स्वतंत्र आवाज़
word map

भारत-यूके की कैंसर पर द्विपक्षीय शोध पहल

जैव प्रौद्योगिकी विभाग और कैंसर शोध यूके में समझौता

शोध पहल के लिए 10 मिलियन पाउंड का निवेश प्रस्ताव

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 15 November 2018 04:07:14 PM

india-uk cancer research initiative for affordable approaches to cancer

नई दिल्ली। भारत-यूके कैंसर शोध पहल के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग और कैंसर शोध यूके के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है, जिसपर नई दिल्ली में पहले शोधार्थी सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किए गए। भारत-यूके कैंसर शोध पहल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग एवं कैंसर रिसर्च यूके के बीच पांच वर्ष के लिए एक द्विपक्षीय शोध पहल है, जिसके अंतर्गत कैंसर के सस्ते इलाज पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। डीबीटी और सीआरयूके में से प्रत्येक इन पांच वर्ष के दौरान 5 मिलियन पाउंड का निवेश करेंगे और अन्य सहयोगियों से अतिरिक्त निवेश प्राप्त करने का प्रयास करेंगे। भारत-यूके कैंसर रिसर्च पहल, शोध की ऐसी चुनौतियों की पहचान करेगा, जो कैंसर के सस्ते इलाज, रोकथाम और देखभाल पर आधारित है। इसके लिए भारत और यूके के विशेषज्ञ नैदानिक शोध, भौगोलिक शोध, नई तकनीकें और शरीर विज्ञान पर विशेष ध्यान देंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूके यात्रा के दौरान 18 अप्रैल 2018 को भारत और यूके के संयुक्त वक्तव्य के आलोक में यह निर्णय लिया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जीवंत लोकतांत्रिक देशों के रूपमें हम साथ मिलकर काम करने की इच्छा रखते हैं, हम उन देशों के साथ भी मिलकर काम करना चाहते हैं, जो कानून आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था, जो अंतर्राष्ट्रीय नियमों, वैश्विक शांति तथा स्थिरता का समर्थन करती हैं, से संबंधित हमारे उद्देश्य को साझा करते हैं। उन्होंने कहा था कि यूके और भारत वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए अपने अनुभव और ज्ञान को साझा कर रहे हैं। भारत का जैव-प्रौद्योगिकी विभाग और कैंसर रिसर्च यूके ने द्विपक्षीय शोध पहल के लिए 10 मिलियन पाउंड के निवेश का प्रस्ताव दिया है, जो कैंसर के सस्ते इलाज पर विशेष ध्यान देगा।
डीबीटी की सचिव डॉ रेणु स्वरूप ने इस अवसर पर कहा कि कैंसर एक वैश्विक महामारी है, इससे निपटने के लिए बहुराष्ट्रीय प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत-यूके कैंसर शोध पहल के तहत भारत और यूके के वैज्ञानिक और शोधकर्ता कैंसर के सस्ते इलाज का समाधान ढूंढेंगे। कैंसर रिसर्च यूके के कार्यकारी निदेशक निक ग्रांट ने कहा कि कोई भी देश कैंसर से अछूता नहीं है, पूरी दुनिया में प्रत्येक वर्ष लाखों लोग कैंसर की चपेट में आते हैं। उन्होंने कहा कि कैंसर की चुनौती से निपटने के लिए विश्व के वैज्ञानिकों को साथ मिलकर शोध करने की आवश्कता है। शोधार्थी सम्मेलन में वैज्ञानिकों, शोधार्थियों, चिकित्साकर्मियों, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों आदि को ज्ञान साझा करने एवं परस्पर संवाद करने का अवसर प्रदान हुआ।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]