी विशेष परिस्थिति में प्रतिक्रिया देने की क्षमता व्यक्तिगत स्पर्धा, ई-क्रियेटिव यानी एनीमेशन कहानी या गेम के निर्माण की क्षमता सामूहिक स्पर्धा (प्रत्येक देश के लिए अलग-अलग), ई-कंटेट यानी वीडियो बनाने की क्षमता सामूहिक स्पर्धा (प्रत्येक देश के लिए अलग-अलग)। वैश्विक आईटी प्रतिस्पर्धा में 21 वर्ष आयु वर्ग में दृष्टि दिव्यांगता, श्रवण दिव्यांगता, लोको मोटर दिव्यांगता और विकास संबंधी विकार वाले 100 से अधिक युवा कार्यक्रम में भाग लेंगे।
वैश्विक आईटी प्रतिस्पर्धा में 18 देशों-इंडोनेशिया, चीन, वियतनाम, मलेशिया, थाईलैंड, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, मंगोलिया, कंबोडिया, लाओस, फिलीपींस, कोरिया, कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, भारत और ब्रिटेन के युवा इस कार्यक्रम में भाग लेंगे। तीन टीमों के कुल 12 प्रतिभागी भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इनका चयन राष्ट्रीय आईटी प्रतिस्पर्धा के आधार पर किया गया है, जिसे राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कुरूक्षेत्र ने संचालित किया था। पूरी दुनिया में दिव्यांगजनों की कुल आबादी एक अरब है, यह दुनिया की कुल आबादी का 15 प्रतिशत है, इस आबादी का बड़ा हिस्सा विकासशील देशों में रहता है, जहां आईसीटी की पहुंच निम्न है। सूचना अंतर के कारण दिव्यांगजन समाज से अलग-थलग पड़ जाते हैं। इन्हें ग़रीबी में जीवन जीना पड़ता है। वैश्विक आईटी प्रतिस्पर्धा की शुरुआत दिव्यांग युवाओं में सूचना प्रौद्योगिकी के कौशल को बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी। कार्यक्रम की शुरुआत 1992 में कोरिया में हुई थी। वर्ष 2011 के बाद यह वैश्विक आयोजन हो गया है।
रिहैबिलिटेशन इंटरनेशनल कार्यक्रम का प्रमुख आयोजक है। कोरिया के इस संगठन का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख व्यक्ति हैं-डॉ इन क्यू किम रिहैबिलिटेशन इंटरनेशनल कोरिया के अध्यक्ष, डॉ जून ओह क्यूंग ही विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, यांगी चोई सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, बोंग-किल शिन भारत में कोरिया गणराज्य के राजदूत, ह्यून-डॉन बाए राष्ट्रीय आईटी उद्योग संवर्धन एजेंसी एवं कोरिया के आईसीटी विकास विभाग में सलाहकार, जांग-वू क्वोन जीआईटीसी की तकनीकी समिति के प्रमुख और नागेश कुमार यूएनईएससीएपी, सामाजिक विकास विभाग के निदेशक।